UP Election Result 2022: अखिलेश यादव को सत्ता तो नहीं मिली, लेकिन सपा के लिए खुशी की 4 वजहें

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UP Election Result 2022: अखिलेश यादव को सत्ता तो नहीं मिली, लेकिन सपा के लिए खुशी की 4 वजहें

UP Election Result 2022: अखिलेश यादव को सत्ता तो नहीं मिली, लेकिन सपा के लिए खुशी की 4 वजहें

UP Election Result 2022: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वापसी कर ली है। दोपहर तक हुई काउंटिंग में भाजपा ने सपा के मुकाबले निर्णायक बढ़त हासिल कर ली है। दोपहर 12 बजे तक भाजपा 272 सीटों पर आगे है तो सपा को महज 125 सीटों पर बढ़त हासिल है। अखिलेश यादव ने बेरोजगारी, महंगाई, छुट्टा जानवरों की समस्या जैसे मुद्दों को उछालकर योगी आदित्यनाथ से सत्ता छीनने की भरसक कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहे। हालांकि, इस हार में भी सपा के लिए खुशी के कुछ मौके और वजहें हैं।

वोट शेयर में बड़ा इजाफा

2017 के मुकाबले समाजावादी पार्टी के जनाधार में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। पांच साल पहले सपा को 21.8 फीसदी वोट शेयर मिला था, लेकिन इस बार पार्टी के वोटर शेयर में 10 फीसदी का इजाफा किया है। इस बार सपा को करीब 32 फीसदी वोट शेयर मिला है। भले ही सपा को अभी सत्ता हासिल ना हुई हो लेकिन जनाधार का बढ़ना उसके लिए शुभ संकेत जरूर माना जा रहा है।

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सीटें भी दोगुनी से ज्यादा

समाजवादी पार्टी 2017 में सपा गठबंधन के साथ मिलकर लड़ी थी और दोनों दल 47 सीटों पर सिमट गए थे। हालांकि, इस बार रालोद, सुभासपा, अपना दल (कमेरावादी) जैसे दलों के साथ गठबंधन करना सपा के लिए बेहतर साबित हुआ। सपा दोपहर 12 बजे तक 125 सीटों पर आगे चल रही है। सीटों के लिहाज से सपा के प्रदर्शन में काफी अच्छा सुधार हुआ है।

पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने में मिलेगी मदद

समाजवादी पार्टी को यूपी में लगातार चौथी हार मिली है। पार्टी को 2014 लोकसभा चुनाव, 2017 विधानसभा चुनाव, 2019 लोकसभा चुनाव और 2022 विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन बढ़े हुए वोट शेयर और सीटों के साथ पार्टी अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरने से बचा सकती है।

बसपा का मिला वोट शेयर?

इस विधानसभा चुनाव की एक अहम बात यह है कि चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का जनाधार लगातार सिमट रहा है। बसपा का वोट शेयर करीब 10 फीसदी गिरा है, जबकि सपा के वोटर शेयर में इतना ही इजाफा हुआ है। पहली नजर में ऐसा माना जा रहा है कि बसपा से बिखरे वोटों को सपा काफी हद तक अपने पाले में भी लाने में कामयाब रही है। माना जा रहा है कि पहले अल्पसंख्यक वोट का एक बड़ा हिस्सा बसपा के खाते में जाता था, जो इस बार सपा की ओर आया है।

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