UP Chunav 2022: ध्रुवीकरण की सियासत का असली टेस्ट, दूसरे चरण में होगा सुरेश खन्ना से लेकर आजम खान की किस्मत का फैसला

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UP Chunav 2022: ध्रुवीकरण की सियासत का असली टेस्ट, दूसरे चरण में होगा सुरेश खन्ना से लेकर आजम खान की किस्मत का फैसला

लखनऊ : यूपी में दूसरे चरण के चुनाव (UP Second Phase Voting) में ध्रुवीकरण की सियासत का असली टेस्ट होगा। सोमवार को वेस्ट यूपी के 9 जिलों की 55 सीटों पर वोट पड़ेंगे। इसमें 8 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी 23 से लेकर 50% तक है। ऐसे में जहां सत्तारुढ़ भाजपा (BJP) की उम्मीदें वोटों के विभाजन पर टिकी हैं, वहीं सपा गठबंधन (SP Alliance) के ‘भाईचारा’ कार्ड का असर भी यह चरण नापेगा। कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना (Suresh Khanna) से लेकर सपा सांसद आजम खान (Azam Khan) जैसे बड़े चेहरों की किस्मत भी इसी चरण में तय होनी है।

दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, अमरोहा, बदायूं, बरेली और शाहजहांपुर में वोट पड़ेंगे। इस चरण में सपा के साथ उसके सहयोगी रालोद और महान दल के भी उम्मीदवार हैं। वहीं, भाजपा अपने सहयोगी अपना दल के साथ उतरी है। बसपा व कांग्रेस के साथ असुद्ददीन औवेसी की एआईएमआईएम भी सियासी मौजूदगी के लिए चुनाव मैदान में है।
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ध्रुवीकरण ने बदले थे समीकरण
कोर वोट बैंक के दावों और वोटिंग पैटर्न के लिहाज से दूसरे चरण की सीटों पर सपा के लिए स्थितियां अधिक मुफीद दिखती रही हैं। कई जिलों में अल्पसंख्यक वोटरों की बड़े पैमाने पर मौजूदगी के साथ बदायूं व संभल में यादव वोटर भी प्रभावी संख्या में हैं। लेकिन, 2017 में ध्रुवीकरण की केमिस्ट्री ने इस अंकगणित को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था।

55 सीटों में भाजपा को 38 में जीत मिली थी। इनमें सहारनपुर की देवबंद जैसी सीट भी शामिल है। बची 17 सीटें सपा-कांग्रेस गठबंधन के खाते में गई थीं, जिनमें 15 पर सपा और 2 पर कांग्रेस जीती थी। 27 सीटों पर सपा और 13 सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। बसपा समेत बाकी दलों का खाता तक नहीं खुला था। विपक्ष के जीते कुल 17 विधायकों में 11 मुस्लिम थे। खास बात यह है कि पिछली बार 12 सीटों पर विपक्ष के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच सीधा टकराव था, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला और ऐसी सभी सीटें भाजपा के खाते में गईं।

क्या कहता है बीजेपी का रिपोर्ट कार्ड
सहारनपुर में जहां करीब 42% मुस्लिम हैं, वहां भाजपा को 7 में 4 सीटें मिली थीं। 43% मुस्लिम आबादी वाले बिजनौर में भाजपा ने 8 में 6 सीटें जीती थीं। एक तिहाई मुस्लिम वोटरों वाले बरेली में भाजपा ने सभी 9 सीटें कब्जाई थीं। मुरादाबाद में 6 में 2, अमरोहा में 4 में 3, रामपुर में 5 में 2, संभल में 4 में 2, बदायूं में 6 में 5, शाहजहांपुर में 6 में 5 सीटों पर भाजपा जीती थी। इस बेल्ट में दलितों के अलावा पिछली जातियां मसलन, शाक्य, सैनी, कुर्मी आदि भी प्रभावी संख्या में हैं।

रणनीतिक ‘चुप्पी’ बदलेगी तस्वीर?
2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान और अमित शाह के जवाबी बयानों ने ध्रुवीकरण की सियासत को खूब खाद-पानी दिया था। आजम तो खुद को भाजपा की ‘आइटम गर्ल’ कहते थे। सरकार जाने के बाद जमीन कब्जे समेत अन्य आरोपों में 87 मुकदमे झेल रहे आजम इस बार जेल में हैं। भाजपा की ओर से सीएम योगी आदित्यनाथ समेत दूसरे नेता कभी गर्मी शांत करने तो कभी ’80 बनाम 20′ के आक्रामक बयानों से माहौल बनाने की कोशिश में लगे हैं। औवेसी जरूर प्रतिक्रिया कर रहे हैं, लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ऐसे बयानों पर रणनीतिक तौर पर चुप्पी साध रखी है और वह किसान आंदोलन, नौकरी, महंगाई जैसे दूसरे मुद्दे उठाने में लगे हैं।

किस पार्टी के कितने मुस्लिम उम्मीदवार?
ऐसे में वोटों के ध्रुवीकरण बनाम विभाजन के आजमाए नुस्खे का असर इस बार संशय में है। इस चरण में सपा ने 18, बसपा ने 23, कांग्रेस ने 21 और औवेसी की पार्टी ने 15 मुस्लिमों को उतारा है। भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) ने भी स्वार टांडा से मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है। कई सीटों पर इस बार भी सीधा टकराव है। पिछली बार भले बसपा इस चरण में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने इस क्षेत्र की चार सीटें जीती थीं। तीन सीटें गठबंधन सहयोगी सपा को भी मिली थीं।

मंत्रियों, दलबदलुओं की साख दांव पर
दूसरे चरण में जहां सरकार के मंत्रियों पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने का दबाव है, वहीं विपक्ष के कई चेहरों के लिए भी अपना करिश्मा साबित करने की चुनौती है। सपा के कद्दावर चेहरे व रामपुर के सांसद आजम खान के ऊपर अपने और बेटे दोनों की ही सीट बचाने का दबाव है। आजम जेल में और बेटा जमानत पर है। अखिलेश यादव ने शुक्रवार को रामपुर में उनके समर्थन में सभा की थी।

सहारनपुर के नकुड़ से विधायक व योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री धर्म सिंह सैनी इस बार साइकल पर सवार हैं। कांग्रेस के फायर ब्रैंड चेहरे इमरान मसदू भी सपाई हो चुके हैं। उन्हें टिकट तो नहीं मिला, लेकिन नतीजे सपा में उनका आगे का भविष्य तय करेंगे। राज्यमंत्री बलेदव सिंह औलख, गुलाब देवी के सामने भी सीट बचाने का संघर्ष होगा। कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना के सामने शाहजहांपुर से लगातार नौवीं जीत हासिल करने की चुनौती है।



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