UP Chunav: यूपी चुनाव के बीच कौन उठा रहा हिजाब का मुद्दा? मुस्लिम वोटरों में दिख सकता है असर

158

UP Chunav: यूपी चुनाव के बीच कौन उठा रहा हिजाब का मुद्दा? मुस्लिम वोटरों में दिख सकता है असर

लखनऊ: कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड का अनुपालन करने करने को लेकर हिजाब बैन (Karnataka Hijab Ban) का मामला अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के मैदान में मुद्दा बनने लगा है। राजनीतिक दलों की ओर से इस मुद्दे को हवा दी जा रही है। यूपी में चुनाव है तो मुस्लिम वोट बैंक (Muslim Vote Bank) को अपनी तरफ लाने के लिए तरह-तरह के तर्क भी दिए जा रहे हैं। कर्नाटक में हिजाब बैन (Hijab Ban) के मुद्दे पर प्रयागराज में हुआ प्रदर्शन (Prayagraj Protest) कुछ इसी तरफ इशारा कर रहा है।

उत्तर प्रदेश में पहले चरण का चुनाव हो चुका है। पहले चरण के मतदान के आंकड़ों ने किसी भी राजनीतिक दल को अपने पक्ष में हवा होने जैसी स्थिति का अहसास नहीं कराया है। पिछले चुनावों की वोटिंग के आंकड़े के आसपास ही वोटिंग होने को सभी दल अपने-अपने पक्ष में हवा होने का दावा जरूर कर सकते हैं। लेकिन, कोई भी पुख्ता दावा नहीं कर सकता कि 58 सीटों पर उसे ही जीत मिलने जा रही है। ऐसे में अब चुनावी माहौल को बदलने की कोशिश हो रही है। परंपरागत चुनावी समीकरण या कहें तो वोट बैंक को एकजुट करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। पहले चरण के दौरान जिस प्रकार से मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव जैसी स्थिति दिखी है, उस स्थिति में हिजाब विवाद एक अलग माहौल बनाने की कोशिश हो सकती है।

मुस्लिम वोट बैंक पर तीन दल जता रहे हक
मुस्लिम वोट बैंक इस बार कई भागों में बंटता दिख रहा है। हालांकि, यूपी के स्थापित तीन दल इस वोट बैंक को अपने पक्ष में होने का दावा करते दिख रहे हैं। समाजवादी पार्टी गठबंधन मुस्लिम-यादव समीकरण को आधार मानती रही है। माय समीकरण के साथ-साथ इस बार पार्टी की कोशिश अन्य वर्गों का वोट हासिल करने की रही है। पहले चरण के चुनाव के बाद उनके इस वोट बैंक में सेंधमारी होती दिख रही है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी मुस्लिम-दलित समीकरण को लागू करने की कोशिश में है।

मायावती ने जमकर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट बांटे हैं। इसका असर होता दिख रहा है। वहीं, कांग्रेस मुस्लिम, पिछड़ा और सामान्य वर्ग के वोट के जरिए एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में वापसी की कोशिश करती दिखी है। इन सबके बीच हैदराबाद से यूपी पहुंचे एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी अपनी जगह बनाने की कोशिश करते दिख रहे हैं।

एक वोट बैंक पर इतनी नजर, इसलिए मारामारी
मुस्लिम को पार्टियों ने एक वोट बैंक के रूप में देखा है। इसका कारण है कि मुसलमानों का वोट जब पड़ता है तो किसी एक दल के पक्ष में ही पड़ जाता है। इसमें कोई बिखराव जैसी स्थिति देखने को नहीं मिलती है। ऐसे में एकमुश्त करीब 15 से 18 फीसदी वोट को कोई भी राजनीतिक दल गंवाना नहीं चाहता। इसलिए, उन तमाम मुद्दों को हवा देने की कोशिश की जा रही है, जिसके जरिए ध्रुवीकरण किया जा सके। कर्नाटक का हिजाब मामला इसी का परिणाम है।

भाजपा के पक्ष में उठी आवाज ने किया परेशान
मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने वाले दलों को भाजपा के पक्ष में उठी आवाज ने भी परेशान किया है। मुस्लिम महिलाओं का एक वर्ग भाजपा के पक्ष में जाता दिख रहा है। योगी सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति से लेकर विकास योजनाओं का लाभ हासिल करने वाले सरकार के पक्ष में बात करते दिख जाते हैं। इसके अलावा तीन तलाक कानून का मुद्दा भी यूपी में महिलाओं के बीच काफी प्रभावी है। ऐसे में कहीं ये साइलेंट वोटर चुनावी मैदान में अलग ही खेल न कर दें, इसका अंदेशा परंपरागत राजनीति करने वालों को सता रहा है। ऐसे में किसी एक मुद्दे के आधार पर एक वर्ग के वोट बैंक को इंटैक्ट करने की कोशिश हो रही है।

हिजाब के समर्थन के जरिए संदेश देने की कोशिश
प्रयागराज में प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने पोस्टर ले रखा था। इस पर लिखा था, ‘हिजाब हमारा अधिकार है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता।’ प्रदर्शनकारी महिला आफरीन फातिमा ने कहा कि हम मुस्लिम औरतें यह बताने के लिए सड़कों पर उतरे हैं कि हमारी कर्नाटक की बहनें अकेली नहीं हैं। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी भी लिखी है जिसमें ‘शिक्षा का अधिकार’ और ‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार’ की रक्षा करने की मांग की गई है। महिलाओं की मांग है कि कर्नाटक में हिजाब पहनकर छात्राओं को स्कूलों में एंट्री दी जाए। इस प्रदर्शन ने संदेश देने की कोशिश की है कि महिला वोटर सजग भी है और एकजुट भी।

हक के लिए उतरेगा मुसलमान
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि मुसलमान ये बताना चाहता है कि हम अपने हक के लिए सड़कों पर उतरेंगे। हमें चुनाव से कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारे हक हमसे छीने न जाएं इसके लिए हम बार-बार सड़कों पर उतरेंगे। स्कूलों में ड्रेस कोड के सवाल पर उन्होंने कहा कि लड़कियां अपनी ड्रेस पहनती थीं। उनकी डायरी में लिखा है कि अगर उनके हिजाब का रंग उनकी स्कूल ड्रेस से मैच करता है तो वो उसे पहन सकती हैं। साल के बीच में प्रशासन ने एबीवीपी के दबाव में आकर उन्हें प्रवेश देने से रोक दिया। यह अपने आप में ड्रेस कोड का उल्लंघन है।

प्रयागराज में मुस्लिम महिलाओं के प्रदर्शन का मामला आया है सामने

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News