UP Chunav: यूपी चुनाव के दूसरे चरण में मुस्लिम वोट बैंक को माना जा रहा है काफी अहम, यह है कारण

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UP Chunav: यूपी चुनाव के दूसरे चरण में मुस्लिम वोट बैंक को माना जा रहा है काफी अहम, यह है कारण

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के दूसरे चरण के चुनाव में पश्चिमी यूपी और रूहेलखंड में वोटिंग होनी है। इन इलाकों के विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोट बैंक (Muslim Vote Bank) बड़ा फैक्टर एक बार फिर माना जा रहा है। इस चरण को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के लिए काफी चुनौती वाला माना जा रहा है। वहीं, विपक्षी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) गठबंधन, बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और कांग्रेस (Congress) के लिए भी अहम माना जा रहा है। दूसरे चरण (Second Phase Of Polling) में 9 जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू होनी है। 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने से पहले इस चरण में मतदाताओं के रुख का सीधा असर चुनावी रिजल्ट पर डालने वाला है।

दूसरे चरण में पश्चिमी यूपी के सहारनपुर, बिजनौर और अमरोहा के साथ-साथ रूहेलखंड के संभल, रामपुर, मुरादाबाद, बरेली और शाहजंहापुर जिले की सीटों पर वोटिंग होनी है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन के बीच हुआ था। इस बार के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी नए साथी राष्ट्रीय लोक दल के साथ चुनावी मैदान में है। सीधे मुकाबले में वही नजर आ रही है। लेकिन, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकती नजर आती है। वर्ष 2017 में इस इलाके की 55 में से 33 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। वहीं, सपा को 15 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी। विपक्षी गठबंधन को मिली 17 सीटों में से 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली थी। इसको देखते हुए विपक्षी दलों ने इस बार के चुनाव में भी मुस्लिम उम्मीदवारों पर एक बार फिर भरोसा जताया है।

मुरादाबाद और रामपुर में मुस्लिम सबसे बड़ा फैक्टर
दूसरे चरण में 9 जिलों में चुनाव हो रहा है। इसमें से दो जिलों में मुस्लिम आबादी आधी से अधिक है। मुरादाबाद में मुस्लिम आबादी कुल आबादी का 50.80 फीसदी और रामपुर में 50.57 फीसदी है। इसके अलावा बिजनौर में 43.04 फीसदी, सहारनपुर में 41.95 फीसदी और अमरोहा में 40.04 फीसदी मुस्लिम आबादी चुनाव में अहम फैक्टर बनकर उभरते रहे हैं। बरेली में 34.54 फीसदी और संभल में 32.88 फीसदी मुस्लिम आबादी किसी भी उम्मीदवार के जीत या हार में अहम फैक्टर बनकर सामने आते रहे हैं। बदायूं में 23.26 फीसदी और शाहजहांपुर में 17.55 फीसदी मुस्लिम आबादी भी मुद्दा हैं।

मुस्लिम वोट बैंक का मुद्दा रहा है प्रभावी
यूपी विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में करीब 7 सात जिलों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए विशेष रूप से कोशिश की गई। कर्नाटक के हिजाब मुद्दे को काफी जोर-शोर से उठाया गया। इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की गई। इसके अलावा समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजम खान की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाकर एक प्रकार की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की। मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए वर्ष 2014 के बाद पहली बार एनडीए की ओर से रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से हैदर अली खान को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्हें अपना दल (एस) ने टिकट दिया है।

सीनियर नेताओं के सुर में दिखी नरमी
दूसरे चरण के चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के सुर कुछ अलग दिखे। मुस्लिम समुदाय के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश के लिए विकास योजनाओं का हवाला दिया गया। जिन्ना विवाद और पाकिस्तान से कानून व्यवस्था और दंगा नहीं होने देने की चर्चा करते नेता नजर आए। पीएम मोदी ने तो इस चरण के प्रचार अभियान में तीन तलाक को हटाए जाने और केंद्रीय योजनाओं का लाभ सभी वर्ग तक पहुंचाने की चर्चा की। वहीं, आगरा में एक मुस्लिम समुदाय के गांव में पहुंचने और बच्चे को काफी देर तक रखने की सीएम योगी की तस्वीर भी इस चरण में चर्चा में रही।

तमाम दलों ने की वोट बैंक साधने की कोशिश
मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश तमाम राजनीतिक दलों ने की है। इस अंदाजा आप दलों की ओर से घोषित किए गए उम्मीदवारों पर नजर डालकर कर सकते हैं। दूसरे चरण की 55 में से 18 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने इस मामले में उन्हें पीछे छोड़ दिया है। इस चरण में बसपा के 23 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं। इसी प्रकार कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं है। पार्टी ने दूसरे चरण में 21 मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 15 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। दरअसल, 35 सीटों पर मुस्लिम और दलित आबादी के अहम होने को लेकर इस प्रकार का दांव खेला गया है। इस चरण में कुल 586 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। उनकी किस्मत का फैसला मतदाता अपने मताधिकार के प्रयोग से करेंगे।



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