UP निकाय चुनाव में 2024 की तैयारियों का रिहर्सल करेंगे सभी दल… BJP, सपा, बसपा और कांग्रेस झोंक रहे ताकत

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UP निकाय चुनाव में 2024 की तैयारियों का रिहर्सल करेंगे सभी दल… BJP, सपा, बसपा और कांग्रेस झोंक रहे ताकत

UP निकाय चुनाव में 2024 की तैयारियों का रिहर्सल करेंगे सभी दल… BJP, सपा, बसपा और कांग्रेस झोंक रहे ताकत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दिसंबर में प्रस्तावित निकाय चुनाव सियासी दलों के लिए लोकसभा की तैयारियों के लिए रिर्हसल जैसे होंगे। सत्ता और विपक्ष दोनों ने ही इसके लिए पसीना बहाना शुरू कर दिया है। नतीजे उम्मीद और झटके दोनों की ही जमीन तैयार करेंगे। प्रदेश में इस बार नगर निगमों, नगर पालिका और नगर पंचायतों तीनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में दंगल में नए अखाड़े भी साधने होंगे।

पंचायत चुनाव में पर्दे के पीछे से सियासत करने वाली पार्टियां शहरी निकायों के चुनावों में खुलकर दावेदारी करती हैं। अधिकांश दल नगर निगम और नगर पालिका के चुनाव अपने सिंबल पर लड़ते हैं। वहीं, पिछली बार नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों पर भी आधिकारिक उम्मीदवार उतारे थे। 2017 में नगर निगमों में तो भाजपा को एकतरफा जीत मिली थी लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पार्टी को कड़ी चुनौती मिली थी।

मेयर के 87% और पार्षद के 45% पद उसके हिस्से में गए थे। लेकिन पार्टी नगर पालिका अध्यक्ष की एक तिहाई और नगर पंचायत अध्यक्ष की एक चौथाई से भी कम सीट जीत सकी थी। सपा ने नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष की 20% सीटें जीती थी। बसपा ने मेरठ और अलीगढ़ के मेयर की सीट अपने खाते में डाली थीं।

भाजपा: नए अध्यक्ष-संगठन मंत्री का इम्तेहान
यूपी भाजपा को अध्यक्ष के तौर पर भूपेंद्र सिंह चौधरी और संगठन महामंत्री के तौर पर धर्मपाल के रूप में नया चेहरा मिला है। दोनों ही चेहरों के सामने संगठनात्मक क्षमता साबित करने की यह पहली बड़ी परीक्षा होगी। नतीजों को सरकार के कामकाज से भी जोड़ा जाएगा। फिलहाल पार्टी ‘सेवा पखवारा’ जैसे अभियानों के जरिए घर-घर पहुंचने में लगी हैं। वहीं, निकायों के लिए मंत्रियों-विधायकों व संगठन के चेहरों को भी उतार दिया गया है।

सपा: उम्मीद तलाशने का मौका
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की नए सिरे से ताजपोशी हुई है। राष्ट्रीय पार्टी के तय ख्वाब को पूरा करने के लिए जमीनी पकड़ का इम्तेहान व नतीजों से उम्मीद तलाशने का यह मौका होगा। नजर इस पर भी होगी कि भाजपा के आक्रामक प्रचार के मुकाबले सपा मुखिया प्रचार में उतर सक्रियता को लेकर उठने वाले सवालों का जवाब तलाशते हैं कि नहीं। फिलहाल पार्टी ने मौजूदा और पूर्व विधायकों-सांसदों व अन्य पदाधिकारियों को पहले ही प्रभारी बनाकर निकायों में पसीना बहाने के लिए भेज दिया है।

बसपा: मतदाताओं का भरोसा जीतने का अवसर
2022 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पर सिमट गई बसपा के सामने अपने मतदाताओं का भरोसा वापस पाने की चुनौती होगी। 2017 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर सिमटने के महज 8 महीने बाद हुए चुनाव में बसपा ने मेयर की दो सीटें कब्जा ली थीं। इसलिए, पिछले नतीजे उसके लिए हौसलों व संभावनाओं के तौर पर काम करेगा। निकाय चुनाव को लेकर मायावती नियमित बैठकें कर रही हैं। जमीन पर संगठन को भी सक्रिय किया गया है।

कांग्रेस: प्रयोगों की परीक्षा
चुनाव दर चुनाव यूपी में बदतर प्रदर्शन का रेकार्ड बना रही कांग्रेस की संभावनाओं और प्रयोगों दोनों की ही परीक्षा होगी। शहरी इलाकों में अच्छी पैठ रखने वाली कांग्रेस को पिछली बार कोई खास सफलता नहीं मिली थी। फिलहाल, पार्टी ने हाल में ही नया अध्यक्ष और पांच प्रांतीय अध्यक्ष बनाया है। इन चेहरों के जमीनी पकड़ और समझ का हिसाब भी निकाय चुनाव करेंगे।

2017 में दलों का प्रदर्शन

मेयर (16)- पार्षद(1300)- नपा अध्यक्ष(198)- नपां (438)
भाजपा- 14- 597- 70- 100
सपा- 00- 202- 45- 83
बसपा- 02- 147- 29- 45
कांग्रेस- 00- 110- 09- 17

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