UP में BJP कैसे लाएगी 70 सीटें, जानें आगरा से बनारस तक का प्लान, BSP की चाल पर नजर | mayawati bsp BJP pm narendra modi up news akhilesh yadav Rahul Gandhi priyanka gandhi up politics | News 4 Social h3>
लगातार खिसक रहा है BSP का जनाधार
दरअसल बहुजन समाज पार्टी का जनाधार लगातार खिसक रहा है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तो उसे करीब 12 फीसदी वोट ही मिले थे। ऐसा माना जाता है कि जाटवों के अलावा किसी अन्य समाज का ज्यादा समर्थन बीएसपी को नहीं मिला था। इस तरह लगातार बसपा की ताकत कम हो रही है। और इससे बसपा के जीत की संभावनाएं भी बेहद कम हैं। ऐसे में मायावती और बसपा की कमजोर होती सियासी जमीन पर समाजवादी पार्टी के अलावा बीजेपी की भी नजर है। आमतौर पर मायावती और बसपा के जाटव वोटर सपा के खिलाफ रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को लगता है कि उनके बीच पैठ बनाकर एक हिस्सा हासिल किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी की आगरा, सहारनपुर जैसे मंडलों में ताकत बढ़ जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि इन जिलों में दलितों की अच्छी आबादी है।
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यूपी में 20% दलित आबादी
उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी तकरीबन 20 फीसदी है। यदि सवर्ण मतदाताओं और कई ओबीसी बिरादरियों के अलावा बीजेपी ने दलित वोटरों का भी गठजोड़ बना लेती है तो यह बड़ी बात होगी। अहम बात यह है कि बसपा इस बार सभी 80 सीटों लोकसभा सीटों पर अकेले ही उतरने जा रही है। बीएसपी के वोटबैंक को देखते हुए संभव नहीं है कि वह अकेले जीत हासिल कर सके। ऐसे में बीजेपी मायावती के मतदाताओं के बीच यह प्रचार करना चाहेगी कि यदि बसपा यह चुनाव नहीं जीत रही है। तो ऐसे में फिर दलित समाज के लोग बीजेपी का ही समर्थन कर दें। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि बहुजन समाज पार्टी के अकेले लड़ने की स्थिति में दलित मतदाता बीजेपी की ओर रुख कर सकते हैं।
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दलित बस्तियों के संपर्क में बीजेपी
इस बीच बीजेपी दलित समुदाय के बस्तियों तक संपर्क की तैयारी में हैं। इस लिए संत रविदास जयंती के मौके को चुना गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शुक्रवार 23 फरवरी को रविदास जयंती के मौके पर वाराणसी में मौजूद थे। इसी दिन से बीजेपी के नेता और भाजपा कार्यकर्ता भी दलित बस्तियों का दौरा करेंगे। मार्च में बीजेपी दलित मोर्चे का एक आयोजन भी आगरा में करने वाली है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इस आयोजन में रहेंगे। आगरा को पश्चिम यूपी में दलित मतदाताओं का सेंटर माना जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा का पश्चिम यूपी में प्रदर्शन भी अच्छा था। और बसपा ने 10 सीटें भी हासिल की थीं। तब सपा और बसपा का गठबंधन था। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का अकेले चुनावी मैदान में उतरने पर उसके लिए बड़ी चुनौती रहेगी।
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लगातार खिसक रहा है BSP का जनाधार
दरअसल बहुजन समाज पार्टी का जनाधार लगातार खिसक रहा है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तो उसे करीब 12 फीसदी वोट ही मिले थे। ऐसा माना जाता है कि जाटवों के अलावा किसी अन्य समाज का ज्यादा समर्थन बीएसपी को नहीं मिला था। इस तरह लगातार बसपा की ताकत कम हो रही है। और इससे बसपा के जीत की संभावनाएं भी बेहद कम हैं। ऐसे में मायावती और बसपा की कमजोर होती सियासी जमीन पर समाजवादी पार्टी के अलावा बीजेपी की भी नजर है। आमतौर पर मायावती और बसपा के जाटव वोटर सपा के खिलाफ रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को लगता है कि उनके बीच पैठ बनाकर एक हिस्सा हासिल किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी की आगरा, सहारनपुर जैसे मंडलों में ताकत बढ़ जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि इन जिलों में दलितों की अच्छी आबादी है।
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यूपी में 20% दलित आबादी
उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी तकरीबन 20 फीसदी है। यदि सवर्ण मतदाताओं और कई ओबीसी बिरादरियों के अलावा बीजेपी ने दलित वोटरों का भी गठजोड़ बना लेती है तो यह बड़ी बात होगी। अहम बात यह है कि बसपा इस बार सभी 80 सीटों लोकसभा सीटों पर अकेले ही उतरने जा रही है। बीएसपी के वोटबैंक को देखते हुए संभव नहीं है कि वह अकेले जीत हासिल कर सके। ऐसे में बीजेपी मायावती के मतदाताओं के बीच यह प्रचार करना चाहेगी कि यदि बसपा यह चुनाव नहीं जीत रही है। तो ऐसे में फिर दलित समाज के लोग बीजेपी का ही समर्थन कर दें। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि बहुजन समाज पार्टी के अकेले लड़ने की स्थिति में दलित मतदाता बीजेपी की ओर रुख कर सकते हैं।
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दलित बस्तियों के संपर्क में बीजेपी
इस बीच बीजेपी दलित समुदाय के बस्तियों तक संपर्क की तैयारी में हैं। इस लिए संत रविदास जयंती के मौके को चुना गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शुक्रवार 23 फरवरी को रविदास जयंती के मौके पर वाराणसी में मौजूद थे। इसी दिन से बीजेपी के नेता और भाजपा कार्यकर्ता भी दलित बस्तियों का दौरा करेंगे। मार्च में बीजेपी दलित मोर्चे का एक आयोजन भी आगरा में करने वाली है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इस आयोजन में रहेंगे। आगरा को पश्चिम यूपी में दलित मतदाताओं का सेंटर माना जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा का पश्चिम यूपी में प्रदर्शन भी अच्छा था। और बसपा ने 10 सीटें भी हासिल की थीं। तब सपा और बसपा का गठबंधन था। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का अकेले चुनावी मैदान में उतरने पर उसके लिए बड़ी चुनौती रहेगी।