Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड बढ़ी रार, मुस्लिम लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने PM मोदी और CM योगी को लिखा पत्र

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Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड बढ़ी रार, मुस्लिम लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने PM मोदी और CM योगी को लिखा पत्र

अभय सिंह राठौर, लखनऊ:यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लेकर यूपी समेत देश के कई राज्यों में चर्चाएं जोरों पर चल रही हैं, वहीं इसे लागू करने को लेकर बीजेपी जहां इसके पक्ष में खड़ी नजर आ रही है। वहीं अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से पीएम मोदी को पत्र लिखा गया है। बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. मुईन अहमद खान ने कहा सरकार का काम धार्मिक मसलों को आम राय से हल करने का होता है ना कि उन मसलों में पेचीदगियां पैदा करना होता है। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी से गुजारिश की है कि, तमाम धर्मगुरुओं को इसमें शामिल कर ड्राफ्ट पर चर्चा की जाए, जिससे आम सहमति बन सके।

पीएम मोदी को लिखा पत्र
यूनिफॉर्म सिविल कोड के सम्बंध में मुस्लिम लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि देश में सभी धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार शादी विवाह की संवैधानिक अनुमति है। मुस्लिम समुदाय सहित अनेक समुदायों को अपने धार्मिक विधि के अनुसार विवाह तलाक के अधिकार भारत की स्वतंत्रता के पूर्व से प्राप्त है मुस्लिम समुदाय को 1937 से इस सम्बंध में मुस्लिम एप्लिकेशन एक्ट के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त है।

चर्चा के बाद ही लागू हो
वहीं, पत्र के माध्यम से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बताया गया है कि स्वतंत्रता के बाद भी संविधान सभा में इस सम्बंध में हुई बहस में प्रस्तावना समिति के चेयरमैन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि सरकार इसे धार्मिक समुदाय पर छोड़ दे और सहमति बनने तक इसे लागू न करे। साथ ही बाबासाहेब ने संविधान सभा में ये भी कहा था कि राज्य या केंद्र सरकार इसे लागू करने के पूर्व धार्मिक समुदाय या उनके धर्मगुरुओं से चर्चा के बाद ही इसे लागू करने का निर्णय ले, इसे जबरन थोपने का प्रयास उचित नहीं होगा।

सरकार का काम समस्याओं का हल करना है- बोर्ड
देश के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड पर सभी धार्मिक समूहों के संगठनों पर सर्वप्रथम सरकार अपने मसौदे के साथ सार्थक सकारात्मक चर्चा करे। बिना चर्चा के यूनिफार्म सिविल कोड पर चल रही बहस संविधान सम्मत नहीं है। साथ ही कहा सरकारों का काम समस्याओं के समाधान का है न कि धार्मिक मसले उत्पन्न करने का।

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कई सवाल
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डॉ मुईन अहमद ने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर कई सवाल है समाज और धार्मिक समूहों से चर्चा के बिना कोई भी धार्मिक समूह इसे अंगीकृत नही करेगा। क्योंकि यूनिफार्म सिविल कोड के लागू होने के बाद मुस्लिम समुदाय के निकाह व तलाक सहित महिलाओं के, सम्पत्ति में अधिकार जैसे विषय क्या समाप्त हो जाएंगे अथवा वह किस विधि के अनुरूप सम्पन्न होंगे।

गंभीर चर्चा संवाद की आवश्यकता है- बोर्ड
पत्र में कहा गया कि धार्मिक मामलों में मुस्लिम समुदाय के निकाह तलाक महिलाओं का सम्पत्ति में अधिकार जैसे अधिकार ही मुस्लिम एप्लीकेशन एक्ट 1937 से लेकर भारतीय संविधान में स्थापित है फिर उसके साथ यूनिफार्म सिविल कोड की आड़ में उसके साथ छेड़छाड़ की क्या आवश्यकता है? साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने मुस्लिम समुदाय पर यूनिफार्म सिविल कोड लागू न करने की अपील करते हुए पीएम मोदी से कहा है कि इस गम्भीर विषय पर गम्भीर चर्चा संवाद की आवश्यकता है।

बोर्ड ने सीएम योगी को भी पत्र की एक कॉपी भेजी
वहीं, पत्र के आखिर में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव ने पीएम मोदी से अनुरोध करते हुए कहा कि आपसे अनुरोध है कि इस विषय की गम्भीरता के दृष्टिगत ही अंतिम निर्णय मुस्लिम समुदाय के निकाह, तलाक उत्तराधिकार जैसे धर्म व संविधान सम्मत अधिकार के संरक्षण की अपेक्षा करते है। आशा है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के निवेदन पर गम्भीरतपूर्वक संवेदनशील निर्णय करेंगे। बोर्ड ने पत्र की एक कॉपी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजी है।

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