UN Warning on Taliban: अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से दूसरे आतंकी समूहों को मिलेगा बढ़ावा, इतना डरा हुआ क्यों है UN?

92


UN Warning on Taliban: अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से दूसरे आतंकी समूहों को मिलेगा बढ़ावा, इतना डरा हुआ क्यों है UN?

वॉशिंगटन
संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में तालिबान की जीत को लेकर गंभीर चिंता जताई है। यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने वैश्विक आतंकवाद पर चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में तालिबान की जीत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अन्य समूहों के हौसले बुलंद कर सकती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सकारात्मक भूमिका निभाए, जिसके लिए तालिबान के साथ संवाद बहुत जरूरी है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि दुनिया में कौन-कौन से ऐसे प्रमुख आतंकी संगठन हैं, जो तालिबान के उदय से एक बार फिर सक्रिय हो सकते हैं।

आईएसआईएस (इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, अफ्रीका)
मुख्य रूप से इराक और सीरिया में सक्रिय आईएसआईएस आतंकी संगठन तालिबान की जीत के बाद बौखलाया हुआ है। इस आतंकी संगठन को कहीं न कहीं यह लग रहा है कि लोग उसके आतंक को अब तालिबान की अपेक्षा कमतर आंक रहे हैं। यही कारण है कि आईएसआईएस ने न केवल अफगानिस्तान बल्कि अफ्रीकी देशों में भी अपने आतंकी गतिविधियों को तेज कर दिया है।

Chechen Russian Conflict: चेचन्या और कश्मीर में इस्लामी आतंकवाद को हवा दे सकता है तालिबान, देर से जगे रूस को टेंशन क्यों?
टीटीपी (पाकिस्तान)
अफगानिस्तान की तालिबान की एक शाखा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकी भी अफगानिस्तान में मिली जीत को लेकर उत्साहित हैं। यही कारण है कि पिछले एक महीने में इस आतंकी संगठन ने पाकिस्तानी सेना के ऊपर कई बड़े हमले किए हैं। इन हमलों में पाकिस्तानी सेना के एक कैप्टन सहित कई सैनिकों की मौत भी हो चुकी है। अभी चंद दिनों पहले ही टीटीपी ने क्वेटा में आत्मघाती हमला किया था, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी।

अलकायदा (यूरोप, अमेरिका, अफगानिस्तान)
ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद कमजोर पड़ा अलकायदा तालिबान की सहायता से एक बार फिर सिर उठा सकता है। अफगानिस्तान में अलकायदा के आतंकियों को सुरक्षित पनाह, पैसे, हथियार और ट्रेनिंग मिलने की संभावना जताई जा रही है। दूसरे आतंकी संगठनों से अलग अलकायदा में कई पढ़े लिए लड़ाके भी शामिल हैं। जिनमें से अधिकतर यूरोप और अमेरिका के रहने वाले हैं। ऐसे में यह आतंकी संगठन अगर सक्रिय होता है तो इससे पूरी दुनिया के लिए खतरा बढ़ जाएगा।

navbharat times -अल कायदा, ISIS और बोको हराम… अफ्रीका को आतंक का अड्डा क्यों बना रहे ये खूंखार आतंकी संगठन?
लश्कर ए तैय्यबा, जैश ए मोहम्मद (भारत)
पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैय्यबा तालिबान की मदद से कश्मीर में फिर से आतंकी गतिविधियों को बढ़ा सकता है। खुद पाकिस्तान सरकार के नेता कह चुके हैं कि तालिबान ने उन्हें कश्मीर जीतकर सौंपने का भरोसा दिया है। पाकिस्तान के गृहमंत्री ने सार्वजनिक रूप से कबूला है कि तालिबान के आतंकी उनके देश में रहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान तालिबान की मदद से कश्मीर में इन आतंकी संगठनों को फिर से सक्रिय कर सकता है।

चेचेन्या विद्रोही (रूस)
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार में वैश्विक आतंकियों के शामिल होने से रूस की भी चिंता बढ़ गई है। यही कारण है कि अबतक तालिबान के साथ दोस्ती का राग अलापने वाले रूस ने अपना पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया है। एक दिन पहले ही रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय ने कहा था कि रूस का कोई भी प्रतिनिधि तालिबान सरकार के शपथग्रहण में शामिल नहीं होगा। रूस को डर है कि तालिबान में शामिल चेचेन्या के आतंकी एक बार फिर वापस अपने देश लौट सकते हैं। इससे चेचेन्या में एक बार फिर से आतंकवाद बढ़ सकता है।

navbharat times -
बोको हराम (नाइजर, नाइजीरिया, कांगो समेत कई अफ्रीकी देश)
यह आतंकी संगठन अफ्रीका के कई देशों में सक्रिय है। पिछले कई साल से बोको हराम के आतंकी लड़कियों के स्कूल पर हमला कर उन्हें अगवा कर रहे हैं। इनका मानना है कि लड़कियों को इस्लामिक कानून के हिसाब से शिक्षा देनी चाहिए। बोको हराम के आतंकी आए दिन आम लोगों को मार रहे हैं।



Source link