Uddhav Thackeray: ‘मैदान पर हिसाब बराबर करने का समय, उद्धव ठाकरे की शिंदे गुट-बीजेपी को सीधी चुनौती
मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट को सीधे चुनाव मैदान में सामना करने की चुनौती दी है। उन्होंने गुरुवार को छगन भुजबल के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में कहा कि वह लड़ाई करने से नहीं घबराते। जब लोग मेरे साथ हैं, जब नेता मेरे साथ हैं, तो मुझे लड़ाई से क्यों घबराना चाहिए? मैं किसी भी लड़ाई को लड़ने के लिए तैयार हूं। ठाकरे ने कहा कि आगे की लड़ाई ‘आजादी के लिए दूसरे संघर्ष’ की तरह है।
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को अपनी पार्टी से अंधेरी पूर्व उपचुनाव लड़ रही रुतुजा लटके के इस्तीफे को स्वीकार करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करते हुए ठाकरे ने कहा कि हमें हर बात के लिए अदालत में जाना पड़ रहा है। दशहरा रैली के लिए मैदान के लिए भी कोर्ट में जाना पड़ा था। उन्होंने चुनौती दी कि अगर हिम्मत है, तो आओ मैदान में। मैं तैयार हूं। हमें मैदान न मिले, इसका इंतजाम करने के बजाए चुनाव मैदान में आओ।
‘तूफान पैदा करने वाली ताकत शरद पवार और कांग्रेस आज मेरे साथ’
उद्धव ने कहा कि जब मैं कार्यक्रम में आया, तो फारूख अब्दुल्ला मिले। उन्होंने कहा कि घबराना मत, अपने पिता की तरह लड़ना। मैंने कहा कि मैं लड़ाई का मैदान छोड़ने वाला नहीं हूं। उद्धव ने कहा कि शिवसेना अब तक कई तूफानों से टकराई है, लेकिन तूफान पैदा करने वाली ताकत शरद पवार और कांग्रेस आज मेरे साथ हैं। मैं लड़ाई का मैदान छोड़ने वाला नहीं हूं।
भुजबल का शिवसेना छोड़ना बड़ा झटका: ठाकरे
उद्धव ने शिंदे गुट का नाम लिए बगैर कहा कि आज हमें हर चीज के लिए कोर्ट जाना पड़ रहा है, हिम्मत हो तो मैदान में आ जाओ, हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना का जन्म लड़ने के लिए हुआ है। शिवसेना अब धक्का प्रूफ हो चुकी है। हमें रोज कोई न कोई धक्का लगता है, पर हम उसका जवाब देते हैं। शिंदे गुट और बीजेपी को चुनौती देते हुए उद्धव ने कहा कि अब मैं मैदान में उतर गया हूं। हमें मैदान नहीं मिले इस पर ध्यान देने की बजाय सीधे मैदान में आओ।
Eknath Shinde vs Uddhav Thackeray: उद्धव ठाकरे ने कसा ‘तीन पहिए’ वाला तंज तो शिंदे ने क्या जवाब दिया?
उद्धव ने कहा कि अजित पवार ने अभी कहा कि चार महीने और सत्ता रहती तो छगन भुजबल मुख्यमंत्री हो गए होते, पर मैं कहता हूं कि भुजबल ने यदि शिवसेना नहीं छोड़ी होती तो वे पहले ही मुख्यमंत्री बन गए होते। भुजबल का शिवसेना छोड़ना हमारे लिए बड़ा झटका था। इससे संभलने में हमें समय लगा, पर भुजबल ने एक अच्छा काम यह किया कि बालासाहेब के रहते सारे मतभेद मिटा दिए। उद्धव ने कहा कि भुजबल अकेले शिवसेना छोड़ कर गए थे, पर महा विकास आघाडी की स्थापना के वक्त वे कांग्रेस-एनसीपी को साथ लाए। (एजेंसी इनपुट)
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बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को अपनी पार्टी से अंधेरी पूर्व उपचुनाव लड़ रही रुतुजा लटके के इस्तीफे को स्वीकार करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करते हुए ठाकरे ने कहा कि हमें हर बात के लिए अदालत में जाना पड़ रहा है। दशहरा रैली के लिए मैदान के लिए भी कोर्ट में जाना पड़ा था। उन्होंने चुनौती दी कि अगर हिम्मत है, तो आओ मैदान में। मैं तैयार हूं। हमें मैदान न मिले, इसका इंतजाम करने के बजाए चुनाव मैदान में आओ।
‘तूफान पैदा करने वाली ताकत शरद पवार और कांग्रेस आज मेरे साथ’
उद्धव ने कहा कि जब मैं कार्यक्रम में आया, तो फारूख अब्दुल्ला मिले। उन्होंने कहा कि घबराना मत, अपने पिता की तरह लड़ना। मैंने कहा कि मैं लड़ाई का मैदान छोड़ने वाला नहीं हूं। उद्धव ने कहा कि शिवसेना अब तक कई तूफानों से टकराई है, लेकिन तूफान पैदा करने वाली ताकत शरद पवार और कांग्रेस आज मेरे साथ हैं। मैं लड़ाई का मैदान छोड़ने वाला नहीं हूं।
भुजबल का शिवसेना छोड़ना बड़ा झटका: ठाकरे
उद्धव ने शिंदे गुट का नाम लिए बगैर कहा कि आज हमें हर चीज के लिए कोर्ट जाना पड़ रहा है, हिम्मत हो तो मैदान में आ जाओ, हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना का जन्म लड़ने के लिए हुआ है। शिवसेना अब धक्का प्रूफ हो चुकी है। हमें रोज कोई न कोई धक्का लगता है, पर हम उसका जवाब देते हैं। शिंदे गुट और बीजेपी को चुनौती देते हुए उद्धव ने कहा कि अब मैं मैदान में उतर गया हूं। हमें मैदान नहीं मिले इस पर ध्यान देने की बजाय सीधे मैदान में आओ।
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उद्धव ने कहा कि अजित पवार ने अभी कहा कि चार महीने और सत्ता रहती तो छगन भुजबल मुख्यमंत्री हो गए होते, पर मैं कहता हूं कि भुजबल ने यदि शिवसेना नहीं छोड़ी होती तो वे पहले ही मुख्यमंत्री बन गए होते। भुजबल का शिवसेना छोड़ना हमारे लिए बड़ा झटका था। इससे संभलने में हमें समय लगा, पर भुजबल ने एक अच्छा काम यह किया कि बालासाहेब के रहते सारे मतभेद मिटा दिए। उद्धव ने कहा कि भुजबल अकेले शिवसेना छोड़ कर गए थे, पर महा विकास आघाडी की स्थापना के वक्त वे कांग्रेस-एनसीपी को साथ लाए। (एजेंसी इनपुट)
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