ऐसा क्या हो गया की पाकिस्तान से भी नीचे है भारत ?

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ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत 117 देशों की रैंकिंग में 102वें नंबर पर है. भारत ने जहाँ देश ही नहीं विदेश में भी अपने काम का झंडा फहराया और सुपर पावर बनाने का दावा कर रहा है वही अपने नागरिकों का पेट भरने के मामले में पिछड़ कैसे रहा है? यह रैंकिंग लगातार गिरती ही क्यों जा रही है?

हंगर इंडेक्स वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर भूख को मापने का पैमाना है. इस इंडेक्स से दुनिया भर में कुपोषण और भूख को चार पैमानों में रिकॉर्ड करता है. ये आंकड़े हैं कुपोषण, बाल मृत्युदर, उम्र के अनुपात में कम विकास , लंबाई के अनुपात में कम वजन इन पैरामीटर से किसी भी देश की हंगर इंडेक्स वैश्विक माप कर उस देश की स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार “भारत में 6 से 23 महीने के बच्चों में से मात्र 9.6 प्रतिशत को न्यूनतम पौष्टिक आहार मिल पाता है. 2015-16 तक 39 प्रतिशत घरों में स्वच्छता की सुविधा नहीं है.

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गौर करनी वाली बात यह भी है कि भारत की स्थिति उसके पडोसी देश से भी दयनीय है इस इंडेक्स में पाकिस्तान 94 नंबर पर, बांग्लादेश 88वें नंबर पर और श्रीलंका 66वें नंबर पर है.शून्य सबसे अच्छा स्कोर है और 100 से ऊपर पढ़ना सबसे खराब है। यह दर्शाता है कि किसी देश का अल्पपोषण उम्र के अनुपात में कम विकास और बाल मृत्यु दर उच्चतम स्तर पर है जो किसी भी देश के विकास के लिहाज से ठीक नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश और नेपाल की स्थिति इस संदर्भ में बहुत सराहने योग्य है | उनके द्वारा बहुत से ऐसे लाभकारी कदम उठाये गए है जिससे उनकी रैंकिंग में काफी सुधर आया है. इन दो देशों ने बाल पोषण की दिशा में अहम कदम उठाए हैं बाकि दूसरे देशों को इनसे एक सीख लेनी चाहिए।

भारत ने ऐसे कई कदम उठाये है जिनसे ग्लोबल हंगर इंडेक्स में उसकी रैंकिंग इम्प्रूव हो सके, प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना जैसी स्कीम की शुरुआत भारत में हुई। राष्ट्रीय पोषण मिशन के कॉसेप्ट को भारत में लाने समन्वित बाल विकास योजना को मजबूत करना और पोषण सुधार परियोजना को भी बड़े पैमाने पर प्रमोट किया , पूरक पोषण के लिए लागत मानदंड बढ़ाया गया है। कुपोषण से लड़ने के लिए 12000 करोड़ रु आंगनवाड़ियों में प्रदान किए गए।

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इसके बाद भी अगर भारत की रैंकिंग इतनी नीची है तो सरकार को गंभीर रूप से इस बारे में सोचना चाहिए और ऐसी पुख्ता रणनीति या योजना लानी चाहिए जिसे ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) की अगली रिपोर्ट पर भारत का प्रदर्शन अच्छा हो।