Tamil Nadu News: तमिलनाडु में अब कुलपतियों की नियुक्ति कर सकेगी स्‍टाल‍िन सरकार! राज्‍यपाल की ‘पावर’ कम करने वाला कदम

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Tamil Nadu News: तमिलनाडु में अब कुलपतियों की नियुक्ति कर सकेगी स्‍टाल‍िन सरकार! राज्‍यपाल की ‘पावर’ कम करने वाला कदम

चेन्नै: तमिलनाडु की एम के. स्टालिन सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को तमिलनाडु विधानसभा ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल की बजाय राज्य सरकार को देने का प्रावधान करने वाले एक विधेयक को मंजूरी दे दी। इसे सीधे तौर पर इस संबंध में राज्यपाल की शक्तियां कम करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री एम के. स्टालिन (Tamil Nadu CM MK Stalin) ने कहा कि केंद्र-राज्य संबंधों से जुड़े पुंछी आयोग ने कुलपति की नियुक्तियों के विषय पर विचार करने के दौरान कहा था क‍ि अगर टॉप एकेडम‍िक को चुनने की अथॉर‍िटी राज्यपाल के पास रहती है तो कार्यों और शक्तियों का टकराव होगा।

विधानसभा में यह विधेयक ऐसे दिन पारित किया गया, जब राज्य के राज्यपाल आरएन रवि ने उधगमंडलम में कुलपतियों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इसमें अन्य लोगों के अलावा, जोहो कॉर्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्रीधर वेम्बु ने भी हिस्सा लिया। वेम्बु की इस कार्यक्रम में मौजूदगी पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाए हैं। स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल, राज्य में 13 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं और उच्च शिक्षा मंत्री उप कुलाधिपति हैं।

‘तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून में संशोधन का व‍िधेयक’
उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून में संशोधन के लिए सोमवार को एक विधेयक पेश किया, ताकि राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति करने का अधिकार मिल सके। बीजेपी ने शुरुआती चरण में विधेयक का विरोध किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने कांग्रेस विधायक दल के नेता के. सेल्वापेरुन्थगई की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता को लेकर की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए विधेयक के पारित होने से पहले सदन से वॉकआउट किया।

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कई राज्‍यों में हो चुका ऐसा
इससे पहले, मुख्यमंत्री एम के. स्टालिन ने सदन के सदस्यों से सरकार की पहल का समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह-राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं करते, बल्कि राज्य सरकार करती है। तेलंगाना और कर्नाटक सहित कई अन्य राज्यों में भी ऐसा ही है। विपक्षी दल पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने विधेयक का समर्थन किया।

उच्च शिक्षा पर ‘बड़ा प्रभाव ’: स्‍टाल‍िन
दरअसल महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने भी पिछले साल दिसंबर में इसी तरह का कदम उठाया था। स्टालिन ने सदन में अपने भाषण में कहा कि राज्य सरकार को कुलपतियों का चयन करने का अधिकार नहीं होने के कारण उच्च शिक्षा पर इसका ‘बड़ा प्रभाव ’ पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल पूर्व में कुलपतियों का चयन करने से पहले राज्य सरकार से परामर्श करते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ऐसा नहीं किया जा रहा।

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पुंछी आयोग की स‍िफार‍िश पर कदम
उन्होंने कहा कि पुंछी आयोग ने राज्यपाल द्वारा कुलपतियों की नियुक्ति के खिलाफ सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि पिछली अन्नाद्रमुक सरकार ने 2017 में कहा था कि पुंछी आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया जा सकता है और इसलिए आज उन्हें सरकार के कदम का समर्थन करने से कतराना नहीं चाहिए।



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