श्री श्री रविशंकर अयोध्या पहुंचे, योगी ने कहा बात-चीत के लिए अब बहुत देर हो चुकी है

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कई बार बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद को सुलझाने की कोशिश की जा चुकी है पर विवाद है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आए दिन कोई न कोई नया मुद्दा इसमें जुड़ता रहता है बाबरी मस्जिद-राम जन्म में पहले पक्षकार महंत दिनेंद्र दास ने आरोप लगाया है कि विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से 20 करोड़ रुपए की डील हो रही है। इसके अलावा विश्व हिन्दू परिषद् का कहना है कि अब बात-चीत करने का कोई फ़ायदा नहीं है क्योंकि साक्ष्य सारे हमारे पक्ष में हैं और उच्चतम न्यायालय को साक्ष्य चाहिए। वह भी रविशंकर की मध्यस्ता करने वाली बात से नाराज है।

श्री श्री रवि शंकर ने मुख्यमंत्री योगी से भी मुलाक़ात की जो लगभग ३० मिनट चली। इस मुलाक़ात को काफी अहम् माना जा रहा है। परन्तु योगी का भी मानना है की अब बहुत देर हो चुकी है। अब स्वय योगी भी मान रहे हैं कि बात चीत के अब बहुत देर हो चुकी है। योगी ने श्री श्री रविशंकर से मुलाक़ात के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा, ”मुझसे इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा नहीं हुई, मुझसे मुलाकात सिर्फ शिष्टाचार थी। इस मामले में पांच दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट डे टु डे सुनवाई करने वाला है। इस मामले में बात चीत से मुद्दा सुलझाना था तो बहुत पहले करना चाहिए था। मैंने अपने पहले दौरे पर ही कह दिया था कि अगर दोनों पक्ष तैयार होते हैं तो सरकार आगे बढ़ेगी। लेकिन अब सरकार इसमें किसी तरह से पक्ष नहीं है।”

आज रविशंकर भगवान राम के दर्शन करने के बाद इकबाल, हाजी महबूब, महंत ज्ञानदास और गोपाल दास से मिलेंगे। राम जन्मभूमि केस में पैरोकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी इकबाल ने कहा, “ यह मुद्दा कोर्ट से बाहर सुलझ ही नहीं सकता। ये सुलझने वाला नहीं है, न ही यहां कोई सुलझाने वाला आता है और न ही आएगा। लोग राजनीति करने और चुनाव से पहले अपनी सियासी रोटियां सेंकने के लिए इस मुद्दे को गरमा देते हैं। लोग राजनीति के लिए रामजन्मभूमि का मुद्दा उठाते हैं। यह राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा है” खुद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि श्री श्री केवल नौटंकी करने जा रहे हैं। जब इलेक्शन आता है तो मीडिया में आने के लिए लोग भगवान का नाम ले लेते हैं। जिसकी वजह से उनका प्रचार हो जाता है।”

श्री श्री रविशंकर 2 -

इससे पहले भी बात-चीत की कई बार कोशिश की गयी है लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। स्वय श्री-श्री रवि शंकर ने भी १२ साल पहले पहले ऐसी ही कोशिश कर चुके हैं। उठ रहे विवादों को देख लग रहा है कि यह विवाद जल्दी से सुलझाने वाला नहीं है। फिर भी सरकार की कोषिष यही रहेगी कि यह विवाद जल्द से जल्द सुलझ जाए। परन्तु देखने वाली बात यह होगी कि जो विवाद इतने लम्बे समय से नहीं सुलझाया सका, क्या वह अब श्री-श्री रविशंकर और योगी सरकार मिलकर सुलझा पायेगें।