Yamuna Expressway: ताज एक्‍सप्रेसवे से अटल बिहारी वाजपेयी एक्‍सप्रेसवे तक का सफर, पूरी कहानी

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Yamuna Expressway: ताज एक्‍सप्रेसवे से अटल बिहारी वाजपेयी एक्‍सप्रेसवे तक का सफर, पूरी कहानी

लखनऊ
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार यमुना एक्सप्रेसवे का नाम बदलने पर विचार कर रही है। यमुना एक्सप्रेसवे का नाम अब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, 25 नवंबर को जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास के वक्त ही इसकी घोषणा की जा सकती है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।

चुनाव से पहले बीजेपी यूं ही यह कदम नहीं उठा रही है बल्कि इसके पीछे ब्राह्मण वोटबैंक की पॉलिटिक्स बताई जा रही है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब यमुना एक्सप्रेसवे का नाम बदला जा रहा हो, इससे पहले यमुना एक्सप्रेसवे ताज एक्सप्रेसवे के नाम से जाना जाता था। आइए जानते हैं ताज एक्सप्रेसवे से यमुना एक्सप्रेसवे और फिर अटल बिहारी वाजपेयी एक्सप्रेसवे तक का पूरा सफर-

नोएडा से आगरा को जोड़ने वाला एक्सप्रेसवे
6 लेन वाले यमुना एक्सप्रेसवे की लंबाई 165.5 किमी है। इसे यूपी का पहला एक्सप्रेसवे कहा जाता है जिसकी नींव फरवरी 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने रखी थी। यह एक्सप्रेसवे ग्रेटर नोएडा से नैशनल हाइवे 2 पर आगरा को जोड़ता है। यह ग्रेटर नोएडा से नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा के रास्ते आगरा गया है। इसे 12,839 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।

मायावती ने रखी थी नींव
2002 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी के समर्थन से मायावती प्रदेश की सीएम बनीं। साल 2003 में प्रदेश में मायावती ने ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे के निर्माण का फैसला लिया गया था, जिसका नाम उस वक्त ताज एक्सप्रेसवे रखा गया। 7 फरवरी, 2003 को तत्कालीन सीएम मायावती ने लखनऊ में एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था।

जेपी को मिला था निर्माण का जिम्मा
यूपी के इस पहले एक्सप्रेसवे के निर्माण का जिम्मा जयप्रकाश एसोसिएट लिमिटेड का दिया गया था। एक्सप्रेसवे का निर्माण करने पर जेपी को 38 साल तक टोल टैक्स वसूलने के अधिकार के साथ नोएडा से आगरा के बीच एक्सप्रेसवे के किनारे पांच जगहों पर पांच-पांच हेक्टेयर जमीन दी गई।

सरकार बदली, निर्माण रुका
हालांकि अगस्त 2003 में बीजेपी से मनमुटाव के चलते मायावती ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सपा की सरकार बनने पर एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य बंद कराकर जांच कमेटी गठित की गई। हालांकि जांच में किसी प्रकार की अनियमितता सामने नहीं आई थी।

मायावती ने फिर शुरू कराया काम
साल 2007 में यूपी में बीएसपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और एक्सप्रेसवे के निर्माण ने फिर से जोर पकड़ा। इस बार ताज एक्सप्रेसवे का नाम बदलकर यमुना एक्सप्रेसवे कर दिया गया। छह लेन के यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण पहले अप्रैल 2013 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि बीएसपी सरकार इसे अपने ही कार्यकाल में इसका उद्घाटन चाहती थी।

अखिलेश ने किया उद्घाटन
मायावती ने दिसंबर 2011 तक एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया था। नतीजा निर्माण कार्य निर्धारित अवधि में पूरा नहीं हो पाया और मायावती दिसंबर 2011 को इसका शिलान्यास करने से चूक गईं। फिर मार्च में इसके उद्घाटन की योजना बनी लेकिन आचार संहिता लागू होने के चलते यह संभव नहीं हो पाया। चुनाव होने पर यूपी में समाजवादी पार्टी बहुमत से आई और 9 अगस्त 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया।



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