दिवाली के बाद ही क्यों मनाया जाता है भैया दूज, जानिए कथा के साथ शुभ मुहूर्त और विधि

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नई दिल्ली: आज पूरे भारतवर्ष में भैया दूज का त्‍योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. भैया दूज भाई-बहन के खास प्रेम और एक दूसरे के लिए समर्पण का प्रतीक माना जाता है. ऐसा मान्यता है कि अगर कोई भाई-बहन इस दिन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह शुभ और कल्‍याणकारी होता है.

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क्या है भैया दूज की तिथि व शुभ मुहूर्त

बता दें कि दिवाली के दो दिन बाद मनाए जाने वाले इस त्‍योहार को यम द्वितीया भी कहा जाता है. भैया दूज का मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त पर आप भाई को तिलक कर उसके साथ भोजन करें तो दोनों के लिए फायदेमंद है.

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जानिए भैया दूज का खास महत्व

हिन्दू धर्म में भैया दूज की खास मान्यता है. इस त्योहार को ‘भ्रातृ द्वितीया’ और ‘यम द्वितीया’ भी कहा जाता है. रक्षाबंधन के बाद भैया दूज ऐसा दूसरा पर्व है जिसे भाई-बहन प्यार और प्रेम के साथ मानते है. जहां रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वजन देता है वहीं भैया दूज के दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है. ये ही नहीं कहीं जगहों पर इस दिन बहने अपने भाइयों को तेल लगाकर उन्हें स्नान भी कराती है.

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आखिर क्‍यों मनाया जाता है भैया दूज?

पौराणिक कथा के मुताबिक, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था. वहीं यमुना को अपने भाई यमराज से काफी प्यार था, वह उससे हमेशा बोलती कि, इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने व्यस्त कार्य में रहने के कारण यमराज बात को टालते रहें. फिर  कार्तिक शुक्ला का दिन आया, यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए बुलाया और उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

यमुना ने अपने घर यमराज को आते देखा तो वह काफी खुश हुई 

यमराज ने सोचा, मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता है. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रहीं है, उसका पालन करना मेरा धर्म यमुना के घर आते वक्त यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. वहीं जब यमुना ने अपने घर यमराज को आते देखा तो वह काफी खुश ही. उसने स्नान कर पूजा करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना के आतिथ्य से यमराज ने खुश होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा.

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यमुना ने कहा, भद्र! आप प्रति वर्ष इसी तरह मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो भी बहनें इस दिन भाई को आदर सत्कार कर टीका करें, उसे तुम्हारा भय न हो. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर चले गए. तभी से इस दिन को भाई दूज के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते है उन्हें यम का भय नहीं रहता है. इसी कारण से भाई दूज के दिन यमराज और यमुना की पूजा की जाती है.