सोमवार को डोनल्ड ट्रंप प्रशासन नें कहा की हिंद और प्रशांत महासागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत उसका एक अहम साझेदार हैं। हिंद और प्रशांत महासागर अमेरिका के लिए आर्थिक और सामरिक द्रष्टि से बहुत ज़्याद महत्वपूर्ण हैं इसलिए अमेरिका यहां पर अपनी स्थिति को मजबूत करने पर लगा हैं। वहीं दुसरी तरफ़ चीन भी इस इलाके में अपनी सेन्य और आर्थिक दखल देकर अपनी स्थिति को मजबूत बना रहा हैं जिसका अमेरिका हमेशा से विरोध करता रहा हैं।
दक्षिण एशिया में अमेरिका भारत के जरिए चीन को रोकना चाहता हैं
चीन आज पुरे विश्व में आर्थिक महाशाक्ति के रुप में जाना जाता हैं। वह अब ख़ुद को सैन्य शाक्ति के रुप मे स्थापित करना चाहता हैं। जिसके लिए चीन लगातार अपना विस्तार कर रहा हैं। चीन की आर्थिक और विस्तारवाद नीति के चलते अमेरिका, भारत और पुरी दुनिया चिंतित हैं। इसलिए अमेरिका और भारत आपस में मिलकर चीन की विस्तारवाद नीति को रोकना चाहते हैं।
क्यों अमेरिका भारत का साथ देकर चीन को कमजोर करना चाहता हैं
दरअसल, सन 1990 तक दुनिया दो ताकतों के बीच बंटी हुई थी। एक तरफ़ खुद अमेरिका महाशक्ति के तौर पर था तो दुसरी तरफ़ सोवियत संगठन था। सन 1990 में जब सोवियत संगठन टूट गया था तो फिर अमेरिका ही पुरी दुनिया में एक ऐसा देश बचा था जिसके पास आर्थिक और सैन्य शाक्ति थी और इसी महाशक्ति के साथ अमेरिका पिछले 25 सालों से दुनिया पर राज कर रहा हैं।
लेकिन पिछले 25 सालों में चीन नें आर्थिक और सैन्य तौर पर तरक्की करके अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती दी हैं। जिससे अमेरिका को चीन के महाशक्ति बनने का डर सता रहा हैं। अमेरिका को लगता है की चीन की काट भारत के पास हैं क्योंकि भारत ही पुरी दुनिया में एकलौता ऐसा देश है जिसके पास चीन जैसी जनसंख्या है, और सैन्य शक्ति हैं। इसलिए अमेरिका भारत को आर्थिक और सैन्य तौर पर इतना मजबूत बना देना चाहता है जिससे भारत चीन को कमजोर करने की स्थिति में आ जाए।