मोदी के उग्र एजेंडे के पीछे असली मुद्दों की गुमनामी

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बालाकोट हमले के बाद से, राष्ट्रवाद का मुद्दा चुनाव प्रचार के बाकी मुद्दों को पीछे छोड़कर आगे निकल गया है. प्रधानमंत्री मोदी भाषण स्थलों के पीछे पहले ही उन 44 शहीदों की फोटो का इस्तेमाल कर चुके हैं. अभी हाल ही में खबर आई कि एक भाजपा सांसद ने अपने पोस्टर पर पायलट अभिनंदन का इस्तेमाल किया, हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने इन सब हरकतों पर लगाम लगाने और सेना का इस्तेमाल राजनीति के लिए न करने का फरमान सुनाया है.

Unemployment -

मूल मुद्दे पर आयें तो हम लोकसभा चुनाव 2019 में मुद्दों को तलाशने की कोशिश करतें है. अपने देश मे बेरोज़गारी की बात करें तो आंकड़ो के मुताबिक वो पिछले 10-20 सालों के चरम सीमा पर पर पहुच गयी है. प्रधानमंत्री का 2014 में किये वादे तो सबको याद होंगे जिसमें वह करोड़ो नौकरियां देने के वादे करते नज़र आते हैं. अब अगर विदेशी निवेश की भी बात करें तो भी पिछले 4-5 सालों में लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश भारत से विदेशी कंपनियों ने निकाल लिया है. इन सबके बीच मे पुलवामा अटैक के बाद बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक करने की वजह से भाजपा के खेमे की खुशहाली और बढ़ गयी.

Army 1 -

वैसे भी देश मे बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा है जिसपर कोई भी पार्टी खुल कर बात नहीं कर रही है. यूबीआई स्कीम आदि कोई स्थायी समाधान नहीं है. मुद्दों से भटकाना इससे पहले भी होता आया है, लेकिन जैसा कि जनसांख्यिकी आंकड़ो से मालूम पड़ता है कि युवा मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, उन्हें मुद्दे से भटकाना बेहद कठिन होगा. देश मे नौकरी का न होना स्वाभाविक रूप से विद्रोह की स्थिति पैदा कर सकता है.