Unemployment news: रेलवे पर यूं ही नहीं फूटा युवाओं का गुस्सा, जानिए इसकी असली वजह

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Unemployment news: रेलवे पर यूं ही नहीं फूटा युवाओं का गुस्सा, जानिए इसकी असली वजह

हाइलाइट्स

  • कोरोना काल में देश में बेरोजगारी की समस्या और विकराल हुआ
  • सीएमआईई के मुताबिक देश में बेरोजगारों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा
  • अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 23.5% पहुंची थी जो दिसंबर में 7.9% रही
  • बेरोजगारी से हताश कई युवा विदेश खासकर कनाडा जाने के चक्कर में हैं

नई दिल्ली: कोरोना महामारी (Covid-19 pandemic) के दौर में देश में बेरोजगारी की समस्या और विकराल हो चुकी है। हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा हो गई है। देश में बेरोजगारी का आलम यह है कि रेलवे में करीब 35 हजार पदों के लिए करीब 1.5 करोड़ आवेदन मिले थे। रेलवे भर्ती बोर्ड की एनटीपीसी (RRB-NTPC) परीक्षा के रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाते हुए छात्रों ने मंगलवार को जमकर हंगामा किया था। इससे रेल ट्रैफिक पर असर पड़ा। परीक्षार्थियों के विरोध-प्रदर्शन के बाद रेलवे ने एनटीपीसी और ग्रुप डी (श्रेणी-1) की परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं।

रेलवे पर युवाओं का गुस्सा यूं ही नहीं भड़का है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2021 तक भारत में बेरोजगार लोगों की संख्या 5.3 करोड़ थी। इनमें महिलाओं की संख्या 1.7 करोड़ है। वर्ल्ड बैंक (World Bank) के मुताबिक वैश्विक स्तर पर रोजगार मिलने की दर महामारी से पहले 58 फीसदी थी, जबकि कोविड के बाद 2020 में दुनिया भर में 55 फीसदी लोगों को रोजगार मिल पा रहा था। दूसरी ओर भारत में सिर्फ 43 फीसदी लोग ही रोजगार पाने में सफल हो रहे थे। सीएमआईई के हिसाब से भारत में रोजगार मिलने की दर और कम है। संस्थान का मानना है कि भारत में सिर्फ 38 फीसदी लोगों को ही रोजगार मिल पा रहा है।

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नहीं मिल रही नौकरी
सीएमआईई के मुताबिक अप्रैल 2020 में देश में बेरोजगारी दर 23.5% पहुंच गई थी जो दिसंबर में 7.9% रही। कनाडा में दिसंबर में बेरोजगारी दर 5.9% रही और OECD देशों में अक्टूबर में लगातार छठे महीने बेरोजगारी दर में गिरावट आई। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भी आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं लेकिन देश में उस हिसाब से नौकरियां नहीं मिल पा रही हैं। इस वजह से लोगों को छोटे-मोटे काम कर करने पड़ रहे हैं। कई युवा विदेश खासकर कनाडा जाने के लिए हाथ पैर मार रहे है।

सीएमआईई के एमडी महेश व्यास ने कहा कि बेरोजगारी दर में जो दिख रहा है, स्थिति उससे बदतर है। बेरोजगारी दर में ऐसे लोग आते हैं जो नौकरी खोज रहे हैं लेकिन उन्हें नहीं मिल रही है। समस्या यह है कि नौकरी खोजने वालों का अनुपात सिकुड़ रहा है। आलोचकों का कहना है कि युवाओं में हताशा की सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकार उन्हें रोजगार नहीं दे पा रही है। इससे भारत के डेमोग्राफिक एडवांटेज के भी बेकार जाने का खतरा है। देश में दो-तिहाई आबादी वर्किंग एज में है।

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कनाडा जाने की जुगत
लेबर मिनिस्ट्री की करियर बेवसाइट में पिछले महीने 1.3 करोड़ से अधिक एक्टिव जॉबसीकर्स थे जबकि केवल वैकेंसी की संख्या केवल 220,000 थी। व्यास ने कहा कि भारत को लेबर इनटेंसिव इंडस्ट्रीज में ज्यादा निवेश की जरूरत है। साथ ही ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को लेबर फोर्स में लाने की जरूरत है। 2018 से 2021 के बीच भारत में बेरोजगारी की दर 7.2 फीसदी रही जबकि इस दौरान ग्लोबल एवरेज करीब 5.7 फीसदी था।

देश में हर साल 1.2 करोड़ लोग एम्प्लॉयमेंट एज में पहुंचते हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इकॉनमी की रफ्तार इतनी नहीं है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दे सके। रोजगार दर को एक फीसदी बढ़ाने के लिए इकॉनमी को 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़ना होगा। यही वजह है कि युवा कनाडा जैसों देशों में जाने की जुगत लगा रहे हैं। लोगों को कनाडा भेजने वाले पंजाब के एक काउंसलर ने कहा कि उसे पास रोजाना 40 क्लाइंट आ रहे हैं।

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