Tamilnadu: सिर काटा और दरवाजे पर टांग दिया, वर्चस्व की जंग में गिरीं दर्जनों लाशें… तमिलनाडु में 3 दशकों से चला आ रहा बदले की जंग का यह रक्त चरित्र

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Tamilnadu: सिर काटा और दरवाजे पर टांग दिया, वर्चस्व की जंग में गिरीं दर्जनों लाशें… तमिलनाडु में 3 दशकों से चला आ रहा बदले की जंग का यह रक्त चरित्र

Written by | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Sep 23, 2021, 2:41 PM

यह सिलसिला शुरू होता है 1990 में। यहां से शुरू हुई खूनी अदावत का सिलसिला आज तक चलता आ रहा है। सुभाष और वेंकटेश ने पन्नईयार ग्रुप बना लिया। दूसरी तरफ पशुपति पांडियन दलितों का रहनुमा बन रहा था। बीते 3 दशक में अब तक कितनी ही लाशें गिर चुकी हैं।

 

डिंडिगुल/तूतीकोरिन
70 साल की निर्मला देवी बुधवार की सुबह घर से निकलकर मनरेगा काम की साइट की तरफ पैदल ही जा रही थीं। रास्ते में बाइक सवार दो हमलावरों ने ताबड़तोड़ वार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं, बुजुर्ग महिला का सिर काटकर लेते गए और घटनास्थल से करीब आधा किलोमीटर दूर एक घर के बाहर लगे पोस्टर के नीचे रख दिया। यह पोस्टर है पशुपति पांडियन का, जिनकी हत्या 2012 में कर दी गई थी।

बुजुर्ग महिला की बेहरमी से हत्या और फिर सिर काटकर ले जाने की इस घटना से सनसनी मच गई। लेकिन यह सिलसिला नया नहीं है। यह दक्षिणी तमिलनाडु में सक्रिय दो आपराधिक गुटों के बीच बीते करीब 3 दशक से चली आ रही खूनी जंग की एक कड़ी मात्र है। पांडियन की हत्या के 9 साल के भीतर बदले में की गई यह पांचवीं हत्या है। महिला की लाश गिरने के बाद अपराधियों की तलाश में पुलिस की 6 स्पेशल टीमों का गठन कर दिया गया है।

निर्मला, जिनका सिर काट दिया गया

9 साल पहले हुई थी पांडियन की हत्या
अपराध की दुनिया से निकलकर दलितों के नेता बने पशुपति पांडियन की हत्या 10 जनवरी 2012 में कर दी गई थी। एक दर्जन से अधिक हमलावरों ने पांडियन का गला काट डाला था। यह एक बड़ी घटना थी, जिसका असर राजनीतिक गलियारों से लेकर गैंगवार की बढ़ोत्तरी में देखने को मिला। पांडियन की हत्या में शामिल लोगों के सहयोग और शरण देने के सिलसिले में अब तक 5 लोगों की हत्या की जा चुकी है। पूरा मदासामी, मुथुपांडी, बात्चा, अरुमुगासामी के बाद निर्मला की मौत इसी कड़ी में हुई है।

सुभाष पन्नईयार के हाथ में दूसरे खेमे की कमान
पांडियन की हत्या के बदले में जिनकी लाशें गिर चुकी हैं, वे सब मोहरे भर हैं। असली चेहरा है सुभाष पन्नईयार, जिसके हाथ में इस रक्त चरित्र के दूसरे खेमे की कमान है। सुभाष अभी फरार चल रहा है। 2016 में एक बार उसके ऊपर जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें वह तो बाल-बाल बच गया था लेकिन एक सहयोगी की जान चली गई थी। 2017 में सुभाष ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था लेकिन फिर जमानत पर बाहर आने के बाद से फरार चल रहा है।

पशुपति पांडियन (फोटो: साभार)

पशुपति पांडियन (फोटो: साभार)

3 दशक से चला आ रहा है खूनी सिलसिला
यह सिलसिला शुरू होता है 1990 में। दक्षिणी तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के तिरुचेंदुर क्षेत्र के मूलाकराई गांव में समृद्ध पन्नईयारों की आबादी है। पन्नईयार एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ होता है जमींदार। ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों ने स्थानीय जमीदारों को यह उपाधि दी थी। जमीन और खेतों पर दावेदारी और वर्चस्व के दौर में दलितों के बीच पशुपति पांडियन का नाम तेजी से उभरा।

जमीदारों और भूमिहीनों की जंग में बहा खून
दलितों और भूमिहीनों की तरफ से जमींदारों के खिलाफ बगावत के दौर में पांडियन ने सुभाष के बाबा सुब्रामणियम पन्नईयार और फिर 1993 में पिता अशुपति पन्नईयार की हत्या शुरू कर दी। यहां से शुरू हुई खूनी अदावत का सिलसिला आज तक चलता आ रहा है। पिता की हत्या के समय सुभाष कॉलेज के पहले साल में कानून की पढ़ाई कर रहा था। लेकिन इस घटना के बाद वह अपने चचेरे भाई वेंकटेश के साथ मिलकर बदले के खेल में शामिल हो गया।

सुभाष पन्नईयार (फोटो: साभार)

सुभाष पन्नईयार (फोटो: साभार)

अपराध के साथ ही राजनीतिक वर्चस्व भी
सुभाष और वेंकटेश ने पन्नईयार ग्रुप बना लिया। दूसरी तरफ पशुपति पांडियन दलितों का रहनुमा बन रहा था। दोनों ही गुटों ने पैसे और ताकत के साथ राजनीति में राहें तलाशनी भी शुरू कर दीं। पांडियन पहले पत्तली मक्कल कात्ची (PMK) से जुड़ा था और फिर बाद में खुद का संगठन खड़ा किया, जिसका नाम था देवेंद्राकुला वेल्लालर कूटामाइपू। वहीं दूसरी तरफ पन्नईयार ने डीएमके का दामन थामा और वेंकटेश की पत्नी राधिका सेल्वी 2004 में तिरुचेंदुर सीट से सांसद भी चुनी गईं।

बदले के लिए चलता रहा खूनी सिलसिला
अदावत की जंग जारी रही। 2003 में वेंकटेश पन्नईयार को पुलिस ने चेन्नै के नुनगामबक्कम इलाके में मुठभेड़ में मार गिराया था। भाई की हत्या के बाद गैंग की कमान पूरी तरह से सुभाष के हाथों में आई। अगले साल भाभी के सांसद बनने के बाद राजनीतिक ताकत भी बढ़ने लगी। 2006 में बदला लेने का दिन आ गया। पन्नईयार गैंग ने पशुपति पांडियन की गाड़ी पर बम से हमला कर दिया। पांडियन तो बच गया लेकिन उसकी पत्नी जेसिंथा की मौत हो गई।

सांसद चुनी गई थीं राधिका सेल्वी

सांसद चुनी गई थीं राधिका सेल्वी

पांडियन की हत्या के बाद बदले का दौर
पांडियन ने अपना बेस डिंडिगुल जिले में शिफ्ट कर लिया। इसके बाद दोनों ही गैंग मौके की तलाश में रहने लगे। पांडियन पर कई हत्याओं का आरोप था। वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया। 10 जनवरी 2012 को ननथावनापट्टी इलाके में स्थित घर पर पन्नईयार गैंग के एक दर्जन से अधिक लोगों ने धारदार हथियारों से पशुपति पांडियन को कत्ल कर डाला।

पन्नईयार और पांडियन गैंग को लेकर पुलिस अलर्ट
पांडियन की हत्या के बाद से उसके गैंग के लोग और समर्थक अब तक बदले में पांच हत्याएं कर चुके हैं। सुभाष पन्नईयार जमानत पर छूटने के बाद से अभी फरार ही चल रहा है और तूतीकोरिन की स्थानीय राजनीति में प्रभाव जमाने की कोशिश करता रहता है। वह ऑल इंडिया नादरपधुकाप्पू पेरावई का अध्यक्ष भी है। फिलहाल 70 साल की महिला की हत्या के बाद से पुलिस अब पन्नईयार और पांडियन दोनों ही गैंग की तरफ से किसी ऐक्टिविटी को लेकर सतर्क हो गई है।



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