सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका, सरकारी बंगला खाली करने का दिया निर्देश

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देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ़ एक अहम निर्णय लिया है. अब सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला छोड़ना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी बंगले से संबंधित मामले में यह कहा है कि कोई भी मुख्यमंत्री अपनी पद छोड़ने के बाद से आम आदमी के जैसे बराबर हो जाता है. वही बता दें सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए इस निर्देश ने यूपी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को एक बड़ा झटका दिया है. लोकप्रहरी नाम के एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बोला है कि उत्तर प्रदेश के उन सभी पूर्व मुख्यमंत्री जो अब भी सरकारी बंगलों में रहा रहें है उनको यह बंगले खाली करने होगें.

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आज सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मिनिस्टर सैलरी अलाउंट ऐंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का अधिकार के प्रावधानों को रद्द कर दिया है. इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने बंगले खाली करने होंगे, उनमें मुलायम सिंह यादव, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बसपा प्रमुख मायावती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी शामिल हैं।

क्या है सरकारी बंगला छोड़ने का मामला

बता दें सरकारी बंगले के खाली करने का यह मामला काफी पुराना है साल 1997 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का निर्देश दिया गया था. जिसमें कई पूर्व मुख्यमंत्रियों जैसे वीपी सिंह, कमलापति त्रिपाठी, हेमवतीनंदन बहुगुणा और श्रीपति मिश्रा ने भी सरकारी बंगले खाली कर दिए थे. साल 2016 में भी सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका को ध्यान में रखकर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला छोड़ने का ऐलान किया था. लेकिन अखिलेश यादव की सरकार ने सभी पुराने कानून में संशोधन कर यूपी मिनिस्टर सैलरी अलॉटमेंट ऐंड फैसिलिटी अमेंडमेंट एक्ट को 2016 में विधानसभा से पास करावा लिया था और सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला देने की सुविधा उपलब्ध करवाई थी। लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार के इस संशोधन को करीब 2 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है और सभी पूर्व सीएम को झटका देते हुए उनसे बंगला छोड़ने को कहा है।