Sukhbir Singh Badal: कोटकपूरा फायरिंग केस में SIT के सामने पेश नहीं होंगे सुखबीर बादल, जानें कारण

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Sukhbir Singh Badal: कोटकपूरा फायरिंग केस में SIT के सामने पेश नहीं होंगे सुखबीर बादल, जानें कारण

Sukhbir Singh Badal: कोटकपूरा फायरिंग केस में SIT के सामने पेश नहीं होंगे सुखबीर बादल, जानें कारण

चंडीगढ़: साल 2015 के कोटकपूरा गोलीबारी मामले में तत्कालीन पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल मंगलवार को विशेष जांच दल (SIT) के सामने पेश नहीं होंगे। अकाली दल के एक प्रवक्ता ने कहा क‍ि सुखबीर बादल को जीरा (नगर) की कोर्ट में पेश होना है। उन्होंने कहा कि बादल को एसआईटी से पूछताछ के लिए समन नहीं मिला है। दरअसल एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद फायरिंग मामले की जांच कर रही एसआईटी ने तत्कालीन पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के मौजूदा अध्यक्ष सुखबीर बादल को चंडीगढ़ में तलब किया था। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एल.के. यादव ने इससे पहले पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी से पूछताछ की थी।

2015 में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की ओर से गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और उसके बाद राज्य में हिंसा की घटनाओं के बाद सैनी को शीर्ष पुलिस पद से हटा दिया गया था। उनपर ज्यादती का आरोप लगाया गया था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। जस्‍ट‍िस रंजीत सिंह (सेवानिवृत्त), जिन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार की ओर से गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की कथित घटनाओं और बाद में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग की घटनाओं में नियुक्त आयोग का नेतृत्व किया था, ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और तत्कालीन डीजीपी सैनी को कटघरे में खड़ा किया है।

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इसके अलावा उन्होंने सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा की आलोचना की। इसके प्रमुख और स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम सिंह इस समय अपने दो शिष्याओं से दुष्कर्म के कारण 20 साल जेल की सजा और एक पत्रकार की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। जस्टिस सिंह ने जनवरी में अपनी 423 पन्नों की किताब ‘द सैक्रिलेज’ के विमोचन पर यह टिप्पणी की थी, जब वह सरकार के गठन आयोग का नेतृत्व कर रहे थे।

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जस्टिस सिंह ने किताब लॉन्च के दौरान बताया था, सामग्री और सबूत तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैनी, दोनों के खिलाफ हैं। बेअदबी की घटना फरीदकोट जिले के बहबल कलां गांव में हुई और उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने दो लोगों की मौत का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। 2022 के चुनावों में भी यही मुद्दा गूंजा।

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल, 2021 को पिछली पुलिस एसआईटी रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसने बादल को क्लीन चिट दी थी और राज्य सरकार को एक नई टीम गठित करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने न केवल जांच को खारिज कर दिया था, बल्कि तरीकों पर भी संदेह जताया था और एसआईटी के फिर से गठन का आदेश दिया था। कोर्ट के निर्देश के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने घटना की जांच के लिए 7 मई को एसआईटी का गठन किया।

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