सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद से रिटायरमेंट के बाद राहुल बन गए हैं उनके भी बॉस

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देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस अभी बदलाव के दौर से गुज़र रही है. राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष की ताजपोशी के बाद पार्टी में कई तरह के बदलाव देखे गए हैं. पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की राजनीतिक सक्रियता अब कम हुई है और राहुल फ्रंटफुट पर आकर पार्टी को आगे बढ़ा रहे हैं.

राहुल की ज़िम्मेदारी बढ़ी

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज (8 फरवरी) कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में इस बात को और मज़बूती दी. सोनिया गांधी ने कहा कि राहुल गांधी उनके भी बॉस हैं, इसमें किसी को कोई शक नहीं रहना चाहिए. दिल्ली में हो रही इस बैठक में मौजूद सांसदों से सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी को मज़बूत करने के लिए वे राहुल के साथ मिलकर काम करें. सोनिया ने कहा, “कांग्रेस का अब एक नया अध्यक्ष है और मैं आपके तरफ से और खुद अपने भी तरफ से मैं उन्हें शुभकामनाएं देती हूं, अब वह हमारे भी बॉस हैं, इसके बारे में कोई संदेह नहीं होनी चाहिए.”

सोनिया ने अपने बयान में कहा है कि मुझे उम्मीद है कि जिस तरह पार्टी कार्यकर्ताओं ने मेरे अध्यक्ष रहते काम किया, वैसे ही राहुल की अध्यक्षता में काम करेंगे. हमने गुजरात चुनाव और राजस्थान उपचुनाव में काफी शानदार प्रदर्शन किया है. मुझे उम्मीद है कि आने वाले कर्नाटक चुनावों में भी पार्टी शानदार प्रदर्शन करेगी.

Rahul gandhi -

देश की मौजूदा हालत पर भी मंथन

इस बैठक में सोनिया गांधी केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भी बरसीं. सोनिया ने कहा कि मोदी सरकार अधिकतम प्रचार, न्यूनतम सरकार और अधिकतम मार्केटिंग तथा न्यूनतम परिणाम दे रही है. सोनिया ने कहा कि मोदी सरकार वास्तविकता से दूर है, प्रचार और झूठ पर जी रही है, लोकसभा में प्रधानमंत्री का भाषण इसका प्रमाण है. उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिए हम समान सोच वाले दलों के साथ काम करेंगे ताकि भारत लोकतंत्र, समावेश, धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और आर्थिक प्रगति के रास्ते पर चले. सोनिया ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं छिटपुट नहीं हैं बल्कि संकीर्ण राजनीतिक फायदे के लिए समाज का ध्रुवीकरण करने की साज़िश के तहत उन्हें जानबूझकर अंजाम दिया गया है.

कश्मीर मुद्दे की भी चर्चा

कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा बदस्तूर जारी है और विकास को बढ़ावा देने के लिए बेहद कम काम किया गया है. सोनिया ने कहा, “हमें ताकत के साथ सीमापार आतंकवादा से लड़ना होगा, इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो सकता है. हम उन जवानों को नमन करते हैं जो सीने पर गोली झेल रहे हैं, हमारी संवेदना उन परिवारों के साथ है, जिनके लोगों ने देश की सेवा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर किया है. लेकिन इसके साथ साथ हमें यही भी पूछना होगा कि ये जख्म पर मरहम लगाने की नीति कहां गई, विकास को बढ़ावा देने के वादे का क्या हुआ, राजनीति सक्रियता कहां है जो तभी देखने को मिलती थी जब डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे.”

सफल रणनितियों पर काम कर रहे हैं राहुल

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को जब भाषण दिया, उस दौरान कांग्रेस ने एक नई रणनीति पर काम किया था. भाषण के दौरान कांग्रेस सांसदों ने अचानक ज़ोर-ज़ोर से नारेबाज़ी शुरू कर दी. कांग्रेस के इस ‘फ्लैश प्रोटेस्ट’ ने सभी को हैरान किया. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस ‘गुरिल्ला स्टाइल’ विरोध की रणऩीति कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ही बनाई थी.

पार्टी के सभी सांसदों को 12 बजे दोपहर तक लोकसभा पहुंचने के लिए कहा गया था. कहा ये भी जा रहा है कि सदन में इस तरह के विरोध को लेकर कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी कुछ हिचक रही थीं लेकिन राहुल ने अपने सिपहसालारों को पूरी ताकत के साथ ‘मुद्दों पर आधारित’ नारेबाज़ी के लिए ग्रीन सिग्नल दिया.