Shivapl Yadav: सियासी कर‍ियर में पहली बार ‘नेताजी’ पर बोला हमला, जानिए क्‍या कह रहे हैं शिवपाल यादव

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Shivapl Yadav: सियासी कर‍ियर में पहली बार ‘नेताजी’ पर बोला हमला, जानिए क्‍या कह रहे हैं शिवपाल यादव

लखनऊ: शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बीच जारी अनबन अब कोई छिपी बात नहीं रह गई है। दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर चलता रहता है। चाचा और भतीजे की इस खींचतान के बीच मुलायम सिंह यादव का जिक्र भी हो आता है। शिवपाल ने हाल ही आजम खान से मुलाकात के बाद पहली बार अखिलेश के साथ ही मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पर भी निशाना साध दिया। हालांकि शिवपाल ने इस पर अपनी बात रखी है।

शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम पर दिए बयान पर कहा, ‘मैंने उन पर हमला नहीं किया। मैंने सिर्फ इतना कहा कि उनके नेतृत्व में सभी सांसदों को सपा नेता आजम खान की गिरफ्तारी का विरोध करना चाहिए था। ऐसा भी नहीं किया गया।’ दरअसल, शिपवाल ने कहा था कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने भी आजम खान की जमानत को लेकर संसद में कभी आवाज नहीं उठाई। वे चाहते तो धरने पर बैठ सकते थे।

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‘अखिलेश से तनाव की वजह क्या?’
शिवपाल ने कहा कि मैं अभी तक इसका पता नहीं लगा पाया हूं। यदि मैं कुछ विवादास्पद मुद्दों को समझता हूं, तो मैं इसके बारे में नहीं बोलूंगा। व्यक्तिगत स्तर पर सफलता- असफलता को लेकर ऐसी बहुत सी बातें हैं जो कही जा सकती हैं लेकिन मैं नहीं चाहता। मैं सही समय पर बोलूंगा। मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं विपक्ष का नेता, राज्य सपा प्रमुख और महासचिव रहा हूं। सरकारें बनाई और गिराईं, और मंत्री के रूप में काम किया। मुझे कुछ नहीं बनना है। अगर मैंने कुछ बनने की सोची होती तो मैं उसे पूरा कर लेता।

‘पार्टी ही नहीं परिवार से भी हूं’
जब मैं 25 मार्च को उनसे मिलने गया तो मैंने उनसे यह बात कही। जहां तक सीटों की बात है मैंने 100 सीटों के लिए कहा, उन्होंने कहा कि यह बहुत ज्यादा है। धीरे-धीरे मैं घटकर 35 पर आ गया लेकिन उन्होंने आपत्ति जताई। फिर मैंने कम से कम 25 सीटें मांगीं। मुझे तो एक ही मिला, तब भी मेरा उससे कोई द्वेष नहीं था। क्या आपने उनके करीबी को स्टार प्रचारक बनते नहीं देखा, जबकि मेरा नाम पहली सूची में नहीं था। मुझसे वरिष्ठ कौन था? क्या उन्होंने कभी मुझसे रैलियों को संबोधित करने के लिए कहा था। सिवाय एक सीट के जहां उम्मीदवार (मल्हनी में लकी यादव) ने अनुरोध किया था? उन्होंने वहां अच्छा चुनाव जीता। अगर मुझे भी ऐसी ही जिम्मेदारियां मिलतीं तो नतीजा कुछ और होता।

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किस बात से दुखी हैं शिवपाल?
मैंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। जब अखिलेश मेरे घर आए तो मैंने उनसे कहा कि मैं सपा के टिकट पर चुनाव लड़ूंगा न कि गठबंधन सहयोगी के तौर पर। अगर मैं महत्वाकांक्षी होता तो मैं सपा छोड़ देता (जब मुझे एक टिकट दिया गया )। मैं जिस सीट पर चुनाव लड़ा, वहां सपा को सबसे ज्यादा वोट मिले थे और मेरी जीत का अंतर सबसे ज्यादा था। और इन सबके बाद मुझे सपा विधायक दल की बैठक में नहीं आने को कहा गया। मैं बैठक में शामिल होना चाहता था, लेकिन मुझे रोक दिया गया। क्या कभी किसी ने मुझे गठबंधन सहयोगियों के साथ देखा है। तो फिर गठबंधन सहयोगी जैसा व्यवहार क्यों।

‘बीजेपी से बढ़ रही नजदीकी?’
भाजपा नेताओं से शिष्टाचार मुलाकात थी। राजनीति में शिष्टाचार हमेशा रहना चाहिए। मैं एक राजनेता हूं, मुझे यह पता है। सपा नेताओं द्वारा कम ध्यान दिए जाने के बावजूद, पार्टी के अन्य नेताओं के साथ मेरे संबंध प्रभावित नहीं हुए हैं। राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। आप इस पर खुलकर कब बोलेंगे इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी नहीं बता पाऊंगा।

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