Shah Faisal News: ‘अपने हिंदू-सिख भाइयों की सुरक्षा करें कश्‍मीरी मुस्लिम’ उमर अब्‍दुल्‍ला और फैसल शाह ने जख्‍मों पर लगाया मरहम

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Shah Faisal News: ‘अपने हिंदू-सिख भाइयों की सुरक्षा करें कश्‍मीरी मुस्लिम’ उमर अब्‍दुल्‍ला और फैसल शाह ने जख्‍मों पर लगाया मरहम

श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में गुरुवार को आतंकियों ने एक स्कूल में घुसकर दो शिक्षकों को गोली मार दी। इससे पहले मंगलवार को फार्मेसी कारोबारी माखनलाल बिंदरू समेत 3 की निर्मम हत्या कर दी गई। सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई से बौखलाए आतंकियों ने अब कश्मीर में आम निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इस बीच, पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला और पूर्व नौकरशाह शाह फैसल ने मारे गए लोगों के परिवार के जख्‍मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है। उमर अब्‍दुल्‍ला ने जहां सुपिंदर कौर के घर जाकर परिजनों को ढांढस बंधाया वहीं, शाह फैसल ने कश्‍मीरी मुसलमानों से अपने हिंदू और सिख भाइयों के आंसू पोंछने की अपील की है।

सुपिंदर कौर के घरवालों से मुलाकात के बाद NC नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘यहां कोई भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता है। कश्मीर में हमारी ज़िम्मेदारी है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करें।’ वहीं शाह फैसल ने ट्वीट कर कहा कि हम कश्मीरी मुसलमानों को अपने शवों को एक तरफ रखना होगा, अपने आंसू पोंछने होंगे और अपने समाज के साहसी हिंदू और सिख सदस्यों को विश्वास दिलाने के लिए सबसे पहले आगे आना होगा। यदि इस बार एक भी कश्मीरी पंडित या सिख को कश्मीर से बाहर कर दिया गया तो इतिहास किसी भी बहाने को स्वीकार नहीं करेगा।


‘हिंदू और सिख भाइयों को ढाढंस बंधाना हमारी जिम्मेदारी’

फैसल ने दूसरे ट्वीट में लिखा कि इसमें कोई शक नहीं कि 2021 में मारे गए 28 नागरिकों में से 21 कश्मीरी मुसलमान और 7 गैर-मुस्लिम हैं। लेकिन फिर भी वीरेंद्र पासवान का अकेले में अंतिम संस्कार और प्रिसिंपल सतिंदर कौर के लिए केवल सिख अंतिम संस्कार का जुलूस कश्मीर के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। मुश्किल के इस पल में हिंदू और सिख भाइयों को ढाढंस बंधाना कश्मीर में बहुसंख्यक समुदाय पर है।

‘जातीय-धार्मिक संघर्ष सभी गुटों को विनाश की तरफ ले जाते हैं’
शाह फैसल ने तीसरे ट्वीट में कहा कि हमारे नाम पर यह क्रूरता की जा रही है और केवल हम अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता के एक प्रदर्शन के तौर से स्थिति को बचा सकते हैं। फैसल ने लिखा कि जातीय-धार्मिक संघर्ष सभी गुटों को विनाश की तरफ ले जाते हैं। लंबे वक्त तक चले इस संघर्ष के तेज होने पर सभी को मारे जाने की समान संभावना होती है। इसलिए जब कश्मीरी पंडित दूसरों के खिलाफ हिंसा को ना कहते हैं, तो वे अपने ही अस्तित्व को बढ़ाते हैं।

जनवरी से अब तक 25 टारगेट किलिंग
बता दें कि इस साल अब तक 25 लोगों को टारगेट करके मारा गया है जिनमें सबसे ज्यादा 10 टारगेट किलिंग श्रीनगर में ही हुई है। अधिकांश मामलों में गोली मारकर हत्या की गई है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल श्रीनगर में 8, कुलगाम में 5, अवंतीपोरा पुलिस जिला में 4, बारामुला और अनंतनाग में दो-दो और बडगाम व बांडीपोरा में एक-एक टारगेट किलिंग को अंजाम दिया गया है। इनमें भी सबसे ज्यादा 17 हत्याओं के पीछे लश्कर-ए-तैयबा से बनाया गया गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) है।

उमर व फैसल की अपील



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