जानिये सावन महीने और उसमें पड़ने वाले सातों दिनों का महत्व

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हिंदू कैलेंडर के पांचवे महीने को ‘सावन’ महीने के रूप में जाना जाता है। यह महीना जुलाई और अगस्त के बीच में पड़ता है। 2019 में सावन का महीना 18 जुलाई से शुरू हुआ है और 15 अगस्त तक जारी रहेगा। तमिल शास्त्रों में, इस महीने को ‘अवनि’ नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है, तो सावन मास ख़त्म हो जाता है।

पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र आकाशीय संप्रभुता के अधीन होती है। इसलिए इसे श्रावण अर्थात सावन कहा जाता है। इस महीने के दौरान प्रत्येक दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ महत्व है। सावन महीने के दौरान भोले को प्रसन्न करने के लिए शिव मंदिरों में प्रार्थना और वैदिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस महीने में नाग-पंचमी, गोवत्स, श्रावणी पूर्णिमा, वारा लक्षमी व्रत, ऋषि पंचमी, रक्षा बंधन, कालकवतिरा और पुण्यतिदिकादशी जैसे विभिन्न त्यौहार आते हैं।

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उत्तरी भारतीय राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ दक्षिणी राज्यों में ीे पंद्रह दिन पहले मनाते हैं।

इस महीने में सबसे ज्यादा शुभ समय होता है। श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करके इसका लाभ उठाते हैं। सावन के दौरान भगवान शिव को समर्पित अनुष्ठानों के माध्यम से मन, इंद्रियों, शरीर और स्वयं को शुद्ध करने वाले अनुष्ठान किये जाते हैं।

सावन महीने का महत्व

सावन के पवित्र महीने में लोग तपस्या, व्रत और प्रार्थना करते हैं। यह वह शुभ समय होता है जब भगवान शिव ने विष और हलाहल का पान करके अमृत और देवों के बीच समुद्र मंथन से निकले था। मंथन के समय महासागर ने बहुत सारे कीमती सामान जैसे रत्न, देवी धन, गाय, धनुष, चंद्रमा, शंख इत्यादि का उत्पादन किया जो राक्षसों और देवताओं द्वारा लिया गया था। समुद्र से जो रत्न निकल रहे थे, वे चौदह की संख्या में थे और उनके द्वारा विभाजित थे।

एक बार समुद्र ने हलाहला नामक जानलेवा जहर का उत्पादन किया, यह जहर ब्रह्मांड को नष्ट करने के लिए बहुत खतरनाक था, भगवान शिव ने इसे दुनिया को बचाने के लिए पीने का फैसला किया। उनकी पत्नी पार्वती ने उन्हें हलाहला पीते देख लिया, इसलिए उन्होंने भगवान शिव का गला पकड़ लिया ताकि जहर नीचे न जाए। इसकी वजह से उनका गला नीला हो गया और फिर उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा जाने लगा।

सावन महीने के दौरान आध्यात्मिक गतिविधियाँ

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सावन के महीने में घरों या शिव मंदिरों में विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियाँ जैसे पूजा, साधना, ध्यान या भजन किए जाते हैं। इस महीने के दौरान प्रत्येक दिन का अपना आध्यात्मिक महत्व होता है जैसे ..

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सोमवार: भगवान शिव की पूजा करने का दिन है।

मंगलवार: महिलाएँ अपने परिवार के बेहतर स्वास्थ्य के लिए माँ गौरी की पूजा करती हैं।

बुधवार: विट्ठल को समर्पित है यह दिन, बिठ्ठल भगवान विष्णु अर्थात कृष्ण का अवतार है।

गुरुवार: बुद्ध और गुरु की पूजा की होती हैं।

शुक्रवार: लक्ष्मी और तुलसी की पूजा का दिन होता है।

शनिवार: शनिवार का दिन शनि देव के लिए हैं। इस दिन को सावन शनिवार या धन शनिवार के रूप में भी जाना जाता है।

रविवार: सूर्य देव के लिए होता है रविवार का दिन। वैदिक काल में सूर्य पूजा आम बात थी और अब भी इसका पालन किया जाता है। विशेष रूप से सावन में प्रत्येक रविवार को सूर्य की पूजा की जाती है।