Samosa Origin: हमारा नहीं है समोसा, जानते हैं कहां से आया ये, कितना है इसका कारोबार?

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Samosa Origin: हमारा नहीं है समोसा, जानते हैं कहां से आया ये, कितना है इसका कारोबार?

Samosa Origin: हमारा नहीं है समोसा, जानते हैं कहां से आया ये, कितना है इसका कारोबार?


नई दिल्ली: देश में समोसे का बड़ा कारोबार (Samosa Business in India) है। समोसा खाना ज्यादातर लोगों को पसंद है। चाय के साथ समोसे का नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। देश के हर शहर में गली-मोहल्लों में खूब समोसे बिकते हैं। लोग समोसे को दही, चटनी, छोले आदि के साथ भी खाते हैं। सुबह और शाम के समय लोग गरमा-गरम समोसा खाना खूब पसंद करते हैं। लोगों को लगता है समोसा भारत की डिश है। लेकिन ऐसा नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि समोसा भारत की डिश नहीं है। ऐसे में समोसा भारत में कैसे (Indian Samosa History) आया? किस तरह से ये भारत में लोगों को इतना पसंद आने लगा। आईए आपको बताते हैं देश के हर शहर में बिकने वाले समोसे की पूरी कहानी।

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अरबों रुपये का कारोबार

देश में समोसे का कारोबार अरबों रुपयों का है। एक अनुमान के मुताबिक, देश में हर रोज करीब 7 से 8 करोड़ समोसे खाए जाते हैं। अभी दिल्ली एनसीआर में एक समोसा 12 से 18 रुपये में बिकता है तो छोटे शहरों में 10 रुपये। यदि एक समोसे की औसत कीमत 10 रुपये भी मानी जाए तो इस हिसाब से देखें तो समोसे का बिजनस काफी बड़ा है। इस बिजनस में लोग मोटी कमाई कर रहे हैं। देश में अब समोसे से जुड़े स्टार्टअप भी खूब बनने लगे हैं। अब भारत से विदेशों में समोसे का निर्यात भी होने लगा है। निर्यात फ्रीजन समोसे के रुपये में होता है। समोसे के दाम बढ़ने के बाद भी इसकी बिक्री में गिरावट नहीं आई है। पहले एक से दो रुपये में मिलने वाला समोसा अब 10 से 18 रुपये तक में बिकने लगा है। इसके बावजूद लोग इसे खूब खाते हैं।

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भारत में कहां से आया समोसा?

समोसे का काफी पुराना इतिहास है। यह मीलों दूर ईरान (Iran) से बहुत पहले भारत आया था। फारसी में इसका नाम ‘संबुश्क’ (sanbusak) था, जो भारत आते-आते समोसा हो गया। कई जगहों पर इसे Sambusa और samusa भी कहा जाता था। बिहार और पश्चिम बंगाल में इसे सिंघाड़ा (Singhara) कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह पानी फल सिंघाड़ा की तरह दिखता है। पहली बार समोसे का जिक्र 11वीं सदी के इतिहासकार अबुल-फल बेहाकी के लेख में मिलता है, जिन्होंने गजनवी के दरबार में ऐसी ही नमकीन चीज का जिक्र किया ता, जिसमें कीमा और मावे भरे होते थे। हालांकि समोसे को तिकोना बनाना कब शुरू किया गया, इसके बारे में तो किसी को नहीं पता, लेकिन ऐसी ही डिश ईरान में पाई जाती थी। पुराने जमाने में प्रवासियों के साथ समोसा अफगानिस्तान होते हुए भारत पहुंचा। भारत पहुंचते-पहुंचते इसमें तमाम बदलाव हुए। इसका आकार भी बदला और समोसे में भरे जाने वाली चीजें भी। ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसी जगहों में समोसे में सूखे मेवे और फल की जगह बकरे और भेड़ के मीट ने ली, जिसे कटे प्याज के साथ मिलाकर बनाते थे।

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