रुड़की नगर निगम चुनाव में बागी बन बैठे नेता

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उत्तराखंड में रुड़की नगर निगम चुनाव के नतीजों ने हर किसी को चौंका दिया है. जहां जीत के इरादे से उतरी कांग्रेस का दांव काम नहीं आया. भाजपा सरकार को टिकट का असंतोष न थामना और बागी को मैदान में उतरने देना भारी पड़ गया.

सत्ताधारी दल भाजपा ने रुड़की निगम चुनाव में मेयर पद के लिए मयंक गुप्ता को मैदान में उतारा था. इतना ही नहीं मयंक गुप्ता को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद भी माना गया, दूसरी और खुद उत्तराखंड़ के सीएम भी एक बार नगर निगम के चुनाव का प्रचार- प्रसार करने के लिए पहुंचे.

बता दें कि इस चुनाव में कुल चार लोगों की बगावत में एक गौरव गोयल ही थे जो मैदान में डटे रहे. वहीं भाजपा की रणनीति उसके काम नहीं आई और भाजपा के बागी नेता ने ही भाजपा के विरोध में ऐसा दाव खेला कि भाजपा दूसरे स्थान के बजाय तीसरे स्थान पर पहुंच गई. ये केवल भाजपा में ही नहीं हुआ है बल्कि यह कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही हुआ है.

जहां नगर निगम के चुनाव के लिए पूर्व मेयर यशपाल राणा को कांग्रेस सबसे मजबूत दावेदार मान रही थी. कानूनी विवाद को देखते हुए यशपाल राणा को तो टिकट नहीं दिया जा सका, लेकिन कांग्रेस ने राणा की पत्नी को टिकट दे दिया. जब यहां पर भी विवाद की आशंका बनी तो राणा के भाई रिशू राणा को टिकट दिया.

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अब भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही टिकट को लेकर सवाल उठए जा रहें है. कांग्रेस में कहा जा रहा है कि विवादों से नाता रखने वाले राणा परिवार का मोह त्यागकर कांग्रेस को अपने स्थानीय नेताओं पर भरोसा करना चाहिए था. ठीक इसी तरह भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ भी शिकायत की.

इस चुनाव के परिणाम यह साबित कर रहे है कि जनता ने भाजपा को नकारा है. टक्कर तो आखिरकार कांग्रेस और निर्दलीय के बीच ही थी, लेकिन भाजपा को तीसरे नंबर पर पहुंचाकर जनता ने ये साबित कर दिया कि वे प्रदेश की सरकार से बिल्कुल भी खुश नहीं है. जहां तक सवाल है टिकट का तो सबकी राय के आधार पर ही टिकट को फाइनल किया गया था.

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रुड़की नगर निगम चुनाव के आए नतीजों की समीक्षा की जाएगी. इसी के साथ ये भी देखा जाएगा की किन वजहों से पार्टी को नुकसान पहुंचा है. इन सभी मुद्दे पर अगर विचार विमर्श किया जाए, तो ऐसा लग रहा है कि बगावत का सर्वाधिक नुकसान मेयर की सीट पार्टी को ही उठाना पड़ा है.