Rohingya Case: केंद्र ने Supreme Court में कहा- देश अवैध शरणार्थियों की राजधानी नहीं बन सकता

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Rohingya Case: केंद्र ने Supreme Court में कहा- देश अवैध शरणार्थियों की राजधानी नहीं बन सकता

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जम्मू में हिरासत में लिए गए करीब 150 रोहिंग्याओं (Rohingya people) को रिहा कर शरणार्थी के रूप में रहने देने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में यूनाइटेड नेशन्स के स्पेशल ऑफिसर द्वारा दायर इंटरवेंशन अर्जी पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है. वहीं, केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश अवैध शरणार्थियों की ‘राजधानी’ नहीं बन सकता है.

प्रशांत भूषण ने दी ये दलील

चीफ जस्टिस बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना तथा जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने याचिका पर विस्तार से दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘हम इसे आदेश के लिए सुरक्षित रख रहे हैं.’ सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि रोहिंग्या (Rohingya) समुदाय के बच्चों को मारा जाता है, उन्हें अपंग कर दिया जाता है और उनका यौन शोषण किया जाता है. उन्होंने कहा कि म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का सम्मान करने में विफल रही है.

एक याचिका पहले भी हो चुकी है खारिज

केंद्र की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील म्यांमार की समस्याओं की यहां बात कर रहे हैं. मेहता ने कहा कि वे बिल्कुल भी शरणार्थी नहीं हैं और यह दूसरे दौर का वाद है क्योंकि इस अदालत ने याचिकाकर्ता, जो खुद एक रोहिंग्या है, द्वारा दाखिल एक आवेदन को पहले खारिज कर दिया था.

‘अफगान नागरिक को म्यांमार नहीं भेज सकते’

सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘इससे पहले असम के लिए भी इसी तरह का आवेदन किया गया था. वे (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि किसी रोहिंग्या (Rohingya) को निर्वासित नहीं किया जाए. हमने कहा था कि हम कानून का पालन करेंगे. वे अवैध प्रवासी हैं.’ पीठ ने कहा, तो यह कहा जा सकता है कि आप (केंद्र) तभी निर्वासित करेंगे जब म्यांमार स्वीकार कर लेगा. इस पर मेहता ने कहा कि हां, सरकार किसी अफगान नागरिक को म्यांमार नहीं भेज सकती. मेहता ने कहा, ‘हम सभी अवैध शरणार्थियों के लिए राजधानी नहीं बन सकते हैं.’

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