Rohingya Muslims को लेकर Jammu Kashmir प्रशासन का बड़ा फैसला, वेरिफिकेशन कैंपेन की शुरुआत

176


जम्मू: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) प्रशासन ने अहम फैसला लिया है. जम्मू में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslims) की बायोमिट्रिक जानकारी (Biometrics details) समेत अन्य डिटेल जुटाने का काम शनिवार से शुरू कर दिया गया है. गौरतलब है कि रोहिंग्या, म्यांमार (Myanmar) के बांग्ला बोलने वाले अल्पसंख्यक मुसलमान हैं. रोहिंग्या मुसलमान अपने देश में प्रताड़ना और उत्पीड़न से परेशान होकर बांग्लादेश के रास्ते अवैध तरीके से भारत में दाखिल होकर जम्मू समेत देश के कई हिस्सों में बस गए हैं.

स्टेडियम में लगा है कैंप

अधिकारियों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच एमएएम स्टेडियम में म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों का सत्यापन किया गया. प्रशासन के मुताबिक इस प्रक्रिया के तहत रोहिंग्या समुदाय के लोगों की बायोमिट्रिक जानकारी, रहने का स्थान आदि सहित अन्य सूचनाएं जुटायी गईं हैं. आगे भी ये अभियान जारी रहेगा. इस दौरान गहराई से पड़ताल की जा रही है. 

‘देश के लिए खतरा होने का आरोप’

म्यांमार के नागरिक अब्दुल हनान ने पत्रकारों को बताया, ‘कोविड-19 की जांच के बाद हमने एक फॉर्म भरा. हमारे फिंगरप्रिंट लिए गए.’ उन्होंने बताया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह स्टेडियम से बाहर आ गए. इस बीच कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वो रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को फौरन उनके देश वापस भेजने की दिशा में कदम उठाएं.

ये भी पढ़ें- Pakistan में फिर हिंदुओं पर हमला, Multan जिले में एक ही परिवार के 5 लोगों की गला काटकर हत्या

अपनी अपील में ये भी कहा गया है कि इस समुदाय की देश में उपस्थिति क्षेत्र की जनसांख्यिकी प्रकृति (Demographics Nature) में बदलाव की साजिश है. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि बांग्लादेशियों और रोहिंग्या लोगों की बड़े पैमाने पर मौजूदगी, इन क्षेत्रों की शांति के लिए खतरा बन चुकी है.   

रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों सहित 13,700 से ज्यादा विदेशी नागरिक जम्मू और साम्बा (Samba) जिलों में बसे हुए हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार, 2008 से 2016 के बीच उनकी जनसंख्या में 6,000 से ज्यादा की वृद्धि हुई है.

LIVE TV
 





Source link