Recession news: अमेरिका में मंदी आई तो भारत के बॉन्ड मार्केट में आएगा भूचाल, जानिए क्या है वजह

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Recession news: अमेरिका में मंदी आई तो भारत के बॉन्ड मार्केट में आएगा भूचाल, जानिए क्या है वजह

Recession news: अमेरिका में मंदी आई तो भारत के बॉन्ड मार्केट में आएगा भूचाल, जानिए क्या है वजह

अमेरिका में मंदी (recession in US) की आशंका जोर पकड़ रही है। देश में जून में महंगाई 9.1 फीसदी पर पहुंच गई है। रुपये में गिरावट और बढ़ती महंगाई के कारण जून में बेंचमार्क यील्ड दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन अमेरिका में मंदी की आशंका से भारतीय बॉन्ड्स में जोखिम पैदा हो गया है।

 

नई दिल्ली: अमेरिका में मंदी (recession in US) की आशंका दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। जून में अमेरिका में महंगाई 9.1 फीसदी पर पहुंच गई जो 41 साल में सबसे अधिक है। अमेरिकी इकॉनमी में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। दूसरी तिमाही में जीडीपी का अनुमान 28 जुलाई को जारी किया जाएगा। लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी में गिरावट को मंदी कहा जाता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर अमेरिकी की इकॉनमी मंदी की चपेट में आती है तो इससे एशिया में सबसे ज्यादा नुकसान भारत के सॉवरेन बॉन्ड्स (Indian sovereign bonds) पर पड़ेगा।

ब्लूमबर्ग की एक स्टडी के मुताबिक जब भी अमेरिका में आर्थिक सुस्ती आई है तो उसका भारतीय बॉन्ड बाजार पर काफी असर रहा है और इस बार भी ऐसा ही होने जा रहा है। रुपये में गिरावट और बढ़ती महंगाई के कारण जून में बेंचमार्क यील्ड दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन अमेरिका में मंदी की आशंका से भारतीय बॉन्ड्स में जोखिम पैदा हो गया है। अगर दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी सुस्त पड़ती है तो आउटफ्लो का प्रेशर और बढ़ जाएगा। जून तक पिछले पांच महीनों में ग्लोबल फंड्स ने भारतीय बॉन्ड्स की बिकवाली की है।

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रेपो रेट में हो सकती है बढ़ोतरी
सिंगापुर के Mizuho Bank Ltd में इकनॉमिक्स और स्ट्रैटजी के हेड विष्णु वर्द्धन ने कहा कि अगर अमेरिका में मंदी आती है तो भारत में रुपी बॉन्ड्स में भारी बिकवाली देखने को मिलेगी।अभी रुपया डॉलर के मुताबिक रेकॉर्ड लो लेवल पर ट्रेड कर रहा है। जानकारों का कहना है कि अगले छह महीने में रुपया 82 के स्तर तक खिसक सकता है। यील्ड्स पर पहले ही दबाव दिख रहा है क्योंकि सरकार ने इस वित्त वर्ष में रेकॉर्ड 14.3 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचने की योजना बनाई है। नियर टर्म में रुपी बॉन्ड्स को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। खुदरा महंगाई आरबीआई की तय सीमा से ऊपर बनी हुई है। इसे काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक अगले 12 महीने में रेपो रेट में 150 बेसिस अंक की बढ़ोतरी कर सकता है।

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Web Title : if us falls into recssion than indian bonds will suffer most in asia
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