राधाकृष्णन और विवेकानंद जी की हिंदू धर्म को लेकर एक समान विचारधारा कौन सी थी

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स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद

डॉ॰सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी और स्वामी विवेकानंद जी का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी और स्वामी विवेकानंद की विचारधारा में हिंदू धर्म को लेकर एक समानता थी. स्वामी विवेकानंद ने अपना जीवन हिंदू धर्म के उत्थान और तर्क के आधार पर हिंदू धर्म के महत्व और समृद्ध इतिहास को लोगों के सामने रखा. उस समय पश्चिम देशों की तरफ से ईसाई धर्म को महत्व दिया जा रहा था तथा हिंदू धर्म की लगातार आलोचना की जा रही थी. स्वामी विवेकानंद जी ने तर्क के आधार पर साबित किया कि हिंदू धर्म वैज्ञानिकता पर आधारित है तथा प्राचीन समय में हिंदू धर्म बहुत समृद्ध रहा है.

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स्वामी विवेकानंद

वहीं अगर भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ॰सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की बात करें तो हिंदू धर्म और दर्शन उनकी विचारधार भी स्वामी विवेकानंद जी से मिलती है. डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने अपनी पढ़ाई ईसाई धर्म की संस्थाओं से पूरी की. लेकिन उसके बावजूद उन्होंने हिंदू धर्म के शास्त्रों का गहन अध्ययन किया. इसका कारण यह था कि उस समय हिंदू धर्म की बहुत आलोचना की जा रही थी, उन आलोचनाओं को चुनौती की तरह लेते हुए सत्य की तलाश में डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी हिंदू शास्त्रो का गहन अध्ययन किया.

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डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

हिंदू शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने यह जान लिया था कि भारतीय आध्यात्म काफी समृद्ध है और ईसाई मिशनरियों द्वारा हिंदुत्व की आलोचनाएं निराधार है. उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि भारतीय संस्कृति धर्म, ज्ञान और सत्य पर आधारित है, जो प्राणी को जीवन का सच्चा संदेश देती है. स्वामी विवेकानंद जी के भी यहीं विचार थे.

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ये कहना बिल्कुल सही होगा कि डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी और स्वामी विवेकानंद जी की हिंदू धर्म को लेकर विचारधार में कुछ-कुछ समानता थी.