बच्चो को बूढ़ा बनाने वाली ‘प्रोजेरिया’ का इलाज अब है सम्भव ।

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वैज्ञानिकों ने बच्चो को कम उम्र में ही ‘बूढ़ा’ बनाने वाली प्रोजेरिया रोग का इलाज ढूंढ निकला है। मानव कोशिकाओं की उम्र बढ़ाने वाली प्रक्रिया को धीमा कर रहे और उन्हें दोबारा जवान बनाकर रोग पर काबू पाया जा सकता है।
अमेरिका स्थित ह्यूस्टन मेथोडिस्ट रीसर्च इन्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने प्रोजेरिया पीड़ित बच्चे की कोशिकाओं का अध्ययन किया। शोध टीम में शामिल जॉन पी.कुक ने बताया, हम इस अध्ययन से पीड़ित बच्चो को सामान्य जिंदगी देने की कोशिश कर रहे है। अगर हम उनकी कोशिकाओं के कार्य में बदलाव कर सकें तो ऐसे बच्चो को दोबारा लम्बी उम्र दिया जाना सम्भव हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि हमारा पूरा ध्यान कोशिकाओं में पाए जाने वाले ‘टीलोमीयर्स’ छोटे होते है। प्रोजेरिया से पीड़ित बच्चो में ये टालोमीयर्स काफी तेज़ी से छोटी होते है। जिससे उनकी उम्र अपनी वास्तविक आयु से कई साल ज्यादा नजर आती है।

क्या है प्रोजेरिया
अमिताभ बच्चन ने फिल्म ‘पा’ में प्रोजेरिया पीड़ित बच्चे का किरदार निभाया था। इस अनुवांशिक बिमारी में शरीर बूढ़ा होने लगता है। इससे पीड़ित अधिकतर बच्चो को उम्र 13 साल से ज्यादा नहीं होती है। हालांकि यह दुर्लभ बिमारी है, जो 40 लाख बच्चो में से किसी एक को होती है। जीन में गड़बड़ी पर कोशिकाओं द्वारा ‘प्रोजेरिन’ प्रोटीन का अवशोषण करने पर होती है।

आरएनए की मदद
शोधकर्ताओं ने आरएनए चिकत्साशास्त्र तकनीत के जरिये एक कोशिका से टीलोमेरेज की लम्बाई बढ़ता है। इसे प्रोजेरिया पीड़ित कोशिकाओं में कुछ दिनों के लिए डाला, जिसके बाद उसकी कार्यक्षमता और उम्र बढ़ी नजर आई ।

प्रक्रिया को उल्टा किया
कुक ने बताया कि जब हमने कोशिकाओं में टीलोमीयर्स के छोटे होने की प्रक्रिया को उल्टा किया और उसकी लम्बाई बधाई तो उम्र बढ़ने संबंधी कई समस्याओं का समाधान सामने आया। इसके बाद कोशिकाओं ने सामान्य तरीके से काम करना शुरू कर दिया और उनकी आयु सीमा बढ़ गई।

कोशिका विभाजन बढ़ा
ह्यूस्टन मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्तओं की टीम में शामिल जॉन पी. कुक ने बताया कि इस तकनीक के इस्तेमाल के बाद प्रोजेरिया पीड़ित कोशिकाओं का विभाजन भी बढ़ने लगा। ये ज्वलनशील प्रोटीन का निर्माण भी करने लगे, जो कोशिकाओं कि बढ़ती उम्र को दर्शाता है।