‘बाल काटे है या नहीं’, यह कहना जल्दबाजी होगी।

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चोटी कटने की दहशत दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। चोटी के कटने को लेकर चल रही चर्चाओं का होना लाजमी है, सब जानना चाहते है यह अफवाह है, साजिश है या कोई बिमारी? यह अभी कोई नहीं जानता ऐसा क्यों हो रहा है? चोटी काटने के मामले में पुलिस ने अब इहबास ( Institute of Human Behavior and Allied Sciences ) की मदद ली है। इहबास की एक टीम ने कांगनहेड़ी इलाके की दो महिलाओं की कॉउंसलिंग की है। इहबास के निदेशक डॉ. निमेश जी देसाई ने कहा कि अभी यह कहना है कि महिलाओं ने बाल काटे है या नहीं, बेहद जल्दबाजी होगी।

डॉ. निमेश ने बताया कि प्राथमिक तौर पर यह कोई गंभीर बिमारी नहीं लगती है। इहबास की एक टीम ने दो महिलाओं की कॉउंसलिंग की है। उन्होंने कहा कि चोटी कटने की वजह जानने के लिए महिलाओं के व्यवहार, सोच विचार सामाजिक सांस्कृति परिवेश को समझना होगा। इसके लिए एक ही कॉउंसलिंग में परिणाम समझ में आ जाये यह कहना बेहद मुश्किल है। इसके लिए लगातार इन महिलाओं की कॉउंसलिंग करनी होगी। इसके साथ ही इन महिलाओं की प्रगति भी देखनी होगी कि वह किस तरह से मनोचिकित्सकों की बातों का जवाब दे रही है।
डॉ. निमेश ने भी महिलों के बाल काटने के सवाल के जवाब में यही कहा कि हाँ या ना कहना मुश्किल होगा, इसके लिए महिलाओं की प्रगति की रिपोर्ट का इन्तजार करना होगा।

कांगनहेड़ी में महिलाओं की चोटी कटने के मामले में पुलिस की कार्यवाही भी चल रही है, कैमरे में कैद हुए संदिग्ध तीन लोगो के आधार पर वहां की स्थानीय पुलिस ने कुछ चोरो पर शक जताया था। मगर पुलिस की यह कहानी फिलहाल फ्लॉप साबित हुई है। चोरो पर शक जताने वाला कारण लोगो को झूठ लग रहा है, लोग इस बात को मानने को तैयार ही नहीं है, तैयार होंगे भी क्यों इस बात के लिए कोई पुख्ता तर्क पुलिस अभी तक नहीं दे पाई है। पुलिस के अलावा अधिकारी अभी भी इस मामले में उधेड़बुन में लगे है कि आखिरकार यह कैसे हो रहा है।