Pollution in Delhi: दिल्ली में साफ हवा के दिन खत्म, आने वाल हफ्ता है बेहद संवेदनशील
हाइलाइट्स
- साफ हवा में सांस लेने की सौगात कल से छिनती जाएगी
- बारिश-हवाओं ने रोके रखा था, अब बढ़ेगा दिल्ली में प्रदूषण
- पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने और पटाखों से बढ़ेगा पलूशन
नई दिल्ली: बारिश और हवाओं ने इस साल प्रदूषण को अक्टूबर में भी दूर रखा है। लेकिन, यह सौगात अब खत्म होने वाली है। कल से प्रदूषण बढ़ने की संभावना है। हवाओं की दिशा में बदलाव के साथ ही 27 अक्टूबर से प्रदूषण बढ़ना शुरू हो जाएगा। आने वाला हफ्ता प्रदूषण के लिहाज से काफी संवेदनशील है। इस हफ्ते में एक तरफ जहां खूब पराली जलने की संभावना है, वहीं दिवाली में आतिशबाजी भी इसमें इजाफा करेगी है।
गौरतलब है कि पराली का सीजन 15 सितंबर से ही शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार मॉनसून की देरी और सितंबर-अक्टूबर में बारिश की वजह से हरियाणा, पंजाब, यूपी के किसानों को पराली जलाने का मौका नहीं मिला। एक्सपर्ट के अनुसार, पराली के मामले अब तक कम होना इसी वजह से हैं। लेकिन, अब आने वाले समय में मौसम शुष्क रहने वाला है। वहीं अब अगली फसल की बुआई के लिए समय भी कम रह गया है। इसलिए अब 10 से 15 दिनों में पराली जलने के सबसे अधिक मामले सामने आ सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ 4 नवंबर को दिवाली है। बैन के बावजूद राजधानी और एनसीआर में आतिशबाजी देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर दिवाली पर पिछले साल जैसा ट्रेंड ही रहा तो राजधानी का सामना बेहद जहरीले माहौल से हो सकता है।
सफर के अनुसार, अगले तीन दिनों में हवाओं की गति बेहद कम नहीं होने वाली। लेकिन शुष्क मौसम के चलते पराली जलाने के मामले बढ़ेंगे। नॉर्थ वेस्ट की तरफ से प्रदूषित हवाएं आनी शुरू हो जाएंगी, जिसकी वजह से राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ेगा। सफर के मुताबिक, पिछले 24 घंटे के दौरान पराली जलाने के महज 127 मामले सामने आए हैं। पराली प्रदूषण राजघानी में छह प्रतिशत रहा। लेकिन इसकी वजह यह भी हो सकती है कि बादलों की वजह से सैटेलाइट पराली जलाने के मामलों को ट्रेस न कर पाई हों। 27 से 28 अक्टूबर तक हवा ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच जाएगी। आईआईटीएम पुणे के अनुसार, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के कुछ मामले सामने आए हैं।
बारिश की वजह से हवा हुई साफ
बारिश की वजह से रविवार को हवा साफ रही। सीपीसीबी के एयर बुलेटिन के अनुसार, राजधानी का एक्यूआई स्तर महज 82 रहा। यह संतोषजनक स्तर है। इसके अलावा बल्लभगढ़ का 88, फरीदाबाद का 77, गाजियाबाद का 80, ग्रेटर नोएडा 90, गुरुग्राम 90 और नोएडा 150 पर रहे।
दिल्ली में प्रदूषण (फाइल फोटो)
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हाइलाइट्स
- साफ हवा में सांस लेने की सौगात कल से छिनती जाएगी
- बारिश-हवाओं ने रोके रखा था, अब बढ़ेगा दिल्ली में प्रदूषण
- पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने और पटाखों से बढ़ेगा पलूशन
गौरतलब है कि पराली का सीजन 15 सितंबर से ही शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार मॉनसून की देरी और सितंबर-अक्टूबर में बारिश की वजह से हरियाणा, पंजाब, यूपी के किसानों को पराली जलाने का मौका नहीं मिला। एक्सपर्ट के अनुसार, पराली के मामले अब तक कम होना इसी वजह से हैं। लेकिन, अब आने वाले समय में मौसम शुष्क रहने वाला है। वहीं अब अगली फसल की बुआई के लिए समय भी कम रह गया है। इसलिए अब 10 से 15 दिनों में पराली जलने के सबसे अधिक मामले सामने आ सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ 4 नवंबर को दिवाली है। बैन के बावजूद राजधानी और एनसीआर में आतिशबाजी देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर दिवाली पर पिछले साल जैसा ट्रेंड ही रहा तो राजधानी का सामना बेहद जहरीले माहौल से हो सकता है।
सफर के अनुसार, अगले तीन दिनों में हवाओं की गति बेहद कम नहीं होने वाली। लेकिन शुष्क मौसम के चलते पराली जलाने के मामले बढ़ेंगे। नॉर्थ वेस्ट की तरफ से प्रदूषित हवाएं आनी शुरू हो जाएंगी, जिसकी वजह से राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ेगा। सफर के मुताबिक, पिछले 24 घंटे के दौरान पराली जलाने के महज 127 मामले सामने आए हैं। पराली प्रदूषण राजघानी में छह प्रतिशत रहा। लेकिन इसकी वजह यह भी हो सकती है कि बादलों की वजह से सैटेलाइट पराली जलाने के मामलों को ट्रेस न कर पाई हों। 27 से 28 अक्टूबर तक हवा ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच जाएगी। आईआईटीएम पुणे के अनुसार, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के कुछ मामले सामने आए हैं।
बारिश की वजह से हवा हुई साफ
बारिश की वजह से रविवार को हवा साफ रही। सीपीसीबी के एयर बुलेटिन के अनुसार, राजधानी का एक्यूआई स्तर महज 82 रहा। यह संतोषजनक स्तर है। इसके अलावा बल्लभगढ़ का 88, फरीदाबाद का 77, गाजियाबाद का 80, ग्रेटर नोएडा 90, गुरुग्राम 90 और नोएडा 150 पर रहे।
दिल्ली में प्रदूषण (फाइल फोटो)