Pension Calculator: पेंशन को लेकर गुड न्यूज, बढ़ने वाली है 6 हजार रुपए तक पेंशन | mp govt hikes 4 percent dearness relief (DR) for pension calculation | News 4 Social
यहां कैल्कुलेट करें अपनी पेंशन
(Dearness Relief (DR) Calculator)
हाल ही में हुए इस फैसले से थोड़ी खुशी, थोड़ा गम का माहौल है। क्योंकि मध्यप्रदेश के कर्मचारी इस बढ़ोत्तरी के बाद भी पीछे रह गए हैं। यह घोषणा आचार संहिता लगने से एक दिन पहले कर दी गई थी। यह महंगा राहत एक जुलाई 2023 से लागू स्वीकृत की गई है। जबकि इसे 1 मार्च 2024 से लागू कर दिया गया है। यानी एक जुलाई 2023 से अब तक का एरियर्स भी दिया जाएगा, जो एक समान तीन किस्तों में दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति मिलने के बाद इसे लागू कर दिया गया है। इस बढ़ोत्तरी से राज्य के साढ़े चार लाख से अधिक पेंशनर्स को लाभ मिलेगा। अलग-अलग वेतनमान वाले पेंशनर्स को अलग-अलग वेतन मिलेगा। जैसे किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी एक लाख रुपए थे। उसी प्रकार उसकी पेंशन करीब 50 हजार रुपए बनती है। इसमें चार फीसदी की बढ़ोत्तरी होने पर करीब दो हजार रुपए का इजाफा होगा। इससे भी अधिक पेंशन वाले कर्मचारी हैं जिन्हे 6 हजार रुपए तक का इजाफा पेंशन में होे वाला है। जबकि कम से कम 1200 के आसपास पेंशन में इजाफा होगा।
आदेश में क्या-क्या
महंगाई राहत अधिवार्षिकी, सेवानिवृत्त असमर्थता तथा क्षतिपूर्ति पेंशन पर देय होगी। सेवा से पदच्युत या सेवा से हटाए गए कर्मचारियों को स्वीकार किए गए अनुकंपा भत्ता पर भी महंगाई राहत की पात्रता होगी। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु के कारण अनुकंपा के आधार पर सेवा में रखा गया है तो ऐसे मामलों में रिवार पेंशन पर महंगाई राहत की पात्रता नहीं होगी।
साढ़े छह लाख कर्मचारियों के लिए भी चार फीसदी महंगाई भत्ते की घोषणा इसके पहले की जा चुकी है। लेकिन, कर्मचारियों को इससे निराशा है। क्योंकि कर्मचारियों को उम्मीद थी कि आचार संहिता से पहले राज्य की मोहन सरकार 8 फीसदी महंगाई भत्ता देने की घोषणा करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गौरतलब है कि राज्य सरकार हर बार चुनाव से पहले ऐलान करती है कि केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दी जाएगी, लेकिन हमेशा ही केंद्र सरकार आगे निकल जाती है और राज्य सरकार पिछड़ जाती है। इसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। जब केंद्र सरकार एक जनवरी से इसे लागू करती है तो राज्य सरकार देरी से लागू करता है और कुछ महिनों का पैसा बचा लेती है।
छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति क्यों?
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विभाजन के समय मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 (6) की संवैधानिक बाध्यता के कारण छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना जरूरी होता है। इसके मुताबिक राज्य को महंगाई राहत में बढ़ोत्तरी करने से पहले दोनों सरकारों का सहमत होना जरूरी है। क्योंकि इससे जो आर्थिक भार आता है, उसका 74 फीसदी हिस्सा मध्यप्रदेश और 26 प्रतिशत छत्तीसगढ़ वहन करता है। यह प्रावधान अविभाजित मध्यप्रदेश के पेंशनर्स पर लागू होता है।
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हाल ही में हुए इस फैसले से थोड़ी खुशी, थोड़ा गम का माहौल है। क्योंकि मध्यप्रदेश के कर्मचारी इस बढ़ोत्तरी के बाद भी पीछे रह गए हैं। यह घोषणा आचार संहिता लगने से एक दिन पहले कर दी गई थी। यह महंगा राहत एक जुलाई 2023 से लागू स्वीकृत की गई है। जबकि इसे 1 मार्च 2024 से लागू कर दिया गया है। यानी एक जुलाई 2023 से अब तक का एरियर्स भी दिया जाएगा, जो एक समान तीन किस्तों में दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति मिलने के बाद इसे लागू कर दिया गया है। इस बढ़ोत्तरी से राज्य के साढ़े चार लाख से अधिक पेंशनर्स को लाभ मिलेगा। अलग-अलग वेतनमान वाले पेंशनर्स को अलग-अलग वेतन मिलेगा। जैसे किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी एक लाख रुपए थे। उसी प्रकार उसकी पेंशन करीब 50 हजार रुपए बनती है। इसमें चार फीसदी की बढ़ोत्तरी होने पर करीब दो हजार रुपए का इजाफा होगा। इससे भी अधिक पेंशन वाले कर्मचारी हैं जिन्हे 6 हजार रुपए तक का इजाफा पेंशन में होे वाला है। जबकि कम से कम 1200 के आसपास पेंशन में इजाफा होगा।
आदेश में क्या-क्या
महंगाई राहत अधिवार्षिकी, सेवानिवृत्त असमर्थता तथा क्षतिपूर्ति पेंशन पर देय होगी। सेवा से पदच्युत या सेवा से हटाए गए कर्मचारियों को स्वीकार किए गए अनुकंपा भत्ता पर भी महंगाई राहत की पात्रता होगी। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु के कारण अनुकंपा के आधार पर सेवा में रखा गया है तो ऐसे मामलों में रिवार पेंशन पर महंगाई राहत की पात्रता नहीं होगी।
साढ़े छह लाख कर्मचारियों के लिए भी चार फीसदी महंगाई भत्ते की घोषणा इसके पहले की जा चुकी है। लेकिन, कर्मचारियों को इससे निराशा है। क्योंकि कर्मचारियों को उम्मीद थी कि आचार संहिता से पहले राज्य की मोहन सरकार 8 फीसदी महंगाई भत्ता देने की घोषणा करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गौरतलब है कि राज्य सरकार हर बार चुनाव से पहले ऐलान करती है कि केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दी जाएगी, लेकिन हमेशा ही केंद्र सरकार आगे निकल जाती है और राज्य सरकार पिछड़ जाती है। इसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। जब केंद्र सरकार एक जनवरी से इसे लागू करती है तो राज्य सरकार देरी से लागू करता है और कुछ महिनों का पैसा बचा लेती है।
छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति क्यों?
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विभाजन के समय मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 (6) की संवैधानिक बाध्यता के कारण छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना जरूरी होता है। इसके मुताबिक राज्य को महंगाई राहत में बढ़ोत्तरी करने से पहले दोनों सरकारों का सहमत होना जरूरी है। क्योंकि इससे जो आर्थिक भार आता है, उसका 74 फीसदी हिस्सा मध्यप्रदेश और 26 प्रतिशत छत्तीसगढ़ वहन करता है। यह प्रावधान अविभाजित मध्यप्रदेश के पेंशनर्स पर लागू होता है।