असदुद्दीन ओवैसी ने कहा राजपूतों से कुछ सीखिए, शरियत के लिए एक साथ खड़े हो

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ऑल इंडिया मजलिस ए इतेहादुल मुसलिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम समुदाय को साथ होने की हिदायत दी है. एक कार्यक्रम में भारतीय मुसलामानों को ललकारते हुए ओवैसी ने अपनी संस्कृति को बचाने के लिए राजपूतों से सीख लेने की नसीहत दी. ओवैसी ने कहा कि जब 4 फीसदी राजपूत एकजुट होकर पद्मावत की रिलीज के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर सकते हैं तो 14 फीसदी मुसलमान शरीयत कानून को बचाने के लिए एकजुट क्यों नहीं हो सकते हैं? एक न्यूज़ चैनल के सूत्रों के मुताबिक़ ओवैसी ने कहा, “जब फिल्म में रानी पद्मावती पर कुछ गलत दिखाया गया तो 4 फीसदी राजपूत फिल्म के खिलाफ उठ खड़े हुए और कहने लगे थिएटर जला दूंगा, एक्टर की नाक काट लूंगा, फिल्म डायरेक्टर का सिर धड़ से अलग कर दूंगा लेकिन सिनेमा रिलीज़ होने नहीं दूंगा. वे लोग मात्र चार फीसदी हैं लेकिन उन्होंने अपनी आवाज़ सही तरीके से सभी जगह पहुंचा दी मगर हमलोग असहाय बने हुए हैं.”

राजपूतों की तरह लड़ें मगर सही के लिए

इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी काफी आक्रोशित नज़र आये. ओवैसी ने कहा कि राजपूतों ने मुसलमानों को आइना दिखा दिया है. उन्होंने कहा कि अभी भी उनका संघर्ष जारी है. वो फिल्म रिलीज़ नहीं होने देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन शरीयत को बचाने के लिए हमलोग क्या कर रहे हैं?

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 जनवरी) को भी फिल्म का विरोध करने वालों के झटका देते हुए सभी राज्य सरकारों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होगी. कोर्ट ने कहा कि लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अनुपालन के लिए है. लोगों को इस आदेश का पालन करना ही होगा.

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कोर्ट ने सुधार की अपाल को ठुकराया

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की उस याचिका को ठुकरा दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट के 18 जनवरी के फैसले में सुधार करने की अपील की गई थी. दोनों राज्यों ने फिल्म के प्रदर्शन की वजह से कानून-व्यवस्था बिगड़ने की बात कही थी लेकिन अदालत ने उनकी कोई दलील नहीं मानी. कोर्ट ने कहा कि कानून-व्यवस्था कायम करना राज्यों की जिम्मेदारी है.

दरअसल सेंसर बोर्ड से क्लीन चिट मिलने के बावजूद चार राज्यों (हरयाणा, राजस्था, मध्य प्रदेश, गुजरात) ने इस फिल्म को प्रदर्शित न करने का फैसला किया था. फिल्म के निर्माता राज्यों के इस बैन के खिलाफ उच्च न्यायालय गए थे. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा लगाई गई रोक को हटाते हुए फिल्म को पूरे देश में रिलीज़ करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है.