Netaji Birth Anniversary : अंग्रेजों ने सुभाष चंद्र बोस को जिस जेल में दो बार किया कैद वहां आज भी उनकी यादें… जयंती पर पब्लिक के लिए खुला

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Netaji Birth Anniversary : अंग्रेजों ने सुभाष चंद्र बोस को जिस जेल में दो बार किया कैद वहां आज भी उनकी यादें… जयंती पर पब्लिक के लिए खुला

हाइलाइट्स

  • स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान नेताजी दो बार सेंट्रल जेल में रहे कैद
  • जबलपुर सेंट्रल जेल में नेताजी से जुड़ी यादें आज भी सुरक्षित
  • 2007 में जबलपुर सेंट्रल जेल का नामकरण नेताजी के नाम पर हुआ
  • उनकी जयंती पर पब्लिक के लिए खोल दिया गया है वह बैरक

जबलपुर : एमपी सरकार (mp government) ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर जबलपुर सेंट्रल जेल (subhas chandra bose central jail jabalpur ) की एक बैरक को जनता के लिए खुला रखने की घोषणा की है। अंग्रेजी हुकूमत से लड़ाई के दौरान जबलपुर सेंट्रल जेल (subhas chandra bose memorial open) के इसी बैरक में नेताजी को छह माह तक रखा गया था। इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister narendra modi) ने दिल्ली के इंडिया गेट पर नेताजी की भव्य प्रतिमा लगाने की घोषणा की थी। इस बैरक में नेताजी से जुड़ी कई यादें हैं। इन्हें देखकर लोग नेताजी को याद कर सकते हैं।

इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि इसी तरह सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि जबलपुर केंद्रीय जेल के जिस बैरक में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 1933-34 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान छह महीने तक रखा गया था, वह रविवार को जनता के खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बैरक शनिवार और रविवार को सुबह दस बजे से दोपहर 2.30 बजे तक खुला रहेगा। इस स्थान को एक संग्रहालय का आकार दिया गया है, जहां नेताजी की तरफ से उपयोग की गई वस्तुएं जैसे उनके कपड़े, बेड़ियां, उनका हस्तलिखित पत्र, उनकी जेल यात्रा से संबंधित पत्र और शिलालेख रखे गए हैं।

बैरक में लोगों के जाने के लिए एक अलग रास्ता बनाया गया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली के बाद बोस को समर्पित देश का यह दूसरा संग्रहालय होगा। सीएम चौहान भोपाल में बोस के नाम पर एक ओवरब्रिज का भी लोकार्पण करेंगे। पिछले साल बैरकों का दौरा करते हुए चौहान ने घोषणा की थी कि वीर सावरकर के लिए अंडमान और निकोबार की सेलुलर जेल की तर्ज पर जबलपुर की बैरक को नेताजी के एक स्मारक के तौर पर बदला जाएगा। जबलपुर की सेंट्रल जेल का नाम 2007 में नेताजी के नाम पर रखा गया था।

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ये है जबलपुर से नेताजी का रिश्ता
1938 में त्रिपुरी कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी जबलपुर आये थे। इसके अलावा नेताजी का जबलपुर की केंद्रीय जेल से भी गहरा रिश्ता रहा है। ब्रिटिश सरकार ने जब उन्हें सजा सुनाई थी, तब नेताजी 22 दिसंबर 1931 को इसी जेल में लाए गए थे और 16 जुलाई 1932 को उन्हें मुंबई की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके बाद नेताजी को अंग्रेजों ने 18 फरवरी 1933 को जबलपुर जेल में रखा और 22 फरवरी 1933 को मद्रास भेज दिया था।

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वहीं, जेल की जिस बैरक में उन्हें अंग्रेजों ने रखा था, उस बैरक में मौजूदा वस्तुएं आज भी उसी हाल में रखी हुई हैं। नेताजी के हस्ताक्षर वाला जेल रजिस्टर और उनके नाम का वारंट आज भी जबलपुर जेल में सुरक्षित रखा गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार में स्थित सुभाष वार्ड को आम जनता को देखने के लिके खोला जा रहा है। इसके लिए जेल के मुख्यद्वार से अलग एक द्वार का निर्माण कराया गया है, जहां से आम जन नेताजी की बैरक को आसानी से देख सकेंगे।

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