जानें नवरात्रि पूजन की विधि क्या है

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Mata Rani
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जानें नवरात्रि पूजन की विधि क्या है

शक्ति की प्रतीक मां दुर्गा की उपासना का पर्व है नवरात्रि. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाले ‘वासन्तिक’ नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नववर्ष का भी शुभारम्भ होता है. 9 दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता के यह नौ रूप हैं− श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कूष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी और श्री सिद्धिदात्री.

मां दुर्गा की उपासना
मां दुर्गा की उपासना

नौ देवियाँ है 

  • शैलीपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है
  • ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी
  • चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली.
  • कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है.
  • स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता.
  • कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि.
  • कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली.
  • महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां.
  • सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली.
नवरात्रि पूजा
नवरात्रि पूजा

नवरात्रि पूजा की विधि –

नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा की पूजा से पहले साधक को स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिएं.इसके बाद लकड़ी की चौकी पर गंगाजल ड़ालकर उसे शुद्ध करना चाहिए और उस पर शुद्ध वस्त्र बिछाना चाहिए.

इसके बाद चावल का अष्टदल कमल पर कलश स्थापित करें और उस पर मौली बांधे. इसके साथ ही कलश पर भी तिलक करें और अखंड दीप जलाकर , फूलों से जल लेकर प्रतिमा और कलश पर जल छिड़कें. नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना और कन्या पूजा का विशेष महत्व है. मिट्टी से बनाए गए वेदी पर कलश की स्थापना की जाती है.

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वेदी पर जौ और गेंहू बो दें , उस पर मिट्टी या तांबे का कलश विधिपूर्वक स्थापित करें. इसके बाद आप श्रीदुर्गासप्तमी और दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं.

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