भाजपा ने उठाये 3 बड़े कदम, 2019 में नहीं चाहते गोरखपुर, कैराना जैसी हालत

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यूपी में 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत के बाद भी उपचुनावों में हार से बीजेपी ने  सबक लेने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर सीट पर हार  जहां पार्टी के लिए चौंकाने वाली रही वहीं प्रतिष्ठापरक कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में भी हार ने मुसीबत बढ़ा दी।लगातार तीन लोकसभा सीटों के उपचुनाव में हार के कारण पार्टी के अंदरखाने भी सवाल उठने शुरू हुए। हरदोई के गोपामऊ विधायक श्याम प्रकाश ने तो फेसबुक पर कविता लिखकर योगी आदित्यनाथ को मोदी की कृपा से गद्दी मिलने की बात कह डाली। ऐसे में कहीं 2019 में भी उपचुनावों की तरह नुकसान न उठाना पड़े, इससे बचने के लिए बीजेपी ने नई रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हाल में उठाए गए तीन कदमों से पता चलता है कि बीजेपी उपचुनाव के नतीजों को कितनी गंभीरता से ले रही है।

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यूपी में सबसे प्रमुख कदम संगठन स्तर पर फेरबदल का रहा। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ ने आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारकों को क्षेत्रीय संगठन मंत्री के रूप में तैनाती दी है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री जनप्रतिनिधियों और संगठन के बीच समन्वय बनाकर पार्टी और सरकार की नीतियों को धरातल पर उतारने पर फोकस करेंगे। फेरबदल के मुताबिक अब तक यूपी बीजेपी के प्रकोष्ठों के प्रभारी रहे प्रद्युम्न  अब लखनऊ में अवध क्षेत्र के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे, वहीं रत्नाकर को काशी के साथ गोरखपुर के क्षेत्रीय संगठन मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। ब्रज क्षेत्र के संगठन मंत्री भवानी सिंह को कानपुर-बुंदेलखंड की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। भवानी सिंह का केंद्र आगरा होगा।इस फेरबदल के पीछे बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले संघ की बैठक में संगठन मंत्री का जिम्मा पूर्णकालिक प्रचारकों को ही देना का निर्णय किया गया था। यही वजह है कि नए फेरबदल में गोरखपुर के संगठन मंत्री शिव कुमार, कानपुर के ओमप्रकाश, अवध क्षेत्र के संगठन मंत्री बृज बहादुर को हटा दिया गया। बताया गया कि ये पहले भले थे, मगर मौजूदा समय आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक नहीं है। हालांकि, पार्टी का कहना है कि तीनों लोगों को संगठन में कुछ अन्य जिम्मेदारियां दी जाएंगी।

2019 में किसी तरह की कोई चूक न हो, इसके लिए एक और कदम बीजेपी ने उठाया है। यह कदम है हर सांसद का आंतरिक रिपोर्ट कार्ड तैयार करने का। यह रिपोर्ट कार्ड संघ के पदाधिकारी ही तैयार करेंगे, जिसमें क्षेत्रीय संगठन मंत्री की मदद ली जाएगी। इसमें सांसद की लोकप्रियता, इलाके में कराए गए कार्य, जनता के लिए उपलब्धता आदि मानकों पर रिपोर्ट कार्ड तैयार होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिन सांसदों की रिपोर्ट कार्ड खराब मिलेगी, उनका टिकट कट सकता है।तीसरा कदम बीजपी ने उठाया है विधानसभा से लेकर बूथवार संगठन की मजबूती का। इसके लिए उन विधानसभा क्षेत्रों पर खासतौर से फोकस किया जा रहा है, जहां 2017 में लहर के बावजूद सफलता नहीं मिली थी। उन बूथों को भी चिह्नित करने का काम चल रहा है, जहां पार्टी को अपेक्षित वोट नहीं मिले। इन सब सधे कदमों के जरिए बीजेपी 2019 की सियासी वैतरिणी पार करने की तैयारी में जुटी है।