MP Election- कभी जहां डाकू समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ वोट देने की हिम्मत नहीं थी, आज वहां खुलकर चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी | No more fear after the abolition of bandit | Patrika News

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MP Election- कभी जहां डाकू समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ वोट देने की हिम्मत नहीं थी, आज वहां खुलकर चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी | No more fear after the abolition of bandit | Patrika News

डाकुओं के प्रभाव वाली रानीपुर, पड़मनिया जागीर, सेजवार, खरहा और टेढ़ी पड़मनिया जैसी पंचायतों में पहली बार राजनीतिक आजादी देखने को मिल रही है। मतदाता गांव के विकास के लिए शिक्षित प्रत्याशी चुनने का मन बना चुके हैं।

पहले डाकुओं का आतंक इतना था कि डाकू समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ मतदाता वोट देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। आलम यह था कि रानीपुर में डकैत ठोकिया, पड़मनिया जागीर में गौरी यादव, टेढ़ी में डकैत सुंदर पटेल के परिजन व रिश्तेदार ही सरपंच बने हैं।

पहली बार लगा…
पाथर गांव के रामजी गर्ग बताते हैं कि पहली बार ऐसा लग रहा है जैसे गांव में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। पंच और सरपंच प्रत्याशी घर-घर जाकर विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं।

टेढ़ी पड़मनिया से सरपंच का चुनाव लड़ चुके पंकज पटेल के अनुसार डकैतों का खौफ इतना था कि पर्चा तो दाखिल कर देते थे, लेकिन कोई भी समर्थक डकैत समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार नहीं कर पाता था।

किसी ने धमकाया तो होगी कार्रवाई
सतना एसपी आशुतोष गुप्ता के अनुसार तराई क्षेत्र के दस्यु प्रभावित गांवों के लोग खुलकर मतदान कर सकें, इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

मैंने तराई की पंचायतों का दौरा कर उम्मीदवारों एवं मतदाताओं से मुलाकात कर उन्हें निर्भीक होकर चुनाव लडऩे और मतदान करने को कहा है। यदि किसी ने बदमाशों के नाम पर ग्रामीणों को धमकाया तो ऐसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।

डाकुओं के प्रभाव वाली पंचायतें
रानीपुर, सेजवार, पड़मनिया जागरी, हरदुआ, पालदेव, खरहा, टेढ़ी, चुआ, भियामऊ, कंदर, कौहारी, जवारिन, खोही, पथरा आदि। ग्रामीणों की मानें तो मतदाता सिर्फ उस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करते थे जिसे डाकुओं का समर्थन मिला होता था। विरोध करने वाले मतदाता भय के चलते मतदान के घर से ही नहीं निकले थे।





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