Mountain Of Shame : इसमें हर घर का हिस्सा है… दिल्ली के लिए शर्म है 35 साल पुराना यह जहरीला ‘पहाड़’

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Mountain Of Shame : इसमें हर घर का हिस्सा है… दिल्ली के लिए शर्म है 35 साल पुराना यह जहरीला ‘पहाड़’

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली की गाजीपुर लैंडफिल साइट पर सोमवार को एक बार फिर आग लग गई। इस बार आग नाला रोड के दूसरी तरफ कूड़े के पहाड़ के बीच वाले हिस्से की ओर से शुरू हुई थी, जो फैलते हुए ऊपरी हिस्से तक जा पहुंची। आग की ऊंची लपटों के साथ उठा जहरीला धुआं फैलने से रोड के दूसरी तरफ की कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को दुर्गंध और घुटन का सामना करना पड़ा। गाजीपुर लैंडफिल साइट पर खड़ा 130 लाख टन कूड़े का पहाड़ एमसीडी अधिकारियों के साथ साथ आसपास की कॉलोनियों में रहने वाले हजारों लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। जहां पर इस समय आग लगी हुई है उसी जगह पर साल 2018 में गैस के दबाव की वजह से कूड़े में जोरदार ब्लास्ट हुआ था। 24 नवंबर 2020 को भी गाजीपुर लैंडफिल साइट पर बड़ी आग लगी थी, जिसे बुझाने में दो-तीन दिन लग गए थे। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी और पांच जख्मी हुए थे। बहरहाल, दिल्ली सरकार ने गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग की जांच के आदेश दिए हैं।

क्यों है शर्म का पहाड़ बनी गाजीपुर लैंडफिल साइट?
गाजीपुर लैंडफिल साइट 1984 में शुरू हुई जहां कुछ साल पहले कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 65 मीटर पहुंच गई थी। यह साइट पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) के तहत आती है। यहां 140 लाख टन कूड़े का पहाड़ है। दिल्ली में दो और कूड़े के पहाड़ हैं- ओखला लैंडफिल साइट और दूसरा भलस्वा लैंडफिल साइट। ये दोनों साइटें वर्ष 1996 में शुरू हुई थीं। दोनों जगहों पर कूड़े का पहाड़ 42-42 मीटर ऊंचा हो चुका है। पहले तो ये दोनों पहाड़ और भी ऊंचे थे, लेकिन प्रॉसेसिंग का काम तेज होने से इनकी ऊंचाई घटी है। टेरी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक तीनों कूड़े के पहाड़ों से दिल्ली के पर्यावरण को 450 करोड़ का नुकसान हुआ है।

दिल्ली के आसपास के शहरों का भी बुरा हाल
कूड़ा निस्तारण को लेकर राजधानी दिल्ली ही नहीं, इसके आसपास (NCR) के शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा, गुरुग्राम का भी बुरा हाल है। गाजियाबाद से हर दिन 1,500 टन कूड़ा निकलता है, लेकिन वहां इसके निस्तार का कोई ठोस योजना नहीं है। फरीदाबाद में तो लैंडफिल साइट ही नहीं है। नोएडा से रोजाना 700 मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। यहां अच्छी बात यह है कि गीला और सूखा कचरे को अलग-अलग डंप किया जाता है। गुरुग्राम से हर दिन 1,000 टन कूड़ा निकलता है। चूंकि फरीदाबाद में लैंडफिल साइट नहीं है, इसलिए गुरुग्राम के बंधवाड़ी प्लांट में फरीदाबाद का भी दबाव बढ़ रहा है।

गाजीपुर साइट में बार-बार क्यों लगती है आग?
इस वर्ष पहली बार गाजीपुर लैंडफिल में आग लगी है। पिछले तीन वर्षों में यहां आग की 18 घटनाएं हो चुकी हैं। स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन बीर सिंह पंवार के मुताबिक, कूड़े के पहाड़ से मीथेन गैस निकलता है जो आग लगने का प्रमुख कारण है। उन्होंने बताया, लैंडफिल में सूखे पत्ते भरे पड़े हैं जो आसानी से आग पकड़ लेते हैं। इसके अलावा, दिल्ली का तापमान लगातार बढ़ना भी आग लगने का एक बड़ा कारण है।

⮞ एक फायर ऑफिसर ने बताया कि यह आग स्वतः स्पूर्त है। यानी, यहां बाहरी कारक के बिना भी आग लग जाती है।
⮞ यहां प्लास्टिक और अलग-अलग तरह के कचड़े फेंके जाते हैं जो आसानी से आग पकड़ते हैं।
⮞ प्राकृतिक स्रोतों से बैक्टीरिया और पानी होता है जिससे ऑक्सिडेशन की प्रक्रिया होती है और स्वतः आग लग जाती है।
⮞ यहां फेंका जाने वाले कूड़े में शामिल सभी चीजें ज्वलनशील होती हैं, इसलिए आग लगना आसान होता है।

आग बुझाने में समस्या

⮞ जहां आग लगती है, वहां तक पहुंचने का सही रास्ता नहीं होता है।
⮞ आग नीचे से ऊपर की ओर बढ़ती है, इसलिए ऊपर से पानी डालो तो नीचे तक पहुंच नहीं पाता है और नीचे डालो तो आग ऊपर बढ़ती जाती है।
⮞ कई बार फायरफाइटर्स पैदल ऊंचाई तक पहुंच नहीं पाते हैं क्योंकि कूड़े की ढेर के सरकने का खतरा रहता है।
⮞ ऊपर गाड़ी ले जाने पर भी यही खतरा रहता है।
⮞ फायरफाइटर्स की सुरक्षा को भी खतरा होता है।
⮞ आसपास में पानी का स्रोत नहीं है, इस कारण अग्नीशमन वाहनों को दूर से पानी लाना पड़ता है।

क्यों कम नहीं हो रहा पहाड़?
निकाय अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली में कुल 11,400 टन कूड़ा पैदा होता है। इसमें से लगभग 6,200 टन गाजीपुर, ओखला और भलस्वा के लैंडफिल में फेंका जाता है। बाकी 5,200 टन कूड़े को कम्पैक्टर और कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले संयंत्रों (WTE) की सहायता से स्थानीय स्तर पर प्रोसेस किया जाता है। हर दिन आने वाले कूड़े की मात्रा के लिहाज से वेस्ट मैनेजमेंट की ठोस व्यवस्था नहीं होने के कारण कूड़े का पहाड़ तेजी से कम नहीं हो रहा है। कचरे की प्रॉसेसिंग तो हो रही है, लेकिन हर दिन कूड़ा डंप भी किया जा रहा है। इस कारण पहले से पड़े कूड़े की प्रॉसेसिंग चुनौतीपूर्ण हो गई है। गाजीपुर लैंडफिल साइट 2002 में ही बंद हो जानी थी, लेकिन दिल्ली नगर निगम की लेट लतीफी की वजह से पिछले 20 सालों से जगह नहीं बदली जा सकी है।

क्या है समाधान?
पिछले साल अक्टूबर में राजधानी के तीनों लैंडफिल साइट्स पर बने कूड़े के पहाड़ को खत्म करने का मास्टर प्लान बनाया गया और इसकी डेडलाइन भी तय की गई। तीन साइटों को समतल और बंद करने का बंदोबस्‍त किया जा रहा है। यहां के कचरे को ऊर्जा में बदलने के संयंत्र लगाने से लेकर जैव-खनन (Bio-Mining) तक की तकनीक अपना रहे हैं।

अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले लैंडफिल को बंद करने के लिए उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली के नगर निगमों ने समयसीमा निर्धारित की है। नॉर्थ दिल्‍ली म्‍यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने जून 2022, साउथ ने दिसंबर 2023 और ईस्‍ट दिल्‍ली ने दिसंबर 2024 की डेडलाइन रखी है।

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गाजीपुर साइट पर क्या-क्या चल रहा है?
पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) कूड़ा डंप करने के लिए ज्यादा जगह की व्यवस्था में भी लगा है। यहां 2019 में लैंडफिल की ऊंचाई कम करने के लिए ‘जैव-खनन’ की प्रक्रिया शुरू की गई थी। वहां पुराने कूड़े की प्रोसेसिंग के लिए 20 ट्रोमेल मशीनें काम कर रही हैं। पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से सांसद गौतम गंभीर ने अक्टूबर 2019 में बैलिस्टिक सेपरेटर मशीन लगाई थी। मशीन से कचरे को तीन भागों में अलग किया जाता है। प्लास्टिक, कपड़े जैसे हल्के, शीशा, धातु आदि से बने भारी के साथ-साथ छोटे-छोटे पदार्थों एवं मिट्टी को अलग किया जाता है। कुछ कचरो को बिजली बनाने के काम में लाया जाता है जबकि कुछ को शास्त्री पार्क स्थित सीएंडडी प्लांट भेजा जा रहा है। यहां ईंटें, टाइल्स् आदि उपयोगी वस्तुओं का निर्माण हो रहा है। अभी यहां 20 ट्रामलिन मशीनें लगी हैं जो हर रोज 3600 मीट्रिक टन कूड़े की प्रोसेसिंग कर रही हैं।


खूब होती है ‘कचड़े की’ राजनीति

कूड़े पर राजनीति भी खूब होती है। पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने वादा किया है कि अगर वो गाजीपुर लैंडफिल साइट का संकट खत्म नहीं कर पाएंगे तो कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे। तब उन्होंने दावा किया था कि जुलाई 2020 में दावा किया था कि बीते एक साल में गाजीपुर लैंडफिल में कचरे के पहाड़ की ऊंचाई 40 फीट कम हो गई।
हालांकि, तब कोंडली से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक कुलदीप ने गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जाकर गंभीर के दावे को झूठा बताया। कोंडली विधायक कुलदीप ने कहा कि बीजेपी ने 15 साल में दिल्ली को लूट-लूट कर तीन कूड़े के पहाड़ बनाए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर ने आज से 1 साल पहले दावा किया था कि उन्होंने 2 महीने के अंदर लैंडफिल साइट को 40 फीट कम कर दिया है, लेकिन वो दावा झूठा था। बाद में गंभीर भी मौके पर पहुंचे थे और साइट का निरीक्षण किया था।

इस बार भी आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी पर निशाना साध दिया है। आप की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने कहा कि दिल्ली को गाजीपुर समेत तीन कूड़े के पहाड़ एमसीडी में बीजेपी के 15 साल के शासन की देन हैं। उन्होंने कहा कि अब एमसीडी सीधे पीएम के कंट्रोल में है, वह बताएं कि इस समस्या का क्या समाधान है?



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