मंत्री अनिल देशमुख का पालघर लिंचिंग में शामिल मुस्लिमों की संख्या पर बड़ा बयान
महाराष्ट्र के पालघर जिले में दो साधुओं हुए एक ड्राइवर के को चोर होने के संदेह से कुछ दिन पहले भीड़ द्वारा पीट-पीट कर बेरहमी से हत्या करने के मामले में पुलिस ने करीब सौ से अधिक लोगों को गिरफ़्त में ले लिया है। इस बीच पालघर लिंचिंग केस में महाराष्ट्र् के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने इस सदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि इस मामले में जितने लोग गिरफ्तार हुए हैं, उनमें एक भी मुस्लिम नहीं है और उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहा है।
पालघर लिंचिंग
सोशल मीडिया के जरिये अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि पालघर मामले पर सांप्रदायिक राजनीति हो रही है। बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं। यह राजनीति करने का समय नहीं है, बल्कि मिलकर कोरोना वायरस से लड़ने का वक्त है।
उन्होंने कहा कि सीआईडी के एक विशेष आईजी स्तर के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं। मगर मैं यह बताना चाहूंगा कि पुलिस ने क्राइम के 8 घंटे के भीतर 101 लोगों को गिरफ्तार किया। हम आज व्हाट्सएप्प के जरिए आरोपियों के नाम जारी कर रहे हैं, उस सूची में कोई मुस्लिम नहीं है।
अनिल देशमुख ने ट्वीट किया था, ‘सूरत जा रहे तीन लोगों की पालघर में हुई हत्या में संलिप्त 101 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। हत्या के मामले में मैंने उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया है।’ देशमुख ने कहा कि पुलिस ऐसे लोगों पर करीबी नजर रख रही है, जो इस घटना के जरिए समाज में वैमनस्य पैदा करना चाहते हैं। देशमुख ने कहा, ‘पालघर की घटना में जो लोग मारे गए और जिन्होंने हमला किया, वह अलग-अलग धर्मों के नहीं थे।’ भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।
आपको बताना चाहेंगे की पालघर का मॉब लिंचिंग के मामले में दो साधु और एक ड्राइवर को महाराष्ट्र के पालघर में बीते गुरुवार की देर रात करीब 200 लोगों की भीड़ ने मॉब लिंचिंग कर हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस घटना पर बीते शुक्रवार को बताया कि तीन दिन में यह दूसरी ऐसी घटना है।
पुलिस के मुताबिक, भीड़ ने इको वैन में बैठे दोनों साधु और उनके ड्राइवर को चोर समझकर उनकी पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी। कासा पुलिस थाने के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर आनंदराव काले ने कहा कि वैन नासिक से आ रही थी जब गुस्साई भीड़ ने दधाडी-खानवेल रोड पर गधचिंचाले गांव के नजदीक रोका।
काले ने कहा कि भीड़ ने पहले वैन रोककर सवाल पूछे और उसके बाद खींचकर उनकी पिटाई शुरू कर दी। ड्राइवर ने किसी तरह पुलिस को कॉल किया और टीम मौके पर पहुंच गई। आनंद राव काले ने कहा, ‘भीड़ में काफी संख्या लोग थे और हमने साधुओं और ड्राइवर को बचाने की कोशिश की लेकिन मॉब ने हम पर भी हमला किया और पत्थर फेंकने लगे।
जिसका नतीजा ये हुआ कि तीनों ने पिटाई के चलते वहीं पर दम तोड़ दिया। मृतक की पहचान सुशील गिरी महाराज (35), चिकने महाराज कल्पवरुक्षगिरी और ड्राईवर नीलेश तेलगाडे के तौर पर हुई है।
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देशभर में दो साधुओं के साथ हुए ऐसे दर्दनाक हादसे की कड़े शब्दों में निन्दा हो रही है। जिस देश में साधुओं का इतना आदर किया जाता है उसी देश में उनके साथ इस तरह का सलुख काफी गलत है।