Mehngai Ki Khabar : प्याज-टमाटर से एलपीजी-सीएनजी तक… जानें इस महीने एक परिवार की जेब कितनी ज्यादा काट रही है महंगाई

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Mehngai Ki Khabar : प्याज-टमाटर से एलपीजी-सीएनजी तक… जानें इस महीने एक परिवार की जेब कितनी ज्यादा काट रही है महंगाई

नई दिल्ली
देश में चौतरफा महंगाई से आम लोग हलकान है। हर दूसरे-तीसरे दिन किसी ना किसी आवश्यक वस्तु की कीमत बढ़ने की खबर सुनने का आ ही जाती है। हद तो ये है कि किसी एक वस्तु की कीमत 10-12 दिनों में ही दुबारा बढ़ जा रही है। रसोई गैस हो या सीएनजी, इनके दाम महीने में एक से ज्यादा बार बढ़े हैं। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में सीएनजी (CNG) और पीएनजी (Piped Natural Gas) के दाम बढ़ाने का ऐलान कर दिया। हैरत की बात है कि महज 12 दिन में दूसरी बार सीएनजी और पीएनजी के दाम बढ़े हैं। हालांकि, एक हकीकत यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमत जनवरी से अब तक छह गुना हो गई है। हालांकि, घरेलू बाजार में यह डेढ़ गुना भी नहीं हुई है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

उधर, खाद्य वस्तुओं की महंगाई भी गले पड़ी है। केंद्र सरकार का सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय हर तरह के आंकड़े जुटाता है। मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2012 से 2021 तक देश में खाद्य वस्तुओं की महंगाई औसतन 5.93% रही। इस दौरान नवंबर 2013 में यह 14.72% का रेकॉर्ड हाई जबकि दिसंबर 2018 में -2.65% का रेकॉर्ड लो पर रही।

कितना बढ़ा एक परिवार का खर्च
जहां तक बात इस वर्ष की है तो सितंबर महीने में पिछले वर्ष के इसी महीने के मुकाबले देश में खाद्य वस्तुएं 0.68% महंगी हो गईं। मंत्रालय के मुताबिक, महंगाई का यह आंकड़ा मार्च 2019 के बाद सबसे कम है। लेकिन, अक्टूबर में ऐसी स्थिति नहीं है। त्योहारों का मौसम शुरू हो जाने के कारण खाद्य वस्तुओं की महंगाई में बड़ी बढ़ोतरी हो रही है। प्याज-टमाटर से लेकर सरसों तेल और चीनी तक महंगे हो गए हैं। यानी, अपनी कार से ऑफिस जाना हो या फिर घर में खाने-पीने का खर्च, हर परिवार की जेब से इस महीने से अतिरिक्त पैसे निकल रहे हैं। अगर पति-पत्नी और दो बच्चों का एक परिवार दिल्ली में रहता है तो पिछले महीने के मुकाबले इस महीने उसे खाने-पीने और यात्रा पर कितना ज्यादा खर्च करना पड़ रहा होगा, इसका अंदाजा लगाने की कोशिश करते हैं…

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गैस सिलिंडर : मान लीजिए दिल्ली में रह रहे चार लोगों के परिवार में हर महीने एक गैस सिलिंडर की खपत होती है तो उसे इस पर 15 रुपये ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं। ध्यान रहे कि 6 अक्टूबर को घरेलू एलपीजी सिलिंडर की कीमत में 15 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। अब दिल्ली में बिना सब्सिडी का एलपीजी सिलिंडर 899.50 रुपये में मिल रहा है।

टमाटर : अगर परिवार में हर महीने तीन किलो टमाटर की खपत होती है तो उसे इस महीने 120 रुपये ज्यादा खर्च करना होगा। दरअसल, टमाटर की कीमत इस महीने दोगुनी हो गई है और अब एक किलो टमाटर 40 रुपये के बजाय 80 रुपये में मिल रहा है।

प्याज: खाना बनाने में टमाटर की तरह प्याज भी एक महत्वपूर्ण अवयव है। और प्याज इस महीने औसतन 20 रुपये प्रति किलो महंगा हो गया है। अगर एक छोटा परिवार हर महीने 5 किलो प्याज खर्च करता है तो इस महीने उसकी जेब से 100 रुपये ज्यादा निकल जाएंगे। बाजार में प्याज ने 30 रुपये से सीधे 50 रुपये प्रति किलो की दर छू लिया है।

चीनी: एक परिवार में हर महीने 5 किलो चीनी की भी खपत होती है। इस महीने बढ़ी कीमत ने चीनी की मिठास भी थोड़ी कम कर दी है। सितंबर में 38 से 40 रुपये प्रति किलो की दर से चीनी मिल रहा था जो अब 42 रुपये हो गया है। अगर औसतन तीन रुपये प्रति किलो की महंगाई भी मानें तो इस महीने एक परिवार को चीनी पर 15 रुपये ज्यादा खर्च करने होंगे।

हरी सब्जियां: खाने में हरी सब्जियां तो चाहिए हीं। अगर, हरी सब्जियों की औसतन महंगाई को 10 रुपये प्रति किलो की दर से भी जोड़ें तो एक परिवार को अक्टूबर महीने में 150 रुपये ज्यादा खर्च करने होंगे क्योंकि एक छोटे परिवार में भी हर दिन आधा किलो और इस हिसाब से पूरे महीने में औसतन 15 किलो हरी सब्जी तो बनती ही है।

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सीएनजी: परिवार में एक कार है और पति या पत्नी में से कोई एक ही ऑफिस वर्क करता/करती है तो दिल्ली में औसतन घर से दफ्तर की दूसरी 20 किलोमीटर भी मान लें तो उसे हर दिन 40 किलोमीटर कार चलानी होती है। अगर प्रति किलो 20 किलोमीटर का एवरेज मान लिया जाए तो उसे हर दिन दो किलो सीएनजी खर्च करना होगा। अगर हर सप्ताह उसे पांच दिन ही ऑफिस जाना है तो महीने में वो औसतन 20 दिन ऑफिस जा रहा है। यानी, उसे महीने में 40 किलो सीएनजी खर्च करना पड़ रहा है। चूंकि, इस महीने सीएनजी 4.56 रुपये प्रति किलो महंगा हो गया है तो इस पर भी इस महीने लगभग 182 रुपये अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा।

इस महीने इन सीमित सामानों पर ₹584 ज्यादा खर्च
ऐसा नहीं है कि परिवार में सिर्फ खान-पान और यात्रा पर खर्च होता है। दूध से लेकर साबुन, डिटर्जेंट और दवाइयों से लेकर कपड़े और कॉस्मेटिक्स तक, कई तरह के खर्च होते हैं और इनमें भी कई चीजें महंगी हुई हैं। लेकिन, इन्हें छोड़ भी दिया जाए तो इस महीने गैस सिलिंडर पर 15 रुपये, टमाटर पर 120 रुपये, प्याज पर 100 रुपये, चीनी पर 15 रुपये, सब्जियों पर 150 रुपये और सीएनजी पर 184 रुपये यानी कुल 584 रुपये ज्यादा खर्च हो रहे हैं। ध्यान रहे कि दशहरा का त्योहार भी है जिसमें तेल, टमाटर आदि का खर्च बढ़ना तय है जिसका सीधा असर जेब पर पड़ा है।

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और भी हैं खर्चे

हालांकि, पिछले तीन महीनों का आकलन करें तो रसोई गैस अगस्त से अब तक तीन बार महंगा हो चुका है। 1 अगस्त को एलपीजी सिलिंडर 859.50 रुपये में मिल रहा था जो अब 899.50 में मिल रहा है यानी तीन महीने में सिर्फ एलपीजी पर खर्च 40 रुपये ज्यादा हो गया है। पिछले महीने ही दूध की कीमत भी बढ़ी थी। उससे पहले जुलाई महीने में दूध की कीमत भी बढ़ गई थी। दो बच्चों के परिवार में हर महीने औसतन 30 किलो दूध तो खर्च होगा ही। जुलाई-अगस्त से ही महंगाई की बात इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि एक नौकरीपेशा व्यक्ति की सैलरी इन्क्रीमेंट अप्रैल महीने में ही होती है। उसके बाद से पूरे साल उसी सैलरी या आमदनी पर जीवन व्यतीत करना होता है चाहे चीजें कितनी भी महंगी हो जाएं।

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