Martyr News : सेना में कोई ‘शहीद’ नहीं होता, तो देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले को क्या कहते हैं? जानिए
नई दिल्ली: भारतीय सशस्त्र बल (Indian Armed Forces) के जवान कर्तव्य पथ पर राष्ट्र के लिए अपनी जान न्योछावर कर देते हैं तो आमतौर पर लोग शहीद कहकर उन्हें नमन करते हैं। हालांकि सेना या पुलिस के शब्दकोष में मार्टर या शहीद जैसा कोई शब्द है ही नहीं। जी हां, रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर संसद में स्पष्ट किया है कि संघर्ष या आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान जान गंवाने वाले (killed in action) सैनिकों के लिए ‘Martyr’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होता है। यह गलत है। दरअसल, संसद में तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन ने सवाल किया था कि क्या सरकार ने ड्यूटी के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान करने वाले जवानों के लिए ‘शहीद’ शब्द का प्रयोग करना बंद कर दिया है। इसके जवाब में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने 28 मार्च को जवाब दिया।
आखिर क्यों?
कई वर्षों से यह जनता के बीच डिबेट का मुद्दा रहा है। पहले भी सरकारों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि कार्रवाई के दौरान सशस्त्र बलों और गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस फोर्स (CAPF) में किसी भी कैजुअल्टी के लिए ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों? कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि ‘शहीद’ न लिखने पर कुछ लोग ऐतराज जताते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे मामले उछाले जाते हैं। ऐसे में इसकी वजह को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है।
फिर शहीद किसे कहते हैं?
सरकार ने ‘शहीद’ न कहने के पीछे जो तर्क रखा है वह जानना सबके लिए जरूरी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर शहीद शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो धर्म के लिए लड़ते हैं या उसकी राजनीतिक वजह होती है। इसके धार्मिक और ऐतिहासिक मायने हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे जवान देश की एकता और क्षेत्रीय अखंडता तथा संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा करते हुए अपनी जान न्योछावर करते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों को अपने पेशेवर, गैर-राजनीतिक और धर्मनिरपेक्ष प्रकृति पर गर्व है।
सेना क्या कहती है?
हाल ही में सेना की ओर से इस बाबत स्पष्ट जानकारी साझा की गई थी। Indian Army ने कहा है कि शहीद शब्द का इस्तेमाल गलत है। आर्मी हेडक्वॉर्टर की तरफ से सभी कमांड को भेजे एक लेटर में कहा गया कि ‘Martyr शब्द का इस्तेमाल गलत’ है। इसमें कहा गया है कि साल दर साल आर्म्ड फोर्सेस के कुछ ऑफिसर्स और मीडिया भी हमारे उन सैनिकों के लिए Martyr (शहीद) शब्द का इस्तेमाल करते हैं जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है।
सेना ने कहा है कि Martyr उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसकी मौत एक सजा के तौर पर हुई हो जिसने रिलीजन के लिए त्याग से इनकार कर दिया हो या फिर वह व्यक्ति जो अपने रिलीजियस या राजनीतिक आस्था के लिए मारा गया हो। इसलिए इंडियन आर्मी के सैनिकों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल ठीक नहीं है।
शहीद की जगह ये कहना है
सेना ने कहा कि स्पीच में या कहीं भी वीर सैनिकों का जिक्र करने के लिए शहीद के बजाय इन शब्दों का इस्तेमाल करें- ‘किल्ड इन एक्शन’ (मारे गए), ‘लेड डाउन देयर लाइव्स’ (अपना जीवन न्योछावर किया) , ‘सुप्रीम सेक्रिफाइस फॉर द नेशन’ (देश के लिए सर्वोच्च बलिदान), ‘फॉलन हीरोज’ (वीरगति प्राप्त), ‘इंडियन आर्मी ब्रेव्स'( भारतीय सेना के वीर), ‘फॉलन सोल्जर्स’ (वीरगति प्राप्त सैनिक)।
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आखिर क्यों?
कई वर्षों से यह जनता के बीच डिबेट का मुद्दा रहा है। पहले भी सरकारों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि कार्रवाई के दौरान सशस्त्र बलों और गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस फोर्स (CAPF) में किसी भी कैजुअल्टी के लिए ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों? कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि ‘शहीद’ न लिखने पर कुछ लोग ऐतराज जताते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे मामले उछाले जाते हैं। ऐसे में इसकी वजह को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है।
फिर शहीद किसे कहते हैं?
सरकार ने ‘शहीद’ न कहने के पीछे जो तर्क रखा है वह जानना सबके लिए जरूरी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर शहीद शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो धर्म के लिए लड़ते हैं या उसकी राजनीतिक वजह होती है। इसके धार्मिक और ऐतिहासिक मायने हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे जवान देश की एकता और क्षेत्रीय अखंडता तथा संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा करते हुए अपनी जान न्योछावर करते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों को अपने पेशेवर, गैर-राजनीतिक और धर्मनिरपेक्ष प्रकृति पर गर्व है।
सेना क्या कहती है?
हाल ही में सेना की ओर से इस बाबत स्पष्ट जानकारी साझा की गई थी। Indian Army ने कहा है कि शहीद शब्द का इस्तेमाल गलत है। आर्मी हेडक्वॉर्टर की तरफ से सभी कमांड को भेजे एक लेटर में कहा गया कि ‘Martyr शब्द का इस्तेमाल गलत’ है। इसमें कहा गया है कि साल दर साल आर्म्ड फोर्सेस के कुछ ऑफिसर्स और मीडिया भी हमारे उन सैनिकों के लिए Martyr (शहीद) शब्द का इस्तेमाल करते हैं जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है।
सेना ने कहा है कि Martyr उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसकी मौत एक सजा के तौर पर हुई हो जिसने रिलीजन के लिए त्याग से इनकार कर दिया हो या फिर वह व्यक्ति जो अपने रिलीजियस या राजनीतिक आस्था के लिए मारा गया हो। इसलिए इंडियन आर्मी के सैनिकों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल ठीक नहीं है।
शहीद की जगह ये कहना है
सेना ने कहा कि स्पीच में या कहीं भी वीर सैनिकों का जिक्र करने के लिए शहीद के बजाय इन शब्दों का इस्तेमाल करें- ‘किल्ड इन एक्शन’ (मारे गए), ‘लेड डाउन देयर लाइव्स’ (अपना जीवन न्योछावर किया) , ‘सुप्रीम सेक्रिफाइस फॉर द नेशन’ (देश के लिए सर्वोच्च बलिदान), ‘फॉलन हीरोज’ (वीरगति प्राप्त), ‘इंडियन आर्मी ब्रेव्स'( भारतीय सेना के वीर), ‘फॉलन सोल्जर्स’ (वीरगति प्राप्त सैनिक)।