मुस्लिम पक्षकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी

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मुस्लिम पक्षकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी

अयोध्या जमीन विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को 27वें दिन की सुनवाई की गई. जिस दौरान मुस्लिम पक्षकार की ओर से राजीव धवन ने कहा कि रामचबूतरा ही राम का जन्म स्थान था न कि गुम्बद. 1855 में हिन्दू और मुसलमानों के बीच दंगे फसाद होने के बाद अंग्रेजों ने विवादित ढांचे में रेलिंग बना दी थी.

इस बात का कोई सबूत नहीं मिले पाया है कि हिन्दू गुम्बद के नीचे ही पूजा किया करते थे. इन्हीं दलीलों के साथ राजीव धवन ने कोर्ट में रामसूरत तिवारी के बयान को अस्थिर बताते हुए कहा है कि 1995 में तिवारी ने 1935 में की गई अपनी पहली राम जन्मभूमि यात्रा के बारे में बताते हुए गर्भगृह में रामलला की तस्वीर और मूर्ति के दर्शन करने की बात कही थी, लेकिन वो ये नहीं बता पाए कि वो किस दरवाजे से अंदर घुसे थे? यानी उनका बयान तथ्य पर आधारित नहीं है.

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बता दें कि सुनवाई के दौरान ही जस्टिस भूषण ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तिवारी के बयान पर भरोसा किया है, तो आपके उस पर भरोसा नहीं करने का क्या तर्क है? इस पर धवन का कहना था कि उन्होंने बयान के हवाले से बताया है कि वह काफी आक्रामक हो गए है.

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जिसके बाद इस पर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि 1855 में हिन्दू-मुस्लिम तनाव, धवन का ये बर्ताव दुर्भाग्यपूर्ण है. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने फिर धवन को जस्टिस भूषण के सवाल का जवाब देने को कहा. जिसके बाद धवन ने अपने अंदाज और जवाब पर सफाई देते हुए माफी मांगी.