Kumar Kartikeya: किट के लिए नहीं थे पूरे पैसे, बिस्कुट से मिटाई भूख… अब रोहित शर्मा के साथी की हो रही जयजयकार

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Kumar Kartikeya: किट के लिए नहीं थे पूरे पैसे, बिस्कुट से मिटाई भूख… अब रोहित शर्मा के साथी की हो रही जयजयकार

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की क्रिकेट टीम 23 साल बाद रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के फाइनल में पहुंच चुकी है। टीम को यहां तक पहुंचाने में कई खिलाड़ी ने गेंद और बल्ले से कमाल किया है, लेकिन सबसे अहम योगदान कुमार कार्तिकेय सिंह (Kumar Kartikeya Singh) का है। सेमीफाइनल में बंगाल के खिलाफ कार्तिकेय ने पहली पारी में 3 और दूसरी में 8 विकेट लिए। इससे पहले क्वार्टर फाइनल में पंजाब के खिलाफ पहली पारी में एक और दूसरी पारी में 6 शिकार किए थे। वे खुद को मिस्ट्री गेंदबाज मानते हैं। इस सीजन कार्तिकेय के 5 मैच में 27 विकेट हैं और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं।
Ranji Trophy: मुंबई सेमीफाइनल को जीते बिना फाइनल में, एमपी ने 23 साल बाद किया कमाल
चुनौतियों से भरा रहा जीवन
क्रिकेट में कुमार कार्तिकेय के लिए यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने एक बार तो क्रिकेट छोड़ने का भी मन बना लिया था। कुमार के पिता श्यामनाथ सिंह यूपी पुलिस में हड कांस्टेबल हैं। उन्होंने कुछ समय पहले बताया था कि एक बार जब वे बेटे के लिए क्रिकेट किट खरीदने गए तो दुकानदार ने यह कह दिया था कि खरीदने की औकात नहीं है तो दुकान पर क्यों चले आये। उस समय उनके पास पास महंगे किट लेने के लिए पूरे पैसे नहीं थे। श्यामनाथ ने दुकानदार को कोई जवाब दिए बिना आधी-अधूरी किट खरीदी और घर आ गए।

फैक्ट्री में कर चुके काम
कार्तिकेय ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने पास से गरीबी देखी है। दिल्ली में क्रिकेट सीखने के अलावा वह गाजियाबाद की एक फैक्ट्री में काम भी करते थे। इसके उन्हें लिए गाजियाबाद से दिल्ली हर दिन 70-80 किमी का सफर करना पड़ता था। इस दौरान जब भी भूख लगती तो वह बिस्किट खाकर भूख शांत करते थे। कुमार कार्तिकेय का जन्म यूपी के सुल्तानपुर में हुआ था, लेकिन वह एमपी के लिए क्रिकेट खेलते हैं।

मुंबई इंडियंस ने दिया मौका
मध्य प्रदेश के लिए 2018 में डेब्यू करने वाले कुमार कार्तिकेय को घरेलू मैचों में कुछ मौके मिले थे। लेकिन उन्हें असली पहचान आईपीएल से मिली। आईपीएल 2022 में कार्तिकेय मुंबई इंडियंस के साथ नेट्स गेंदबाज के रूप में जुड़े थे। वहां इस बाएं हाथ के स्पिनर ने टीम मैनेजमेंट को इतना प्रभावित किया कि खिलाड़ी के चोटिल होने पर कार्तिकेय मुख्य टीम में शामिल हो गए। इसके बाद अगले ही मैच में डेब्यू का मौका भी मिल गया। उस मुकाबले में राजस्थान के लिए कार्तिकेय ने 4 ओवर में 19 रन देकर संजू सैमसन का विकेट लिया था।

फाइनल में मुंबई की चुनौती
रणजी ट्रॉफी के फाइनल में मध्य प्रदेश और कुमार कार्तिकेय के सामने मुंबई की मुश्किल चुनौती होगी। मुंबई के युवा बल्लेबाज बेहतरीन फॉर्म में चल रहे हैं। यशस्वी जायसवाल ने लगातार तीन पारियों में शतक लगाए हैं। पृथ्वी साव विस्फोटक शुरुआत देते हैं। टीम में रन मशीन सरफराज खान के अलावा युवा सुवेद पारकर और हार्दिक तमोरे हैं। मध्य प्रदेश अगर इन्हें रोकना चाहती है तो कार्तिक की गेंद से कमाल करना ही होगा। अगर वे ऐसा करने में सफल होते हैं तो 88 साल बाद मध्य प्रदेश रणजी चैंपियन बन सकता है।



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