Kiss के बाद लोग कहने लगे, प्रिंस चार्ल्स मुझसे शादी करेंगे या लेडी डायना से : पद्मिनी कोल्हापुरे

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Kiss के बाद लोग कहने लगे, प्रिंस चार्ल्स मुझसे शादी करेंगे या लेडी डायना से : पद्मिनी कोल्हापुरे

‘गहराई’ और ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ जैसी फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम करने वालीं पद्मिनी को शोहरत मिली ‘इन्साफ का तराजू’, ‘प्रेम रोग’, ‘प्यार झुकता नहीं’ और ‘सौतन’ जैसी फिल्मों से। आज सालों बाद उन्होंने कोकिला कंठी लता मंगेशकर की आवाज में गाए हुए इस गाने ‘ये गलियां ये चौबारा’ को अपनी आवाज में रीक्रिएट किया है। इस खास बातचीत में वे अपने गाने, औरत होने की चुनौतियों, ग्रेट शो मैन राज कपूर, ऋषि कपूर, प्रिंस चार्ल्स, गहराई में न्यूड सीन देने और लता मंगेशकर जैसे कई पहलुओं पर बात करती हैं।

आपने सालों बाद अपनी आवाज में ये गलियां ये चौबारा जैसे गाने को रीक्रिएट करने का फैसला क्यों किया?
मेरे बेटे प्रियांक शर्मा ने पारस के साथ मिलकर धमाका रेकॉर्ड्स की शुरुआत की। वे इसकी लॉन्चिंग मेरे गाने के साथ करना चाहते थे। उनके जेहन में सबसे पहले यही गाना आया। जब मुझे पता चला, तो मैंने यही कहा कि लता जी (लता मंगेशकर) का गाया हुआ और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के आइकॉनिक गाने को हम कैसे रीक्रीएट कर सकते हैं। प्रियांक ने लता जी को फोन किया और गाने के रीक्रिएशन के बारे में बताया। वे मेरी बुआ लगती हैं। उन्होंने कहा, ‘बिलकुल करो और आगे बढ़ो।’ जब सब तरफ से हां, हुई तो फिर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई। काफी मेहनत, मशक्कत और जिम्मेदारी के बाद ये गाना रीक्रिएट हुआ। मुझ पर काफी प्रेशर था। मैंने इसे मां-बेटी के नजरिए से गाया और जब मैंने लता जी को काफी डरते-डरते ये गाना भेजा, तो उनका रिऐक्शन था, डरो मत गाती रहो।

आपकी जिंदगी और करियर की बात करूं, तो 21 उम्र में अपने जीवन साथी को चुनने का फैसला करना या फिर प्रिंस चार्ल्स जैसी हस्ती को चुंबन देना अथवा अपनी भूमिकाओं का चुनाव हो या अपने परिवार को बांधे रखने की बात हो, आप हमेशा से एक सशक्त महिला रहीं। इसका श्रेय आप किसे देती हैं?
मैं अपने व्यक्तित्व का श्रेय अपने माता-पिता को देना चाहूंगी। उनका मुझे हमेशा सपोर्ट रहा। शूटिंग के हर आउटडोर में वो लोग मेरे साथ होते थे। मेरे हर सही-गलत फैसलों में उनका साथ रहा। अब जैसे प्रिंस चार्ल्स वाली घटना हो, तो उसके कितने मीम्स बने हैं। आज उस घटना को 41 साल हो गए हैं, मगर आज भी जब कोई चुंबन की घटना घटती है, तो मेरे चुंबन को जोड़ दिया जाता है। आज तो मुझे हंसी भी आती है। पूरी दुनिया में मीडिया ने इस घटना को चर्चित कर दिया। उस वक्त उनकी शादी होने वाली थी और लोगों ने ये खबर भी उड़ा दी कि प्रिंस चार्ल्स लेडी डायना से शादी करेंगे या पद्मिनी से? गहराई में बालकलाकर के रूप में जो न्यूड सीन था, उस पर भी काफी हंगामा हुआ था। हालांकि मेरे लिए वो बड़ी बात नहीं थे। बच्चे तो आम तौर पर सहज रूप से अधनंगे होकर घूमते ही हैं, हां, मगर उस वक्त भी उस रोल को लेकर खूब हो-हल्ला मचा था। मैंने कभी उन बातों को उतना महत्त्व नहीं दिया।


एक औरत को कई मोर्चों पर लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं? आप उन्हें क्या मेसेज देना चाहेंगी?
आज के दौर की सबसे अच्छी बात मुझे ये लगती है कि आज माता-पिता अपनी बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सबसे बड़ा उदाहरण है, आज की मिस यूनिवर्स हरनाज संधू का। वो चंडीगढ़ से हैं और उनके पेरेंट्स, उनकी मां ही उनकी ड्राइविंग फोर्स रहीं। मुझे लगता है आज के दौर में औरत ही औरत को आगे बढ़ा सकती है। मैं महिलाओं से यही कहूंगी कि हर दूसरी औरत का साथ दे। अब मेरा ही उदाहरण ले लीजिए। मैं वर्किंग वुमन हूं, घर भी संभालती हूं। उसी तरह मेरी बहू (शाजा मोरानी) भी वर्किंग है, मेरी तरह घर भी संभालती है। वह सिर्फ हम लोगों का ही ध्यान नहीं रखती बल्कि अपने माता-पिता का भी केयर करती है। हम दोनों ही एक-दूसरे का सपोर्ट सिस्टम हैं। मैं समझती हूं कि भारतीय महिला हर मायनों में काफी मजबूत है। वह कई तरह से मल्टीटास्किंग कर पाती है।


आपके करियर की बात करूं, तो आप एक जानी-मानी अभिनेत्री हैं, मगर संगीत घराने से भी आपका ताल्लुक रहा है?
बिल्कुल। बचपन में तो मैं सिंगर ही बनना चाहती थी और बड़े होने के बाद जब मैं अभिनेत्री भी बन गई, तो गायिका न बन पाने की कसक मेरे अंदर रह गई। यादों की बारात में मैंने और शिवांगी (उनकी बहन और श्रद्धा कपूर की मां) ने लता जी के साथ गाना गाया था। हम लोगों ने बचपन में कई फिल्मों में गाया है। इश्क इश्क में हमने कोरस में गाया था। किताब में भी मैंने शिवांगी ने एक गीत को अपनी आवाज दी थी।

तो फिर आप गायिकी से अभिनय की और कैसे आकर्षित हुईं?
मेरे दादा नाट्य कलाकार थे। उनकी नाटक कंपनी का नाम था बलवंत नाटक कंपनी। उस जमाने में औरतें नाटकों में काम नहीं किया करती थी, तो अक्सर महिलाप्रधान रोल मेरे दादा किया करते थे। मैं खुद बचपन में डांस भी किया करती थी। मेरी दादी की दिली ख्वाहिश थी कि मुझे फिल्मों में काम मिले। इसलिए आशा ताई (आशा भोसले) जब भी घर आतीं, दादी उनके पीछे पड़ जातीं कि आशा पद्मिनी को फिल्मों में कोई रोल दिला दो। इश्क इश्क की रिकॉर्डिंग चल रही थी। रिकॉर्डिंग में देव अंकल (दिग्गज अभिनेता देव आनंद ) भी आए थे, तब आशा ताई ने मेरा उनसे परिचय करवाया और कहा कि मेरे लिए अभिनय का कोई मौका हो तो बताएं। उन्होंने मुझे झट से उसी वक्त इश्क इश्क में कास्ट कर लिया और मेरे अभिनय का सफर शुरू हुआ।


इंडस्ट्री के ग्रेट शो मैन कहे जाने वाले राजकपूर ने आपको बालकलाकार के रूप में सत्यम शिवम सुंदरम में चुना, तो प्रेम रोग में नायिका बनने का अवसर भी दिया? उनके साथ का अनुभव?
आज मैं जो कुछ भी हूं, उन्हीं की बदौलत हूं। मैंने जो कुछ सीखा, उन्हीं से सीखा। अभिनय के गुरु रोशन तनेजा जी के एक्टिंग स्कूल का लॉन्च था और मुझे वहां एक डांस परफॉर्म करना था। उस वक्त राज अंकल (राज कपूर) चीफ गेस्ट थे। वे उन दिनों सत्यम शिवम् सुंदरम की बेबी रूपा को ढूंढ रहे थे। तब तक दो-ढाई सौ बालकलाकरों का ऑडिशन कर चुके थे। मेरा डांस देख कर उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा, मेरी फिल्म में काम करोगी? तो मैंने कहा, मैं तो पहले ही काम कर चुकी हूं फिल्म में। मुझे तो एक्टिंग आती है। उन्होंने मुझे मेरे माता-पिता के साथ आर के स्टूडियो में बुलाया और वहां से मैं उनकी अभिनेत्री बनी। उनसे मुझे कभी डांट नहीं मिली, सिवाय एक बार के। जब मैं प्रेम रोग कुछ एक डायलॉग बोलना भूल गई थी, तो वे मुझ पर चीखे थे, लड़की तुमने मेरा शॉट खराब कर दिया। मेरे लिए वो बहुत बड़ा झटका था। मैं रुआंसी हो गई थी।

ऋषि कपूर आज भले हमारे बीच नहीं रहे, मगर उनके साथ आपने कई यादगार फिल्मों में काम किया?
चिंटू जी (ऋषि कपूर का पेट नेम) साथ काम करना बहुत मजेदार होता था। वे उम्दा को-स्टार थे। मुझे याद है प्रेम रोग के एक सीन में मुझे चिंटू जी को थप्पड़ मारना था। मैंने सिर्फ एक्शन किया, तो राज अंकल बोले, नहीं, मुझे रियल शॉट चाहिए। मैंने तब धीरे से थप्पड़ मारा। तब राज अंकल बोले, एकदम रियल। उसके बाद कभी लाइट, कभी प्रॉपर शॉट तो कभी किसी टेक्निकल प्रॉब्लम के कारण मुझे चिंटू जी को 7-8 थप्पड़ मारने पड़े थे और उनका गाल लाल हो गया था। आज सोचती हूं, तो बहुत बुरा लगता है।





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