Kashmiri Pandits News: आधी रात को भागना पड़ा… अब तो लौटने की इच्छा ही छोड़ दी है, कश्मीरी पंडितों का दर्द भावुक कर देगा

105


Kashmiri Pandits News: आधी रात को भागना पड़ा… अब तो लौटने की इच्छा ही छोड़ दी है, कश्मीरी पंडितों का दर्द भावुक कर देगा

हाइलाइट्स

  • एक दिन पहले भी दो शिक्षकों की गोली मारकर हत्या की गई
  • अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर आतंकी कर रहे हमला
  • 370 रद्द होने के बाद लोगों को डराने की कोशिश कर रहे दहशतगर्द

नई दिल्ली
कश्मीर में 6 दिन में 7 निर्दोष लोगों की हत्याएं, इस साल अब तक 25 से ज्यादा लोगों का कत्ल… पर कोई मानवाधिकार की बात नहीं कर रहा है। सोशल मीडिया पर आतंकियों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाले भी गायब हैं। आतंकी नाम पूछकर सिखों और हिंदुओं का कत्ल कर रहे हैं। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडितों और दूसरे अल्पसंख्यकों को लगा था कि उनका घर लौटना हकीकत बन सकता है लेकिन पिछले कुछ दिनों में हुई आतंकी घटनाओं ने उनके दिलों में फिर से खौफ पैदा कर दिया है। आतंकी भी यही चाहते हैं, पर कश्मीरी पंडितों का दर्द बांटने के साथ-साथ उन्हें लौटने का साहस कौन देगा?

कश्मीरी पंडित अशोक तृषाल कश्मीरी समिति दिल्ली के सचिव हैं और उनसे दिली इच्छा पूछिए तो कहते हैं बस घाटी में अपने घर लौटना चाहता हूं। तीन दशक पहले उन्हें और उनके जैसे हजारों कश्मीरी पंडितों को रातोंरात घरबार छोड़ना पड़ा था। अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद उन्हें लगा कि जम्मू और कश्मीर के दरवाजे फिर से खुल गए हैं। हालांकि 5 अक्टूबर को श्रीनगर में जानेमाने कश्मीरी पंडित की हत्या ने सारी उम्मीदों पर ग्रहण लगा दिया है।

मेरे माता-पिता कश्मीर को फिर से अपना घर बनाने की तमन्ना लिए ही इस दुनिया से चले गए। मैंने तो अब यह इच्छा छोड़ दी है। कश्मीर के हालात को देखिए तो लगता है कि यह कैसे संभव होगा?

अशोक तृषाल, दुखी मन से

मैंने ये इच्छा छोड़ दी है
तृषाल 52 साल के हैं। 1990 के दशक में कश्मीर के पुलवामा का अपने पुरखों का घर उन्हें छोड़ना पड़ा था। वह याद करते हैं, ‘मैं 18 साल का था, जब आधी रात को मेरे परिवार को भागना पड़ा। हम सब कुछ छोड़कर चले आए। सेना की सुरक्षा में जब मैं 1994 में पुलवामा गया था, मैंने देखा कि आतंकियों ने मेरे घर को ढहा दिया था।’ धीमी आवाज और दुखी मन से तृषाल कहते हैं कि मेरे माता-पिता कश्मीर को फिर से अपना घर बनाने की इच्छा पूरी हुए बिना ही इस दुनिया को छोड़ गए। उन्होंने भी अब यह तमन्ना छोड़ दी है। उन्होंने पूछा, ‘कश्मीर के हालात को देखते हुए यह कैसे संभव होगा?’

कश्मीर को 90 के दशक में लौटाने की साजिश? गैर-कश्मीरी और हिंदू-सिखों की चुन-चुनकर हत्या कर रहे आतंकी
मेरा दिल कश्मीर के लिए धड़कता है
ज्यादातर कश्मीरी पंडितों के लिए घर लौटने का सपना अब दूर की कौड़ी लग रहा है। रतन कौल 65 साल की हैं और वह पब्लिक डिप्लोमेसी फोरम की अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरा दिल कश्मीर के लिए धड़कता है लेकिन कश्मीर में हमारे पास घर, नौकरी या सुरक्षा नहीं है, केवल गोलियां हमारा इंतजार कर रही हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर के बाहर रहकर अपनी जिंदगी फिर से पटरी पर लाने के बाद अब ऐसी जगह पर लौटना मुश्किल है जहां अनिश्चितताएं ही हैं।

navbharat times -Kashmir Terror Attack : घाटी में कश्मीरी पंडित और बिहारी दलित की हत्या पर दिल कचोटने वाली चुप्पी, मानवाधिकार के पैरोकारों को क्या सांप सूंघ गया?
हम जाएंगे तो क्या आतंकी छोड़ेंगे?
दरअसल, हाल में कश्मीर में हुई नागरिकों की हत्याओं ने समुदाय के लोगों को फिर से चिंता में डाल दिया है। दिलशाद गार्डन में रहने वाले 64 साल बंशी राजदान कहते हैं अगर आतंकवादी माखनलाल बिंद्रू जैसे जानेमाने बिजनसमैन का मर्डर कर सकते हैं तो क्या वे हमें छोड़ेंगे? उनकी हत्या कर आतंकी दूसरों को भी संदेश देना चाहते हैं कि कश्मीर से दूर ही रहो।

कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो अब वापस लौटना ही नहीं चाहते हैं। ऐडवोकेट रमेश वांगनू ने कहा, ‘बीते 30 वर्षों में मुझे ऐसा कभी नहीं लगा कि मुझे लौटना चाहिए। हमारे दोस्तों और पड़ोसियों ने ही हमारे साथ विश्वासघात किया और अब दोबारा उन पर भरोसा करना मुश्किल है।’

navbharat times -Kashmir Attack : क्या आतंकियों ने श्रीनगर में 100 लोगों की बनाई हिट लिस्ट? दिल्ली में NSA डोभाल ऐक्टिव
स्थानीय लोगों में विदेशी कौन बनेगा?
70 साल के सीएल मिसरी बीएसएफ से रिटायर्ड हैं। उनकी नजर में घर लौटना स्थानीय लोगों के बीच में विदेशी बनने जैसा है। कश्मीर में आतंकियों के हमले में उनका घर नष्ट हो गया और वह अकेले पिछले दरवाजे से भागने में सफल रहे। उन्होंने कहा, ‘करीब 30 साल बीत चुके हैं। अब, वहां लोग हमें पहचानेंगे नहीं। जिन बच्चों के साथ हमने खेला उन्हें हम याद नहीं होंगे।’

रोहिणी में रहने वाली 34 साल की शिवानी पेशिन 2 साल की थीं, जब उनका परिवार श्रीनगर से भागने के लिए मजबूर हुआ। उन्होंने कहा, ‘अगस्त में मैं पहली बार श्रीनगर गई थी और खुद को वहां से कनेक्ट नहीं पाई। हर तरफ वहां पुलिस, सेना और सीआरपीएफ थी। मैं दिल्ली में आसानी से घूम सकती हूं लेकिन मुझे नहीं पता कि अगले पांच मिनट में कश्मीर में क्या होगा।’

navbharat times -मैंने भी कुरान पढ़ी है… बुजदिल आतंकियो, बिंद्रू की बेटी की यह दहाड़ सुनो
32 साल के वकील आदित्य रैना की सोपोर में अपने पैतृक गांव शीर जागीर की कोई यादें नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केवल उनके दादा की पीढ़ी कश्मीर लौटना चाहती थी। उन्होंने कहा कि कश्मीर की मिट्टी से मेरा कोई इमोशनल कनेक्ट नहीं है। मैं छुट्टियों में वहां जा सकता हूं। 19 साल के ध्रुव वांगचू लॉ स्टूडेंट हैं। उन्होंने कहा कि मैं तभी घाटी में बसने के बारे में सोचूंगा जब वह सुरक्षित और शांतिपूर्ण बन जाए।

Makhanlal Bindroo Daughter Video: हिम्मत है तो आ… आतंकियों के हाथों मारे गए कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंद्रू की बेटी की ‘दहाड़’ सुनिए

kashmir news

मारे गए कश्मीरी पंडित के परिजन।



Source link