junior doctor strike जारी, मरीज परेशानी में
– junior doctors strike: हाईकोर्ट ने 24 घंटे में काम पर लौटने का दिया निर्देश
-एनएससीबी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों में से 150 ने दिया इस्तीफा
जबलपुर. junior doctors strike की हड़ताल शुक्रवार को भी जारी है। रेजीडेंट्स की इस हड़ताल से मरीजों और तीमारदारों की परेशानियां बढ गई हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन लगातार वैकल्पिक व्यवस्था का दावा कर रहा है। गुरुवार को 14 डॉक्टरों को बाहर से बुलाकर काम पर लगाया गया था। लेकिन ये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।
इस बीच हाईकोर्ट औरं व राज्य सरकार का भी इन हड़ताली डॉक्टरों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। उल्टे अकेले जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के 190 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं 173 रेजीडेंट्स का प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। इससे हालात और भी बिगड़ते नजर आ रहे है।
उधर जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल के चौथे दिन भी कोरोना के साथ ब्लैक फंगस, जनरल ओपीडी, इमरजेंसी सेवाओं को बंद रखा। इस हड़ताल पर सरकार और जूनियर डॉक्टर्स के बीच तकरार जारी है। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) अपनी मांगों को माने जाने संबंधी लिखित आदेश जारी करने की मांग को लेकर अड़े हैं।
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बता दें कि गुरुवार को जबलपुर हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार दिया था। इतना ही नहीं जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से जुड़े भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा के मेडिकल कॉलेजों के पीजी के अंतिम वर्ष के 468 विद्यार्थियों के नामांकन तक रद्द कर दिए गए। इस कार्रवाई ने आग में घी का काम किया और जूनियर डॉक्टर इस कार्रवाई से भड़क गए। बताया जा रहा है कि जबलपुर सहित पूरे प्रदेश के तीन हजार मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस्तीफा दे दिया है। जूनियर डॉक्टरों ने मेडिकल से जुड़े दूसरे संघ का समर्थन हासिल होने का भी दावा किया है। इनका दावा है कि दूसरे राज्यों के डॉक्टर भी समर्थन में हैं।
ये भी पढ़ें- junior doctors strike पर पूर्व सीएम कमलनाथ का CM शिवराज चौहान पर हमला
हाईकोर्ट ने हड़ताल को अवैध करार दिया
छह सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर गुरुवार को जबलपुर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से संबंधित पहले से लंबित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल की निंदा की और इसे असंवैधानिक करार देते हुए फौरन हड़ताल को वापस लेने के आदेश दिए।
हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान जब डॉक्टरों की सबसे ज्यादा जरूरत है, तब इनकी हड़ताल को उचित नहीं ठहराया जा सकता। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे के भीतर अगर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि जूनियर डॉक्टर की अधिकतम मांगों को सरकार ने मंजूर कर लिया है, उसके बावजूद भी वे हड़ताल कर रहे हैं।
सरकार ने डॉक्टरों को दो टूक कह दिया है कि हमने इनकी मांग मान ली है और स्टायपेंड 17 से बढ़ाकर 70 हजार कर दिया है, बावजूद इसके जिस वक्त मानवता को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, उस वक्त ये हड़ताल कर रहे हैं। ये ठीक नहीं है। उनकी मांगों को मान लिया गया है।
हर साल 6 फीसदी की दर से बढ़ाया स्टायपेंड- मंत्री
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने गुरुवार को दो टूक कहा कि जूडा की मांगों को मान लिया है। स्टायपेंड 17 हज़ार से 70 हज़ार तक कर दिया है। ट्रेनिंग में इतना पैसा दिया जा रहा है, यह उनकी सैलरी नहीं है। जब पीड़ित मानवता को इनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है उस वक्त ये हड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर साल 6 प्रतिशत की दर से डॉक्टरों का स्टायपेंड बढ़ाया है, 6 में से 4 मांगे मांग ली है। उन्होंने कहा कि हम जूडा पर कार्रवाई नहीं करना चाहते। हम कल्याण करना चाहते हैं। कानून में बहुत सारे प्रावधान हैं लेकिन सरकार इस तरह का कोई कदम उठाना नहीं चाहती। ये डॉक्टर्स देश- दुनिया में काम करेंगे। मरीज़ों को अगर तकलीफ होगी तो फिर हम कार्रवाई करेंगे। सारंग ने विपक्ष को भी आड़े हाथ लिा और कहा कि ऐसे संकट के समय में भी विपक्ष के नेता मरीज़ों के खिलाफ खड़े हो जाते हैं।
– junior doctors strike: हाईकोर्ट ने 24 घंटे में काम पर लौटने का दिया निर्देश
-एनएससीबी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों में से 150 ने दिया इस्तीफा
जबलपुर. junior doctors strike की हड़ताल शुक्रवार को भी जारी है। रेजीडेंट्स की इस हड़ताल से मरीजों और तीमारदारों की परेशानियां बढ गई हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन लगातार वैकल्पिक व्यवस्था का दावा कर रहा है। गुरुवार को 14 डॉक्टरों को बाहर से बुलाकर काम पर लगाया गया था। लेकिन ये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।
इस बीच हाईकोर्ट औरं व राज्य सरकार का भी इन हड़ताली डॉक्टरों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। उल्टे अकेले जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के 190 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं 173 रेजीडेंट्स का प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। इससे हालात और भी बिगड़ते नजर आ रहे है।
उधर जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल के चौथे दिन भी कोरोना के साथ ब्लैक फंगस, जनरल ओपीडी, इमरजेंसी सेवाओं को बंद रखा। इस हड़ताल पर सरकार और जूनियर डॉक्टर्स के बीच तकरार जारी है। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) अपनी मांगों को माने जाने संबंधी लिखित आदेश जारी करने की मांग को लेकर अड़े हैं।
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बता दें कि गुरुवार को जबलपुर हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार दिया था। इतना ही नहीं जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से जुड़े भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा के मेडिकल कॉलेजों के पीजी के अंतिम वर्ष के 468 विद्यार्थियों के नामांकन तक रद्द कर दिए गए। इस कार्रवाई ने आग में घी का काम किया और जूनियर डॉक्टर इस कार्रवाई से भड़क गए। बताया जा रहा है कि जबलपुर सहित पूरे प्रदेश के तीन हजार मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस्तीफा दे दिया है। जूनियर डॉक्टरों ने मेडिकल से जुड़े दूसरे संघ का समर्थन हासिल होने का भी दावा किया है। इनका दावा है कि दूसरे राज्यों के डॉक्टर भी समर्थन में हैं।
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हाईकोर्ट ने हड़ताल को अवैध करार दिया
छह सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर गुरुवार को जबलपुर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से संबंधित पहले से लंबित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल की निंदा की और इसे असंवैधानिक करार देते हुए फौरन हड़ताल को वापस लेने के आदेश दिए।
हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान जब डॉक्टरों की सबसे ज्यादा जरूरत है, तब इनकी हड़ताल को उचित नहीं ठहराया जा सकता। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे के भीतर अगर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि जूनियर डॉक्टर की अधिकतम मांगों को सरकार ने मंजूर कर लिया है, उसके बावजूद भी वे हड़ताल कर रहे हैं।
सरकार ने डॉक्टरों को दो टूक कह दिया है कि हमने इनकी मांग मान ली है और स्टायपेंड 17 से बढ़ाकर 70 हजार कर दिया है, बावजूद इसके जिस वक्त मानवता को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, उस वक्त ये हड़ताल कर रहे हैं। ये ठीक नहीं है। उनकी मांगों को मान लिया गया है।
हर साल 6 फीसदी की दर से बढ़ाया स्टायपेंड- मंत्री
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने गुरुवार को दो टूक कहा कि जूडा की मांगों को मान लिया है। स्टायपेंड 17 हज़ार से 70 हज़ार तक कर दिया है। ट्रेनिंग में इतना पैसा दिया जा रहा है, यह उनकी सैलरी नहीं है। जब पीड़ित मानवता को इनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है उस वक्त ये हड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर साल 6 प्रतिशत की दर से डॉक्टरों का स्टायपेंड बढ़ाया है, 6 में से 4 मांगे मांग ली है। उन्होंने कहा कि हम जूडा पर कार्रवाई नहीं करना चाहते। हम कल्याण करना चाहते हैं। कानून में बहुत सारे प्रावधान हैं लेकिन सरकार इस तरह का कोई कदम उठाना नहीं चाहती। ये डॉक्टर्स देश- दुनिया में काम करेंगे। मरीज़ों को अगर तकलीफ होगी तो फिर हम कार्रवाई करेंगे। सारंग ने विपक्ष को भी आड़े हाथ लिा और कहा कि ऐसे संकट के समय में भी विपक्ष के नेता मरीज़ों के खिलाफ खड़े हो जाते हैं।