गूंगी गुड़िया ने बदल कर रख दिया भारत का इतिहास!

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गूंगी गुड़िया ने बदल कर रख दिया भारत का इतिहास!
गूंगी गुड़िया ने बदल कर रख दिया भारत का इतिहास!

भारत की एक मात्र महिला पीएम, जिसने न सिर्फ दुश्मनों को धूल चटाया बल्कि दृढ़निश्चयी और किसी भी तरह की परिस्थिति से जूझने और जीतने की क्षमता रखने वाली भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल इतिहास में खास जगह बनाई, बल्कि पाकिस्तान को विभाजित करवाकर दक्षिण एशिया का भूगोल ही बदल डाला, जिससे वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध की अपमानजनक पराजय की कड़वाहट धूमिल हुई, और भारतीयों में नए जोश का संचार हुआ।

आपको बता दें कि रूसी क्रांति के वर्ष 1917 में 19 नवंबर को पैदा हुईं इंदिरा गांधी ने वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में विश्व की महाशक्तियों के सामने नहीं झुकने के नीतिगत और समयानुकूल निर्णय की मदद से पाकिस्तान को परास्त किया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत को एक नया गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया।

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आत्मविश्वास से लबरेज़ थी इंदिरा….

आपको बता दें कि इंदिरा आत्मविश्वास से लबरेज़ थीं। इंदिरा ने कहा था कि “हम लोग इस बात पर निर्भर नहीं हैं कि दूसरे क्या सोचते हैं… हमें यह पता हैं कि हम क्या करना चाहते हैं और हम क्या करने जा रहे हैं, चाहे उसकी कीमत कुछ भी हो…”

गूंगी गुड़िया थी इंदिरा….

इंदिरा के बारे में कई सारी कहानियां प्रचलित है, लेकिन आपको ये बता दें कि राजनीति में कदम रखने पर कुछ लोगों ने इंदिरा को ‘गूंगी गुड़िया’ कहा था, लेकिन वह सदैव अपने विरोधियों पर बीस साबित होती रहीं। यही कारण था कि नटवर सिंह ने कहा था कि इंदिरा गांधी हमेशा अपने विरोधियों पर भारी पड़ती थीं। चौथे राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी की जगह वीवी गिरि को जिताकर उन्होंने इसे और पुख्ता किया था।

कुछ ऐसा था इंदिरा का राजनीतिक कैरियर….

 

आपको बता दें कि इंदिरा गांधी 16 वर्ष देश की प्रधानमत्री रहीं, जिस दौरान उनके शासनकाल में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन वर्ष 1975 में आपातकाल लागू करने के फैसले को लेकर इंदिरा को भारी विरोध-प्रदर्शन और तीखी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं। इसका प्रभाव इतना पड़ा कि आलोचकों ने इसे लोकतंत्र और मीडिया पर हमला बताया और कहीं न कहीं भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी प्रभावित हुई। साथ ही आपको ये भी बता दें कि नटवर सिंह ने कहा था, “इंदिरा गांधी ने खुद ही आपातकाल खत्म कर आम चुनाव करवाया। हालांकि कांग्रेस को वर्ष 1977 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन वर्ष 1980 में उन्होंने भारी बहुमत से वापसी की।

जब इंदिरा ने कहा अलविदा….

ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद उपजे तनाव के बीच उनके निजी अंगरक्षकों ने ही 31 अक्टूबर, 1984 को गोली मारकर इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी, आपको ये भी बता दें कि इंदिरा गांधी को अपनी मौत का अंदेशा हो गया था, यही कारण है कि इंदिरा ने अपने आखिरी स्पीच में कहा था कि मैं आज यहां हूं, कल शायद न रहूं, लेकिन मुझे इसकी चिंता नहीं है।