Instagram की लत से कैसे छुटकारा पाएं? भोपाल के छात्र के सवाल पर PM Modi का जवाब जानें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों को जवाब देते हुए कहा कि सबसे पहले यह तय करें कि आप स्मार्ट या गैजेट स्मार्ट है। कभी-कभी तो लगता है कि आप अपने से भी ज्यादा गैजेट को स्मार्ट मान लेते हैं। यहीं से गलती शुरू हो जाती है। आप अपने ऊपर विश्वास कीजिए। परमात्मा ने आपको बहुत शक्ति दी है। आप खुद स्मार्ट हैं। गैजेट आप से स्मार्ट नहीं हो सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि यह बहुत चिंता की बात है। भारत में औसतन छह घंटे लोग स्क्रीन पर लगाते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग इसका बिजनस करते हैं, उनके लिए यह खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि पहले मोबाइल में टॉक टाइम होता था। कहते है कि उस समय औसतन लोग 20 मिनट खपत करते थे।
रील से निकलते नहीं बाहर
पीएम मोदी ने कहा कि अब रील होता है। एक बार उसमें घुसने के बाद लोग बाहर नहीं निकलते हैं। इसके बाद छात्रों से पूछते हैं कि आपलोग रील देखते नहीं है क्या? पीएम मोदी बच्चों से पूछते हैं कि आप लोग रील में निकलते हैं क्या बाहर? शर्मा क्यों रहे हो, बताओ। उन्होंने कहा कि अगर हमारी क्रिएटिविटी का छह घंटे स्क्रीन पर जाए तो यह हमारे लिए बहुत चिंता की बात है। पीएम ने कहा कि गैजेट हम गुलाम बना देता है। हम उसके गुलाम बनकर जी नहीं सकते हैं। परमात्मा ने हमें स्वतंत्र व्यक्तित्व दिया है। हमें सचेत रहना चाहिए कि हम इसके गुलाम तो नहीं बन रहे हैं। मैं कभी कोई गैजेट अपने हाथ में नहीं रखते हैं। पीएम ने कहा कि मैं इसके लिए टाइम फिक्स कर रखा हूं।
उन्होंने कहा कि मैं टेक्नोलॉजी का उपयोग करूंगा। बस जितनी जरूरत है। मैं उसका गुलाम नहीं हूं। इसके बाद पीएम मोदी डोसा की रेसिपी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि गैजेट जो परोसता है। वह पूर्णता नहीं देता है। पहले के समय में बच्चे बहुत आराम से पहाड़ा पढ़ लेते थे। अब क्या हाल हो गया कि हमें पहाड़ा पढ़ने वाला बच्चा ढूंढने पड़ता है। उन्होंने कहा कि कुछ परिवारों में दसवीं की परीक्षा से पहले टीवी पर कपड़ा डाल देते हैं। अब दसवीं की परीक्षा होने वाली है। हमलोग सप्ताह में एक दिन संकल्प लें कि डिजिटल फास्ट से दूर रहें। मैं किसी डिजिटल डिवाइस को हाथ नहीं लगाऊंगा।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे परिवार छोटे होते जा रहे हैं। परिवार भी अब डिजिटल दुनिया में फंसते जा रहा है। हम देख रहे हैं कि एक ही घर में सभी लोग रह रहे हैं और एक ही कमरे में एक-दूसरे को व्हाट्सएप कर रहा है। मां भी पापा को व्हाट्सएप कर रहे हैं। सभी लोग एक-साथ बैठे हैं और मोबाइल में लगे हैं। इस बीमारी को हमें पहचानना होगा। हम घर में भी एक एरिया बनाए जो नो टेक्नोलॉजी जोन होगा। अगर वहां आना है तो बिना मोबाइल के बैठिए। इसके बाद जीवन जीने का आनंद शुरू होगा।
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